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“मजबूत स्थानीय शासन की शुरुआत मजबूत स्थानीय आंकड़ों से शुरू होती है, क्योंकि आंकड़े सामुदायिक आवश्‍यकताओं को ठोस योजनाओं में बदल देते हैं”: केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, एमओएसपीआई

“मजबूत स्थानीय शासन की शुरुआत मजबूत स्थानीय आंकड़ों से शुरू होती है, क्योंकि आंकड़े सामुदायिक आवश्‍यकताओं को ठोस योजनाओं में बदल देते हैं”: केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, एमओएसपीआई

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने 25 और 26 सितंबर, 2025 के दौरान चंडीगढ़ में केंद्रीय और राज्य सांख्यिकी संगठनों (सीओसीएसएसओ) का 29वां सम्मेलन आयोजित किया, जिसका समापन 26 सितंबर, 2025 को हुआ। इस वर्ष के सीओसीएसएसओ का विषयस्थानीय स्तर के शासन को सुदृढ़ करनाथा। यह सम्मेलन 30 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभागों [योजना, डीईएस और सांख्यिकीय संगठन]; केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईएएसआरआई), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जैसे विभिन्न अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों, विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य हितधारकों को साक्ष्य-आधारित शासन के लिए सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करने और विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाने में उपयोगी रहा।

29वें सीओसीएसएसओ का उद्घाटन सत्र 25 सितंबर 2025 को आयोजित किया गया, जिसमें राव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय राज्‍य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एमओएसपीआई, योजना मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री; श्री नायब सिंह सैनी, मुख्यमंत्री, हरियाणा और श्री भवानी सिंह पठानिया, माननीय उपाध्यक्ष,  राज्य योजना बोर्ड, हिमाचल प्रदेश सरकार सहित प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्‍य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मज़बूत स्थानीय शासन की शुरुआत मज़बूत स्थानीय आंकड़ों से होती है, क्योंकि आंकड़े सामुदायिक ज़रूरतों को ठोस योजनाओं में बदल देते हैं। समय पर, विश्वसनीय और खंडित आंकड़ों की बढ़ती मांग के साथ सांख्यिकीविद् सटीक व्याख्या और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्थानीय स्तर पर सुशासन के लिए योजना मार्गदशर्न, प्रगति पर नज़र रखने और सुधार को सक्षम करने के लिए विस्तृत और विश्वसनीय आंकड़ों की आवश्यकता होती है, जिससे स्थानीय सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करना प्रभावी स्थानीय शासन से अविभाज्‍य हो जाता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई भी योजना तभी प्रभावी होती है, जब उसके पीछे विश्वसनीय आंकड़े हों और इसलिए भारत के विकसित भारत 2047 के विज़न को साकार करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मज़बूत सहयोग महत्‍वपूर्ण है। हिमाचल प्रदेश राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री भवानी सिंह पठानिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उच्च-गुणवत्ता वाले आंकड़े प्रभावी विकेन्द्रीकृत नियोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं और 73 वें और 74 वें संशोधनों के माध्यम से स्थानीय सरकारों के सशक्तिकरण के लिए सांख्यिकीय जानकारी की भूमिका जरूरी है। सम्मेलन के मुख्य अंश के रूप में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कई प्रमुख पहलों की भी शुरुआत की, जिनमें चिल्ड्रन इन इंडिया 2025 और एनवायर्नमेंटल अकाउंटिंग ऑन फॉरेस्ट्स – 2025 का जारी करना, साथ ही पीएआईएमएएनए डैशबोर्ड, एनएमडीएस 2.0 पोर्टल और जीओआईएसटीएटीएस एप के आईओएस संस्करण के साथ एमओएसपी की नई वेबसाइट का शुभारंभ शामिल है। सांख्यिकीय प्रसार, एकीकरण और सुगम्यता को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई ये पहलें साक्ष्य-आधारित शासन और नागरिक सहभागिता की नींव को और मज़बूत करती हैं।

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान मजबूत सांख्यिकीय प्रणालियों के माध्यम से स्थानीय स्तर के शासन को मजबूत करने के केंद्रीय विषय पर व्यापक तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।

पहले दिन (25 सितंबर 2025) विचार-विमर्श में सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण के लिए समर्थन (एसएसएस) योजना का नवीनीकरण शामिल था, जिसमें ओडिशा ने डीईएस के अपने डिजिटल परिवर्तन को साझा किया; एमपीएलएडी का कार्यान्वयन, जिसमें हिमाचल प्रदेश ने अभिसरण प्रथाओं को उजागर किया; सांख्यिकीय व्यवसाय रजिस्टर (एसबीआर) की तैयारी और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार वर्ष का अद्यतन, जिसमें कर्नाटक से प्रासंगिक जानकारी प्राप्‍त हुई और सर्वेक्षण गतिविधियों पर राज्यों के साथ बेहतर सहयोग, जहां उत्तर प्रदेश ने अपने मॉडल-आधारित जिला-स्तरीय अनुमान प्रस्तुत किए।

चर्चाएं जीडीपी/जीएसडीपी आधार वर्षों के संशोधन पर भी केंद्रित रहीं, जिसमें हरियाणा ने अपने राज्य के अनुभव साझा किए और सीपीआई के आधार अद्यतनीकरण और उप-राज्य सूचकांकों के विकास पर भी चर्चा हुई, जिसमें महाराष्ट्र ने अपनी ज़िला-स्तरीय सीपीआई पहल का प्रदर्शन किया। दिन का समापन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की अनुसंधान और नवाचार पहलों पर एक प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसमें आधिकारिक आंकड़ों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के अनुप्रयोगों के उपयोग के मामलों का प्रदर्शन शामिल था और इसके साथ ही महत्वपूर्ण आंकड़ों और भू-स्थानिक मानचित्रण में कर्नाटक के डिजिटल नवाचारों पर भी प्रस्तुति दी गई।

दूसरे दिन (26 सितंबर 2025) सत्रों का ध्यान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के ढांचे और संस्थागत क्षमताओं को आगे बढ़ाने पर केंद्रित रहा। सत्रों में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय संकेतक ढांचे और एसडीजी निगरानी के स्थानीयकरण में राज्य के अनुभवों पर चर्चा हुई, जिसमें राजस्थान ने राज्य, जिला और ब्लॉक-स्तरीय संकेतक ढांचे के लिए अपने बहु-स्तरीय दृष्टिकोण को साझा किया। इसके बाद यूएनडीपी प्रतिनिधि ने राज्य संकेतक ढांचे (एसआईएफ), जिला संकेतक ढांचे (डीआईएफ) और स्थानीय संकेतक ढांचे (एलआईएफ) के महत्व पर प्रकाश डाला। चर्चाओं में आज के बदलते डेटा इको-सिस्टम और परिभाषात्मक अभिसरण में प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए डेटासेट के सामंजस्य के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया, जहां स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने यूडीआईएसई+ को शिक्षा में वास्तविक समय, मानकीकृत डेटा संग्रह के एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। इस दिन का समापन मानव संसाधन क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ हुआ, जिसमें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के एनएसएसटीए और तमिलनाडु ने उभरती हुई डेटा आवश्यकताओं की चुनौतियों का सामना करने के लिए सांख्यिकीय अधिकारियों की क्षमताओं को मजबूत करने हेतु संरचित प्रशिक्षण, संस्थागत सहयोग और प्रणालीगत सुधारों पर जोर दिया।

26 सितंबर 2025 को समापन सत्र में स्थानीय स्तर के शासन को मजबूत करने के विषय पर डेढ़ दिन के आकर्षक तकनीकी सत्रों का समापन हुआ। अपने समापन सम्‍बोधन में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालयों (डीईएस) को मजबूत करना प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्‍होंने प्रत्येक राज्य से एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया, जहां मानव शक्ति में वृद्धि एक प्रमुख तत्व है और केंद्र आवश्यकता पड़ने पर सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां पारंपरिक संपत्ति भूमि, श्रम और पूंजी हैं, वहीं आज के शासन में आंकड़ों को भी एक रणनीतिक संपत्ति के रूप में भी मान्यता दी जानी चाहिए – लेकिन केवल तभी जब यह सुसंगत, विश्वसनीय और पर्याप्त रूप से विस्तृत हो, ताकि नीति निर्माताओं द्वारा साक्ष्य-आधारित नियोजन और निर्णय लेने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के सदस्य श्री ए.के. साधु ने कहा कि हालांकि सम्मेलन औपचारिक रूप से समाप्‍त हो गया है, सांख्यिकीय प्रणालियों के बीच समन्वय और संबंध जारी रहना चाहिए। उन्होंने न केवल केंद्र और राज्यों के बीच, बल्कि राज्यों के बीच भी निरंतर सहयोग का आह्वान किया, ताकि आपसी सीख भारत की सांख्यिकीय प्रणाली को और मज़बूत कर सके।

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