भारत के डिजिटल परिवर्तन का रोडमैप प्रस्तुत करता है विशाखापत्तनम घोषणापत्र
भारत के डिजिटल परिवर्तन का रोडमैप प्रस्तुत करता है विशाखापत्तनम घोषणापत्र
विशाखापत्तनम, 23 सितंबर: प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ई–गवर्नेंस पर 28वां राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसीईजी) मंगलवार को विशाखापत्तनम में “विशाखापत्तनम घोषणापत्र” को अंगीकार किए जाने के साथ संपन्न हो गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में भारत के ई–गवर्नेंस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक दूरदर्शी रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
समापन सत्र में, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव, श्री वी. श्रीनिवास ने अनेक वर्षों के बाद राज्य की राजधानी के बाहर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए आंध्र प्रदेश सरकार की सराहना करते हुए इसे हाल के दिनों में सबसे सार्थक ई–गवर्नेंस समारोहों में से एक करार दिया। उन्होंने 18 मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की व्यापक भागीदारी पर प्रकाश डाला और राष्ट्रीय ई–गवर्नेंस पुरस्कार 2025 के विजेताओं को बधाई दी। मंच से, उन्होंने राष्ट्रीय ई–गवर्नेंस पुरस्कार 2026 की आधिकारिक वेबसाइट भी लॉन्च की। इस आयोजन को संभव बनाने के लिए एक वर्ष से अधिक समय से काम कर रहे अधिकारियों और साझेदार संस्थानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्री श्रीनिवास ने वास्तविक समय में शासन और व्हाट्सएप–आधारित सेवा प्रदायगी सहित आंध्र प्रदेश की नवोन्मेषी शासन प्रथाओं को राष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय मॉडल के रूप में रेखांकित किया।
“विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन” विषय पर केंद्रित इस सम्मेलन में “विकसित भारत 2047” के राष्ट्रीय दृष्टिकोण और “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के सिद्धांत की पुष्टि की गई। प्रतिनिधियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, जीआईएस, आईओटी और डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती हुई तकनीकों को पारदर्शी, टिकाऊ और नागरिक–केंद्रित शासन के प्रवर्तक के रूप में काम करना चाहिए। साइबर सुरक्षा, डिजिटल विश्वास और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा में लचीलापन सुनिश्चित करने को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया।
घोषणापत्र में डिजिटल दक्षताओं और चुस्त, डेटा–संचालित ढाँचों के साथ नागरिक सेवाओं को मज़बूती प्रदान करने के लिए एक समग्र सरकारी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया। इसमें एआई के नैतिक और पारदर्शी उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए बहुभाषी, रीयल–टाइम और क्षेत्र–विशिष्ट नागरिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया भाषिनी, डिजी यात्रा और एनएडीआरईएस वी2 जैसे एआई–संचालित प्लेटफार्मों का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा गया।
प्रतिनिधियों ने मध्य प्रदेश में संपदा 2.0, बेंगलुरु में ई–खाता, महाराष्ट्र में रोहिणी ग्राम पंचायत और एनएचएआई द्वारा ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) जैसी सफल परियोजनाओं को प्रौद्योगिकी–आधारित सेवा प्रदायगी के प्रमाणित मॉडल के रूप में दोहराने और उनका विस्तार करने पर ज़ोर दिया। घोषणापत्र में कनेक्टिविटी से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे क्षेत्रों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और लद्दाख में, एनईएसडीए ढांचे के तहत अनिवार्य ई–सेवाओं का कवरेज बढ़ाकर डिजिटल शासन का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया।
जमीनी स्तर पर, रोहिणी, पश्चिमी मजलिशपुर, सुआकाटी और पलसाना के पंचायत मॉडल का देश भर में विस्तार किया जाएगा, जबकि महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए डिजिटल साक्षरता पहल का उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना है। परिवहन, रक्षा और नागरिक सेवा प्लेटफ़ॉर्म जैसे क्षेत्रों में साइबर लचीलापन बनाने के लिए ज़ीरो–ट्रस्ट आर्किटेक्चर, पोस्ट–क्वांटम सुरक्षा और एआई–सक्षम निगरानी प्रणालियों जैसे मज़बूत उपायों को आवश्यक माना गया।
घोषणापत्र में किसानों को ऋण, परामर्श और बाजार तक बेहतर पहुंच प्रदान करने तथा साथ ही जलवायु अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए नेशनल एग्री स्टैक के क्रियान्वयन में तेजी लाने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
भविष्य पर गौर करते हुए, स्केलेबल डिजिटल समाधानों का सह–निर्माण करने के लिए सम्मेलन में सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत, स्टार्ट–अप्स और सिविल सोसायटी के बीच सहयोग को मज़बूत करने का संकल्प लिया गया। इसने बुनियादी ढाँचे में निवेश, विशेष आईटी ज़ोन विकसित करने और उद्योग–अकादमिक साझेदारियों को समर्थन देकर विशाखापत्तनम को एक प्रमुख आईटी और नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने के आंध्र प्रदेश के दृष्टिकोण का भी समर्थन किया।
विशाखापत्तनम घोषणापत्र ने आने वाले वर्षों में भारत की डिजिटल शासन रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की है, जिसमें नागरिकों को सशक्त बनाने और सेवा प्रदायगी को मजबूत करने के लिए समावेशिता, सुरक्षा और नवाचार पर जोर दिया गया है।
इस सत्र में डीएआरपीजी की संयुक्त सचिव श्रीमती सरिता चौहान ने भी भाग लिया, जिन्होंने विशाखापत्तनम घोषणापत्र पढ़ा; भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक श्री एस.एन. त्रिपाठी; और आंध्र प्रदेश सरकार में आईटी, ईएंडसी सचिव श्री के. भास्कर ने भी समापन भाषण दिए।