बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां
बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां
सहकारिता मंत्रालय ने आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों सहित देश भर में बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपीएसीएस) की दीर्घकालिक वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, साथ ही छोटे और सीमांत किसानों को किफायती ऋण और गुणवत्तापूर्ण जानकारी प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं का समाधान भी किया है। इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सामूहिक रूप से, इन प्रयासों का उद्देश्य पीएसीएस को जीवंत, बहुउद्देशीय संस्थानों में बदलना, वित्तीय लचीलापन सुनिश्चित करना और उनसे जुड़े छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका को बढ़ाना है।
बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पंजीकृत संस्था भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल),ने फाउंडेशन और ब्रीडर बीज के आगे गुणन के लिए विभिन्न फसलों और किस्मों के आनुवंशिक रूप से उच्च क्षमता वाले अच्छी गुणवत्ता वाले ब्रीडर बीज प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित अग्रणी अनुसंधान संगठनों के साथ कपंनी ज्ञापनों/समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं:
निजी बीज कंपनियों से प्रतिस्पर्धा और एमपीएसीएस कृषि इको-सिस्टम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, बीबीएसएसएल निम्नलिखित कदम उठा रहा है:
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) सहित भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना के माध्यम से ‘देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी व्यापक पहुंच की योजना;
- 2,925.39 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ केंद्र प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कम्प्यूटरीकरण, उनकी परिचालन दक्षता बढ़ाने, कारोबारी लागत को कम करना और ऋण वितरण को सुनिश्चित करना;
- सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना, पीएसीएस स्तर पर विकेन्द्रीकृत भंडारण क्षमता और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, जिसमें कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयां आदि शामिल हैं, जिससे किसानों को संकट बिक्री से बचने और अपने उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी;
- किसानों को एक ही स्थान पर उर्वरकों और अन्य कृषि सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां;
- सामान्य सेवा केन्द्रों (सीएससी) के रूप में पीएसीएस, पंचायत स्तर पर ही ग्रामीण नागरिकों को 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करेंगे;
- पीएसीएस पेट्रोल/डीजल आउटलेट और एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप संचालित करेंगी, जिससे उनके और उनके किसान सदस्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व के स्रोत बढ़ेगें;
- बैंक मित्र सहकारी समितियों और उनके सदस्यों को घर बैठे बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रुपे किसान क्रेडिट कार्ड, माइक्रो-एटीएम के माध्यम से वित्तीय समावेशन को मजबूत करना;
- सहकारी क्षेत्र में पीएसीएस द्वारा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन, ताकि बाजार संपर्क को सुगम बनाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त हो;
- दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और किसानों को आय स्थिरता प्रदान करने के लिए ई-संयुक्ति (एनसीसीएफ) और ई-समृद्धि (एनएएफईडी) के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पीएसीएस के पूर्व-पंजीकृत किसानों से अरहर, मसूर, उड़द और मक्का की खरीद की गारंटी।