यदि कानून के प्रारूप में अस्पष्टता या ‘ग्रे एरिया’ रहेगा तो न्यायपालिका के हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ जाएगी, इसलिए लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग बिल्कुल स्पष्ट और निश्चित होनी चाहिए – लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला
यदि कानून के प्रारूप में अस्पष्टता या ‘ग्रे एरिया’ रहेगा तो न्यायपालिका के हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ जाएगी, इसलिए लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग बिल्कुल स्पष्ट और निश्चित होनी चाहिए – लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि कानून निर्माण की प्रक्रिया में लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कानून का मूल ड्राफ्ट बनाते समय कभी भी ‘ग्रे एरिया’ नहीं छोड़ना चाहिए। यदि कानून की ड्राफ्टिंग में ‘ग्रे एरिया’ होगा तो न्यायपालिका के हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ जाएगी। जब लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग स्पष्ट और सरल हो, तथा उसमें कोई ग्रे एरिया नहीं होगा; तो न्यायिक समीक्षा करते समय अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होगा।
श्री बिरला ने कहा कि भारत का संविधान हमारे लिए इस दिशा में मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के तहत विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है और उसकी मूल भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कानून की ऐसी ड्राफ्टिंग होनी चाहिए जो जनकल्याणकारी, सरल और स्पष्ट भाषा में हो। उन्होंने कहा कि जितनी बेहतर ड्राफ्टिंग होगी, कानून उतना ही प्रभावी, त्रुटिरहित और न्यायसंगत होगा। स्पष्ट और सरल विधायी भाषा प्रभावी कानूनों की आधारशिला है।
कानून का मूल ड्राफ्ट बनाते समय उसमें Grey area नहीं छोड़ना चाहिए, कानून की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
यदि कानून की ड्राफ्टिंग में ग्रे एरिया होगा तो न्यायपालिका का अनावश्यक अतिक्रमण हो सकता है।https://t.co/ivjSxXGDCh pic.twitter.com/PDSitENKEd
लोक सभा अध्यक्ष ने जोर देते हुए कहा कि सहमति-असहमति लोकतंत्र की ताकत है, लेकिन यदि ड्राफ्टिंग मजबूत होगी तो मतभेद विचारधारा तक सीमित रहेंगे, कानून की भाषा पर प्रश्न नहीं उठेंगे। ऐसे में चर्चा और सार्थक होगी तथा कानून जनानुकूल बन सकेगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की असली शक्ति जनता के विश्वास में निहित होती है और यह विश्वास तभी मजबूत होता है जब विधानसभाएँ और संसद पारदर्शी, व्यवस्थित और उत्तरदायी ढंग से कार्य करें।
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज चंडीगढ़ स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान (एमजीएसआईपीए) में हरियाणा विधानसभा और Institute of Constitutional and Parliamentary Studies (ICPS) के सहयोग से आयोजित विधायी प्रारूपण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान ये विचार व्यक्त किये । इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सैनी, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री हरविंद्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष श्री यू टी खादर फरीद, हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा तथा लोक सभा महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह भी मंच पर उपस्थित रहे।
चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा एवं राज्य के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए आयोजित दो दिवसीय Legislative Drafting Training Programme के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
इस अवसर पर Institute of Constitutional and Parliamentary Studies (ICPS) द्वारा शुरू किए जा रहे Credit-Based… pic.twitter.com/WfNpeBQUg7
लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग के सूक्ष्म बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि ड्राफ्टिंग में विराम, पूर्णविराम, अर्धविराम का भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए; जितना भाषा का ध्यान रखना है; ड्राफ्टिंग जनता के लिए सहज और सरल हो। लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायी प्रारूपण केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा है। जब विधेयक और कानून संविधानिक मूल्यों तथा जनता की आकांक्षाओं का स्पष्ट और सटीक रूप से प्रतिबिंबन करते हैं, तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पाती है।
श्री बिरला ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाते हैं बल्कि विधायी संस्थाओं की गरिमा और प्रभावशीलता को भी सुदृढ़ करते हैं। ये अधिकारियों और कर्मचारियों को न केवल विधायी प्रक्रियाओं की जटिलताओं से परिचित कराते हैं, बल्कि उन्हें ऐसी विधायी भाषा और प्रारूप विकसित करने में सक्षम बनाते हैं, जो न्यायपूर्ण हो, पारदर्शी हो और समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए सुलभ हो।
संविधान निर्माण के समय ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है।
इतने वर्षों बाद भी लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग में भारत का संविधान एक मानक है, मार्गदर्शक है।https://t.co/ivjSxXGDCh pic.twitter.com/Xs81VXfRSd
हरियाणा के संदर्भ में लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि यह राज्य न केवल कृषि, खेल और उद्योग में अग्रणी रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक परंपराओं को भी मजबूत करने में इसकी भूमिका सराहनीय रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि यहाँ के अधिकारी और कर्मचारी इस प्रशिक्षण के माध्यम से विधायी प्रारूपण की बारीकियों में पारंगत होकर ऐसी नीतियाँ और कानून तैयार करने में सहायक होंगे, जिनसे जनता की अपेक्षाओं की पूर्ति हो सके।
यह कार्यक्रम गृह मंत्रालय के तत्वावधान में चल रहे राष्ट्रीय विधायी प्रारूपण कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा की गई थी। इस श्रृंखला के अंतर्गत इससे पहले गांधीनगर, लखनऊ, शिमला, रांची, जबलपुर और पटना जैसे शहरों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।
हरियाणा विधानसभा और ICPS द्वारा आयोजित Legislative Drafting पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन हेतु पहुँचने पर चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री हरविन्द्र कल्याण, पूर्व अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा दिए गए भावपूर्ण आतिथ्य से अभिभूत हूँ। pic.twitter.com/7KiQjY146n
यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हरियाणा विधानसभा और हरियाणा सरकार के लगभग 400 अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आयोजित किया गया है। इसमें विशेषज्ञ वक्ता प्रतिभागियों को विधायी प्रारूपण, संविधानिक मूल्यों, सटीक कानूनी भाषा के महत्व और निर्वचन (इंटरप्रिटेशन) के नियमों पर मार्गदर्शन देंगे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कल 27 सितंबर को संपन्न होगा। समापन सत्र में प्रतिभागी अपने अनुभव साझा करेंगे और कार्यक्रम से प्राप्त निष्कर्षों पर विचार-विमर्श होगा। लोक सभा अध्यक्ष ने आशा व्यक्त की कि यह पहल हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश की विधायी संस्थाओं को और अधिक सक्षम और जनोन्मुख बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
अंत में, श्री बिरला ने हरियाणा विधानसभा, हरियाणा सरकार और ICPS का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन को संभव बनाया। उन्होंने मीडिया का भी धन्यवाद किया और कहा कि लोकतांत्रिक विमर्श को आम जनता तक पहुँचाने में मीडिया की भूमिका सबसे अहम है।