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संसद प्रश्न: परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन

संसद प्रश्न: परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन

दुनिया में कहीं भी परमाणु सुरक्षा से संबंधित किसी भी बड़ी घटना के बाद सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है ताकि सुरक्षा सुविधाओं को और मजबूत करने की आवश्यकता की जांच की जा सके। जापान में रिक्टर पैमाने पर 9.0 की तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद वर्ष 2011 में फुकुशिमा दाइची परमाणु दुर्घटना के बाद भारतीय एनपीपी के लिए एईआरबी द्वारा स्वतंत्र रूप से ऐसे पुनर्मूल्यांकन किए गए थे ताकि भूकंप, बाढ़ और उनके संभावित प्रभावों जैसी गंभीर प्राकृतिक घटनाओं से निपटने के लिए क्षमताओं और मार्जिन का निर्धारण किया जा सके। उपरोक्त सुरक्षा आकलन और किए गए सुरक्षा उपाय हाल ही में रूस और जापान में आए 8.6 रिक्टर पैमाने के भूकंप पर भी लागू होते हैं। भारतीय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर उल्लिखित भूकंप का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। हालांकि नियामक दिशा-निर्देशों के अनुरूप समय-समय पर सुरक्षा मूल्यांकन किया जाता है।

तटीय क्षेत्रों में स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को भूकंप, सुनामी, तूफ़ानी लहरों, बाढ़ आदि से संबंधित तकनीकी मानकों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जाता है। उनकी सुरक्षा बढ़ाने के लिए नियमित निगरानी, बहु-स्तरीय समीक्षा और उन्नयन भी किए जाते हैं। सुरक्षा प्रणालियों की संरचनाएं, प्रणालियां और घटक घटनाओं का सामना करने और कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और उसके योग्य हैं। इसके अलावा ऐसी घटनाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं मौजूद हैं और कर्मियों को समय-समय पर ऐसे परिदृश्यों के दौरान की जाने वाली कार्रवाइयों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

कुडनकुलम परियोजना में 1000 मेगावाट क्षमता वाले छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं, जिनकी कुल क्षमता 6000 मेगावाट है। इनमें से दो रिएक्टर (केकेएनपीपी-1 और 2, 2×1000 मेगावाट) वर्तमान में कार्यरत हैं, जबकि चार रिएक्टर (केकेएनपीपी-3 से 6, 4 x 1000 मेगावाट) निर्माण/कमीशनिंग के विभिन्न चरणों में हैं।

यह जानकारी लोकसभा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।