संसद प्रश्न: लद्दाख में अंतरिक्ष परियोजनाएं
संसद प्रश्न: लद्दाख में अंतरिक्ष परियोजनाएं
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन देश में सुदूर संवेदन प्रेक्षणों में सुधार लाने के लिए 2027-2028 तक रिसोर्ससैट-3 व 3ए, रिसोर्ससैट-3एस और 3एसए, एचआरएसएटी, जी20 उपग्रह तथा तृष्णा उपग्रह का निर्माण कर रहा है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भी लाभ होगा। कक्षा में स्थित भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (कार्टोसैट-2 श्रृंखला, कार्टोसैट-3, रिसोर्ससैट-2 एवं 2ए, रीसैट-1ए, इनसैट-3डीआर एवं 3डीएस, ओशनसैट-3, सरल और निसार) से प्राप्त आंकड़े भी भारत में उपलब्ध हैं, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भी शामिल है।
परिचालन संचार उपग्रहों में से 12 उपग्रहों की कवरेज केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तक है। यह क्षमता दूरसंचार और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न सेवा प्रदाताओं को प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, 10 विदेशी उपग्रहों और 3 निम्न पृथ्वी कक्षा/मध्यम पृथ्वी कक्षा तारामंडलों को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सहित भारत में सेवाएं प्रदान करने के लिए प्राधिकरण दिया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन/अंतरिक्ष विभाग के प्राकृतिक संसाधन गणना कार्यक्रम (एनआर सेंसस) के एक भाग के रूप में हिमालय और लद्दाख सहित राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों, भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण तथा बंजर भूमि की स्थिति की आवधिक निगरानी की जाती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन/अंतरिक्ष विभाग ने हिमालयी संसाधनों, प्राकृतिक खतरों और भू-गतिकी की निगरानी के लिए “उत्तर-पश्चिम हिमालय (लद्दाख सहित) का पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र अध्ययन” किया है।
इसरो/अंतरिक्ष विभाग ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में निम्नलिखित सुदूर संवेदन अनुप्रयोग परियोजनाएं भी शुरू की हैं:
लद्दाख विशिष्ट मॉडलिंग और अंतरिक्ष अनुप्रयोग (एलएएमए): लद्दाख क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की वैज्ञानिक जांच। प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन के लिए एक अनुकूलित गतिशील जियोपोर्टल विकसित किया गया।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के विकास के लिए संबद्ध डेटाबेस के साथ स्थानिक डेटा अवसंरचना (एसडीआई) जियोपोर्टल (जियो-लद्दाख): जैव-संसाधन विस्तार, कृषि और बागवानी प्रबंधन, कृत्रिम ग्लेशियरों के विकास के लिए स्थल, जल संसाधनों का संरक्षण, सौर एवं पवन ऊर्जा का संचयन, बाढ़ के खतरे का आकलन आदि।
अमृत-1.0: लेह और करगिल शहरों के लिए जीआईएस आधारित मास्टर प्लान के अति उच्च-रिजॉल्यूशन उपग्रह डेटा निर्माण का उपयोग करके बड़े पैमाने पर शहरी भू-स्थानिक डेटाबेस बनाया गया।
अमृत-2.0: लेह और करगिल शहरों के लिए जल निकाय सूचना प्रणाली का विकास।
एलयूएलसी परिवर्तन विश्लेषण: लद्दाख के लिए 2020-21 और 2025-26 के 1:50,000 पैमाने पर भूमि उपयोग एवं भूमि आवरण परिवर्तन विश्लेषण का आकलन।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन/अंतरिक्ष विभाग का आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम (डीएमएसपी) लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र सहित राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं हेतु नोडल मंत्रालयों/विभागों को उपग्रह डेटा-आधारित इनपुट प्रदान करता है।
नेत्र (नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस) परियोजना के अंतर्गत जीईओ पर वस्तुओं पर नजर रखने के लिए लद्दाख के हानले में एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप स्थापित किया जा रहा है।
यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।