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भारतीय डाक प्रणाली का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण

भारतीय डाक प्रणाली का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण

डाक विभाग ने आईटी आधुनिकीकरण परियोजना 2012 (डीओपी आईटी 1.0) को लागू किया, जो एक मिशन मोड ई-गवर्नेंस परियोजना है, जिसका उद्देश्य विभाग को ग्राहकों के लिए बेहतर सेवा वितरण सुनिश्चित करते हुए एक प्रौद्योगिकी संचालित संगठन में बदलना है।

डीओपी आईटी 1.0 परियोजना की प्रगति और चुनौतियों के आकलन के लिए, परियोजना की मध्यावधि समीक्षा 2018 में आईआईएम, लखनऊ द्वारा की गई थी और परियोजना का अंतिम मूल्यांकन 2021 में एक स्वतंत्र तृतीय-पक्ष मूल्यांकनकर्ता, आईआईपीए (भारतीय लोक प्रशासन संस्थान) द्वारा किया गया था। अंतिम मूल्यांकन के कुछ प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं –

डीओपी आईटी 1.0 के क्रम में, सरकार ने 2022-23 से शुरू होने वाली आठ वर्षों की अवधि के लिए 5785 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सूचना प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण परियोजना 2.0 (डीओपी आईटी 2.0) को मंजूरी दी है।

सूचना प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण परियोजना 2.0 अनुप्रयोगों, बुद्धिमान प्लेटफार्मों और आपस में जुड़े इकोसिस्‍टम को जोड़ती है ताकि विभिन्न वितरण चैनलों के माध्यम से अपने हितधारकों को डाक और वित्तीय सेवाओं का एक समावेशी, एकीकृत और एकल-खिड़की दृश्य प्रदान किया जा सके।

डीओपी आईटी 2.0 परियोजना के अंतर्गत, विभाग ने देश के सभी 1.64 लाख डाकघरों में आधुनिक डाक प्रौद्योगिकी (एपीटी) नामक नए आंतरिक रूप से विकसित डाक और लाजिस्टिक समाधान की शुरुआत पूरी कर ली है। यह डाक सेवाओं को तेज़, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाएगा और डाकघरों को क्यूआर कोड आधारित डिजिटल भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाएगा।

डाक विभाग ने ग्रामीण जनता तक डाक, वित्त, बीमा और सरकारी सेवाएँ पहुँचाने के लिए देश के सभी ग्रामीण शाखा डाकघरों को एंड्रॉइड आधारित मोबाइल फ़ोन उपलब्ध कराए हैं। एपीटी के अंतर्गत आंतरिक रूप से विकसित आंतरिक मोबाइल ऐप (आईएमए) अब इन फ़ोनों में उपलब्ध है, जिसमें प्राप्तकर्ता के डिजिटल हस्ताक्षर लेना, वस्तुओं की डिलीवरी के लिए रीयल-टाइम अपडेट और एकीकृत डिजिटल भुगतान सुविधा (डायनेमिक क्यूआर कोड कार्यक्षमता का उपयोग करके) की क्षमता है।

इसके अलावा, कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस), भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी), डाक और पार्सल सेवाओं के क्षेत्र में पूरे देश में, दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों सहित, विभाग द्वारा की गई पहलों की सूची, वितरण अंतराल को कम करने, बुनियादी ढांचे की चुनौतियों का समाधान करने और भारतीय डाक प्रणाली के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाने के लिए अनुबंध-I के रूप में संलग्न है।

अनुबंध-I

क. भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) सेवाएं अब 1.64 लाख एक्सेस प्वाइंट के माध्यम से उपलब्ध करा दी गई हैं।

. आईपीपीबी बचत और चालू खातों सहित विभिन्न बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करता है। वर्चुअल डेबिट कार्ड, आईपीपीबी खातों के साथ डाकघर बचत खाते का लिंकेज, डाकघर बचत योजनाओं के लिए ऑनलाइन भुगतान, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) आदि।

यह जानकारी संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

  1. आईटी आधुनिकीकरण परियोजना 2012 के कार्यान्वयन के बाद विभाग ने 6.33 प्रतिशत की आंतरिक प्रतिफल दर (आईआरआर) हासिल की।
  2. डाक विभाग की आईटी आधुनिकीकरण परियोजना 2012′ द्वारा किए गए गुणात्मक और मात्रात्मक योगदान प्रभावी पाए गए हैं। गुणात्मक रूप से, सेवाओं की तीव्र डिलीवरी को प्रमुख सुधारों में से एक माना गया है। मात्रात्मक रूप से, सुलभ डाक सेवाओं की संख्या, विशेष रूप से बैंकिंग सेवाओं से वंचित/अल्प-बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने वाले ग्राहकों के लिए, बढ़ी है।
  3. डाक परिचालन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कुशलतापूर्वक कार्य करता पाया गया है।
  4. सर्वेक्षणों के अनुसार, डाक विभाग (डीओपी) के ग्राहक डाक कर्मचारियों से कुल मिलाकर संतुष्ट पाए गए। नेटवर्क कनेक्टिविटी के कारण आई तकनीकी खराबी से कुछ ग्राहक निराश हुए।