झारखंड में राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पशुधन विकास
झारखंड में राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पशुधन विकास
सरकार, दिसंबर 2014 से देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को और सुदृढ़ बनाने के लिए प्रयास कर रही है। झारखंड सहित पूरे देश में देशी नस्लों के विकास और संरक्षण, गोजातीय जनसंख्या के आनुवंशिक उन्नयन और दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) लागू की गई है। इस योजना का लाभ झारखंड के किसानों सहित देश के सभी डेयरी किसानों को मिल रहा है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत झारखंड सहित पूरे देश में कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं के विस्तार सहित स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
लिंग-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत देशी नस्लों के लिंग-सॉर्टेड वीर्य को बढ़ावा दिया जाता है। इस घटक के अंतर्गत, सुनिश्चित गर्भधारण पर लिंग-सॉर्टेड वीर्य की लागत का 50 प्रतिशत तक प्रोत्साहन किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक झारखंड में लिंग-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके कुल 5,635 कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं।
पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), पशुधन स्वास्थ्य रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित कर रहा है। इसके तीन घटक हैं:
(i) खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के खिलाफ टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी);
(ii) पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण इसके उप-घटक हैं
(क) क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) और पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (पीपीआर) के खिलाफ टीकाकरण के लिए गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (सीएडीसीपी);
(ख) पशु चिकित्सालय और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण – मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां (ईएसवीएचडी-एमवीयू) और
(ग) राज्य की प्राथमिकता वाली बीमारियों जैसे लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी), रेबीज आदि के खिलाफ टीकाकरण के लिए पशु रोग नियंत्रण (एएससीएडी) के लिए राज्यों को सहायता, प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण, प्रशिक्षण और पशु वध मुआवजा आदि।
(iii) जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की बिक्री के लिए पीएम-किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के माध्यम से एक नया घटक पशु औषधि को एलएचडीसीपी योजना में जोड़ा गया है। 2025 के दौरान, जुलाई तक झारखंड राज्य में इस योजना के तहत 24.23 लाख एफएमडी, 57.94 लाख एलएसडी, 15,580 ब्रुसेलोसिस, 4113 सीएसएफ और 52370 पीपीआर टीकाकरण किए गए हैं।
एलएचडीसीपी योजना के अंतर्गत सरकार किसानों के घर-घर तक रोग निदान, उपचार, टीकाकरण, लघु शल्य चिकित्सा, दृश्य-श्रव्य सहायता और विस्तार सेवाओं सहित पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की स्थापना को समर्थन दे रही है। अब तक, झारखंड राज्य में 236 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां काम कर रही हैं और 66,525 किसान लाभान्वित हुए हैं तथा 1,01,907 पशुओं का उपचार किया गया है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 20 अगस्त, 2025 को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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- राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के दायरे को बढ़ाना और देशी नस्लों सहित उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के वीर्य से किसानों के घर-द्वार पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं (एआई) प्रदान करना है। कार्यक्रम की प्रगति को वास्तविक समय के आधार पर भारत पशुधन/एनडीएलएम (राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन) पर ऑनलाइन अपलोड किया गया है। इसके साथ ही कृत्रिम गर्भाधान और कार्यक्रम से लाभान्वित किसानों की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है। झारखंड में अभी तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत 26.87 लाख पशुओं को शामिल किया गया है, 36.06 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं और 18.20 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।