संसद प्रश्न: शहरों में दोहरी गर्मी और अत्यधिक वर्षा का सामना करना पड़ रहा है
संसद प्रश्न: शहरों में दोहरी गर्मी और अत्यधिक वर्षा का सामना करना पड़ रहा है
सरकार आईपीई ग्लोबल और ईएसआरआई इंडिया की हालिया रिपोर्ट से अवगत है, जिसमें पाया गया है कि भारत के शहरों में 2030 तक हीटवेव के दिनों में दोगुनी वृद्धि और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि होगी। इसमें खुलासा किया गया है कि 2030 तक जलवायु परिवर्तन से भारत भर में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की तीव्रता में 43% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे देश अधिक गर्म और आर्द्र हो जाएगा।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) शहरी क्षेत्रों सहित भारत के विभिन्न स्थानों पर, स्टेशन और शहर–आधारित मौसम संबंधी आंकड़ों का उपयोग करके, लू और भारी वर्षा जैसी चरम मौसम घटनाओं की निरंतर निगरानी करता है। इसके अलावा, आईएमडी द्वारा उपलब्ध कराए गए ग्रिडेड वर्षा (25 किमी रिज़ॉल्यूशन) और तापमान डेटा (50 किमी रिज़ॉल्यूशन) का भी इन चरम घटनाओं पर नज़र रखने के लिए उपयोग किया जाता है। पिछले 11 वर्षों में विभिन्न उप–मंडलों में लू के दिनों की वर्षवार संख्या अनुलग्नक-1 में दी गई है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के सहयोग से, जलवायु खतरों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों हेतु जोखिम आकलन और प्रभाव–आधारित पूर्वानुमान के लिए दृष्टिकोण प्रदान करता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) पूरे देश में केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं को समान रूप से क्रियान्वित करता है; इसलिए, धन का आवंटन राज्यवार नहीं होता है। केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से राज्य सरकारों को सीधे धनराशि जारी नहीं की जाती है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के पास राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (एसडीएमएफ) के माध्यम से सहायता हेतु संसाधन उपलब्ध हैं। यदि राज्यों की ओर से वित्तीय सहायता का अनुरोध प्राप्त होता है, तो केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (एनडीएमएफ) के लिए प्रासंगिक दिशानिर्देशों के अनुसार उस पर विचार करती है।
राज्य सरकार, कुछ निर्धारित शर्तों और मानदंडों की पूर्ति के अधीन, एसडीआरएफ के वार्षिक निधि आवंटन के 10% तक का उपयोग उन प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए कर सकती है, जिन्हें वे राज्य में स्थानीय संदर्भ में ‘आपदा‘ मानते हैं और जो प्राकृतिक आपदाओं की केंद्रीय अधिसूचित सूची में शामिल नहीं हैं।
अनुलग्नक-1
2015
2016
2017
2018
2019
2020
2021
2022
2023
2024
2025
असम और मेघालय
0
0
0
0
0
0
0
0
0
1
0
एनएमएमटी
0
0
0
0
0
0
0
0
0
0
0
श्वब और सिक्किम
0
0
0
0
0
0
0
1
15
11
1
गंगा तटीय पश्चिम बंगाल
3
14
0
3
4
0
3
8
27
31
4
ओडिशा
14
20
12
4
2
0
3
11
24
37
7
झारखंड
5
11
2
0
6
0
0
27
16
23
4
बिहार
4
6
0
3
12
0
0
13
29
30
4
पूर्वी उत्तर प्रदेश
12
2
9
4
10
2
0
33
11
33
8
पश्चिमी उत्तर प्रदेश
10
3
11
6
4
2
2
28
5
32
5
उत्तराखंड
2
0
0
0
0
0
0
5
0
10
0
हरियाणा चंडीगढ़ और दिल्ली
6
3
11
4
11
0
2
37
5
30
11
पंजाब
2
2
7
0
0
0
0
22
3
27
7
हिमाचल प्रदेश
0
3
4
4
0
0
2
38
0
18
10
जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख
0
0
0
0
2
0
0
19
0
11
13
पश्चिमी राजस्थान
24
28
28
29
28
5
6
58
3
29
33
पूर्वी राजस्थान
10
11
14
5
25
0
4
28
0
23
21
पश्चिम मध्य प्रदेश
19
18
19
8
19
4
2
42
4
24
7
पूर्वी मध्य प्रदेश
15
20
19
9
30
0
0
34
13
26
10
गुजरात क्षेत्र
6
4
8
2
3
0
0
13
1
14
7
सौराष्ट्र और कच्छ
12
3
8
2
9
6
12
25
4
16
15
कोंकण और गोवा
1
0
0
2
0
0
4
2
6
4
1
मध्य महाराष्ट्र
1
3
1
0
11
2
0
2
1
8
1
मराठवाड़ा
1
2
0
0
10
3
0
0
0
3
3
विदर्भ
15
12
22
14
54
0
2
18
11
11
8
छत्तीसगढ
9
2
1
3
7
2
0
3
12
13
1
तटीय एपी और यानम
8
6
6
2
11
0
0
0
22
11
0
तेलंगाना
8
6
3
0
14
2
0
0
14
12
1
रायलसीमा
0
1
0
0
0
0
0
0
1
16
0
तमिल, पुडु और कराईकल
0
0
7
0
4
0
2
0
1
13
0
तटीय कर्नाटक
0
0
0
0
0
0
0
0
2
3
0
एनआई कर्नाटक
1
0
0
0
0
0
0
0
0
18
0
एसआई कर्नाटक
0
0
0
0
0
0
0
0
0
10
0
केरल और माहे
0
9
0
0
0
0
0
0
0
6
0
यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।