“भारत 3 लाख कार्यबल के साथ नाविकों के शीर्ष 3 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है”: श्री सर्बानंद सोनोवाल
“भारत 3 लाख कार्यबल के साथ नाविकों के शीर्ष 3 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है”: श्री सर्बानंद सोनोवाल
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज चेन्नई में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय (आईएमयू) के 10वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के समुद्री क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन और इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले युवाओं के लिए उपलब्ध रोजगार के अवसरों का उल्लेख किया।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 2,196 स्नातक विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने हुए कहा, “आप एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं जो पिछले एक दशक में पुनर्जीवित हुआ है और भारत की आर्थिक, रणनीतिक और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का केंद्र है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में समुद्री क्षेत्र में वैश्विक नेताओं में से एक बनने की दिशा में आगे बढ़ते हुए, पत्तन, पोत परिवहन, जहाज निर्माण, लॉजिस्टिक्स, अनुसंधान और हरित समुद्री प्रौद्योगिकियों में करियर पहले कभी इतने विविध या मांग वाले नहीं रहे।”
भारत के बंदरगाहों का वर्ष 2014 से व्यापक आधुनिकीकरण और मशीनीकरण हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप इनका “टर्नअराउंड टाइम” केवल 0.9 दिन रह गया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर जैसे उन्नत समुद्री देशों के बंदरगाहों से आगे निकल गया है। नौ भारतीय बंदरगाह अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 बंदरगाहों में शामिल हैं। 76,000 करोड़ रुपये के निवेश से वधावन बंदरगाह का निर्माण दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर बंदरगाहों में से एक होगा। पिछले दशक में अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल की आवाजाही सात गुना बढ़ गई है और तटीय नौवहन की मात्रा में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
‘समुद्री अमृत काल परिकल्पना 2047’ भारत के समुद्री पुनरुत्थान के लिए एक दीर्घकालिक रूपरेखा प्रदान करता है। कुल 80 लाख करोड़ रुपये का निवेश बंदरगाह अवसंरचना, तटीय नौवहन, अंतर्देशीय जलमार्ग, जहाज निर्माण और हरित नौवहन पहलों पर केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने प्रमुख बंदरगाहों पर हरित गलियारे, हरित हाइड्रोजन बंकरिंग की स्थापना की है और टिकाऊ समुद्री परिचालन को प्रोत्साहित करने के लिए मेथनॉल-ईंधन वाले जहाजों को प्रोत्साहन दिया है।
सरकार ने जहाज निर्माण और जहाज पुनर्चक्रण को पुनर्जीवित करने के लिए 70,000 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक पैकेज भी शुरू किया है। 25,000 करोड़ रुपये के कोष वाला समुद्री विकास कोष (एमडीएफ) भारत की टन भार और जहाज निर्माण क्षमताओं को प्रोत्साहन देने के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करेगा। एक संशोधित जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना (एसबीएफएएस) घरेलू जहाज निर्माण में लागत संबंधी कमियों को दूर करती है, जिसमें जहाज-तोड़ने के लिए क्रेडिट नोट भी शामिल हैं, जबकि जहाज निर्माण विकास योजना (एसबीडीएस) ग्रीनफील्ड क्लस्टर, ब्राउनफील्ड यार्ड विस्तार और जोखिम कवरेज का समर्थन करती है। विशाखापत्तनम में 305 करोड़ रुपये के निवेश के साथ भारतीय जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र (आईएसटीसी) डिजाइन, अनुसंधान एवं विकास, इंजीनियरिंग और कौशल विकास के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा।
भारत का नाविक कार्यबल एक दशक पहले के 1.25 लाख से बढ़कर आज तीन लाख से अधिक हो गया है, जिससे देश प्रशिक्षित नाविकों के शीर्ष तीन वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया है। इससे भारत और विदेशों में नौवहन, जहाज संचालन, रसद और संबद्ध समुद्री उद्योगों में व्यापक अवसर पैदा होते हैं।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इन पहलों की रोजगार क्षमता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “इन परिवर्तनकारी उपायों से जहाज निर्माण, बंदरगाहों, नौवहन, लॉजिस्टिक्स और संबद्ध उद्योगों में 25-30 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की संभावना है। भारत का समुद्री पुनरुत्थान केवल आर्थिक विकास के बारे में ही नहीं है, बल्कि एक विकसित भारत और एक आत्मनिर्भर भारत में हमारे युवाओं के लिए सार्थक करियर बनाने के बारे में भी है।”
श्री सोनोवाल ने कहा, “इस क्षेत्र में कदम रखने वाले स्नातकों पर नैतिकता को बनाए रखने, नवाचार को अपनाने और तकनीकी एवं पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने का दायित्व होता है, जो भारत के एक समुद्री महाशक्ति और समुद्री अर्थव्यवस्था में एक वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरने में सीधे योगदान करते हैं।”