Current Affairs

जनजातीय क्षेत्रों के लिए योजनाएँ

जनजातीय क्षेत्रों के लिए योजनाएँ

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने आज श्री समीरुल इस्लाम के अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए राज्यसभा को बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय देश में अनुसूचित जनजातियों (अजजा) के कल्याण और विकास के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रहा है। इन योजनाओं और पिछले तीन वित्तीय वर्षों के प्रत्येक वर्ष में पश्चिम बंगाल राज्य को आवंटित निधियों का विवरण अनुलग्नक I में दिया गया है।

सरकार देश में अनुसूचित जनजातियों और जनजातीय बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए एक कार्यनीति के रूप में अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) को क्रियान्वित कर रही है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अलावा, 41 मंत्रालय/विभाग अनुसूचित जनजातियों (अजजा) और गैर-अजजा आबादी के बीच विकासात्मक अंतर को पाटने के लिए डीएपीएसटी के तहत जनजातीय विकास के लिए और शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिए हर साल अपने कुल योजना बजट का कुछ प्रतिशत आवंटित कर रहे हैं।

वर्तमान में, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों सहित पात्र वृद्धजनों को पेंशन प्रदान की जा रही है। एनएसएपी के घटक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (आईजीएनओएपीएस) के अंतर्गत, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों के 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को सहायता प्रदान की जाती है।

 

अनुलग्नक I

श्री समीरुल इस्लाम द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के लिए योजनाएँके संबंध में दिनांक 20.08.2025 को पूछे जाने वाले राज्य सभा अतारांकित प्रश्न संख्या 3182 के भाग () से भाग () के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक।

देश में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण:

(i) धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2024 को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान में 17 लाइन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 25 उपाय शामिल हैं और इसका उद्देश्य 63,843 गाँवों में बुनियादी ढाँचे की अंतरों को दूर करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनवाड़ी सुविधाओं तक पहुँच में सुधार करना और 5 वर्षों में 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों और 2,911 ब्लॉकों में 5 करोड़ से अधिक जनजातियों को आजीविका के अवसर प्रदान करना है। इस अभियान का कुल बजटीय परिव्यय 79,156 करोड़ (केंद्रीय हिस्सा: ₹56,333 करोड़ और राज्य हिस्सा: ₹22,823 करोड़) रुपये है।

(ii) प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन): सरकार ने 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) शुरू किया है, जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 24,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय वाले इस मिशन का उद्देश्य 3 वर्षों में समयबद्ध तरीके से पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क और दूरसंचार सम्पर्क, गैर-विद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण करना है।

(iii) प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम): जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) को क्रियान्वित कर रहा है, जिसे जनजातीय आजीविका को बढ़ावा देने के लिए दो मौजूदा योजनाओं के विलय के माध्यम से डिजाइन किया गया है, अर्थात, “न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास” और “जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहायता”।

इस योजना में चयनित लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण और घोषणा करने की परिकल्पना की गई है। किसी विशेष लघु वनोपज (एमएफपी) वस्तु का प्रचलित बाजार मूल्य निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने की स्थिति में, पूर्व-निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और विपणन कार्य, निर्दिष्ट राज्य एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। साथ ही, सतत संग्रहण, मूल्य संवर्धन, अवसंरचना विकास, लघु वनोपज (एमएफपी) के ज्ञान आधार का विस्तार और बाजार आसूचना विकास जैसे अन्य मध्यम और दीर्घकालिक मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा।

(iv) एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस): जनजातीय बच्चों को उनके अपने परिवेश में नवोदय विद्यालय के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2018-19 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) शुरू किए गए थे। नई योजना के अंतर्गत, सरकार ने 440 ईएमआरएस स्थापित करने का निर्णय लिया है, 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों वाले (2011 की जनगणना के अनुसार) प्रत्येक ब्लॉक में एक ईएमआरएस स्थापित होगा। 288 ईएमआरएस स्कूलों को शुरू में संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुदान के तहत वित्त पोषित किया गया था, जिन्हें नए मॉडल के अनुसार उन्नत किया जा रहा है। तदनुसार, मंत्रालय ने देश भर में लगभग 3.5 लाख अनुसूचित जनजाति के छात्रों को लाभान्वित करने के लिए कुल 728 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।

(v) संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुदान: संविधान के अनुच्छेद 275(1) के प्रावधान के अंतर्गत, अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन के स्तर को बढ़ाने और जनजातीय लोगों के कल्याण हेतु अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाले राज्यों को अनुदान जारी किए जाते हैं। यह एक विशेष क्षेत्र कार्यक्रम है और राज्यों को 100% अनुदान प्रदान किया जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, आजीविका, पेयजल, स्वच्छता आदि के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की गतिविधियों में अंतर को पाटने के लिए अनुसूचित जनजाति जनसंख्या की महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर राज्य सरकारों को निधियां जारी की जाती हैं।

(vi) अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता: अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता योजना के अंतर्गत, मंत्रालय शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, जिसमें आवासीय विद्यालय, गैर-आवासीय विद्यालय, छात्रावास, सचल औषधालय, दस या अधिक बिस्तरों वाले अस्पताल, आजीविका आदि शामिल हैं।

(vii) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्ति: यह योजना कक्षा IX-X में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए लागू है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर आय 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दिवा छात्रों को 225 रुपये प्रति माह और छात्रावास में रहने वालों को 525 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति वर्ष में 10 महीने की अवधि के लिए दी जाती है। छात्रवृत्ति राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन के माध्यम से वितरित की जाती है। पूर्वोत्तर और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों जहाँ यह अनुपात 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। विधायिका रहित संघ राज्यक्षेत्रों के लिए साझाकरण पैटर्न 100% केंद्रीय हिस्सा है।

(viii) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति: इस योजना का उद्देश्य मैट्रिकोत्तर या उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययन कर रहे अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को उनकी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले अनिवार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति संबंधित राज्य शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित सीमा के अधीन की जाती है और अध्ययन के पाठ्यक्रम के आधार पर 230 रुपये से 1200 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति राशि का भुगतान किया जाता है। यह योजना राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासनों द्वारा कार्यान्वित की जाती है। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/संघ राजयक्षेत्र हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जहां यह 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए साझाकरण पैटर्न 100% केंद्रीय हिस्सा है।

(ix) अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्तियाँ: यह योजना चयनित छात्रों को विदेश में स्नातकोत्तर, पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरल अध्ययन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करती है। प्रतिवर्ष कुल 20 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं। इनमें से 17 छात्रवृत्तियाँ अनुसूचित जनजातियों के लिए और 3 छात्रवृत्तियाँ विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के छात्रों के लिए हैं। माता-पिता/परिवार की आय सभी स्रोतों को मिलाकर ₹6.00 लाख प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(x) अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्चत्तर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति और छात्रवृत्ति:

() राष्ट्रीय छात्रवृत्ति– (उच्च श्रेणी) योजना [स्नातक स्तर]: इस योजना का उद्देश्य मेधावी अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मंत्रालय द्वारा चिन्हित देश भर के 265 उत्कृष्ट संस्थानों, जैसे आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनआईआईटी आदि में से किसी में भी निर्धारित पाठ्यक्रमों में अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करना है। सभी स्रोतों से पारिवारिक आय 6.00 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। छात्रवृत्ति राशि में शिक्षण शुल्क, रहने का खर्च और पुस्तकों व कंप्यूटर के लिए भत्ते शामिल हैं।

() अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति: भारत में एमफिल और पीएचडी की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रति वर्ष 750 अध्येतावृत्तियां प्रदान की जाती हैं। अध्येतावृत्ति यूजीसी के मानदंडों के अनुसार प्रदान की जाती है।

(xi) जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को सहायता: मंत्रालय इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों को जहां पहले से नए टीआरआई स्थापित नहीं हैं, वहां उनकी स्थापना करने के लिए और मौजूदा टीआरआई के कामकाज को सुदृढ करने हेतु अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, समृद्ध जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने आदि के प्रति अपनी मुख्य जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करता है। जनजातीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, कला और कलाकृतियों के रखरखाव और संरक्षण, जनजातीय संग्रहालय की स्थापना, जनजातियों के लिए राज्य के अन्य हिस्सों में आदान-प्रदान यात्राओं, जनजातीय त्योहारों के आयोजन आदि के माध्यम से देश भर में जनजातीय संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां करने के लिए टीआरआई को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा शीर्ष समिति के अनुमोदन से आवश्यकतानुसार टीआरआई को 100% सहायता अनुदान वित्त पोषित है।

पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा पश्चिम बंगाल में योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत किया गया निधि आवंटन निम्नानुसार है:

 

 

अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत जारी की गई निधियों का ब्यौरा

(करोड़ रुपये में)

 

क्र. सं.

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम

वित्तीय वर्ष 2022-23

वित्तीय वर्ष 2023-24

वित्तीय वर्ष 2024-25*

1

पश्चिम बंगाल

 

29.89

 

*अनंतिम

 

अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत जारी की गई निधियों का ब्यौरा

(करोड़ रुपये में)

क्र. सं.

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम

वित्तीय वर्ष 2022-23

वित्तीय वर्ष 2023-24

वित्तीय वर्ष 2024-25*

1

पश्चिम बंगाल

 

34.06

35.00

 

*अनंतिम

पीवीटीजी का विकासयोजना के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों के दौरान जारी निधियों का ब्यौरा निम्नानुसार है:

                                                   (लाख रुपये में)

क्र. सं.

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25*

1

पश्चिम बंगाल

665.95

0

1631.05

*अनंतिम

 

 

पिछले पांच वर्षों में एनएसटीएफडीसी द्वारा वितरित ऋण की राशि

(लाख रुपये में)

क्र. सं.

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25*

वितरित राशि

वितरित राशि

वितरित राशि

1

पश्चिम बंगाल

1643.33

1526.59

2233.75

 

 

पिछले 3 वर्षों के दौरान पीएमएएजीवाई के अंतर्गत जारी निधियों का ब्यौरा

 

(लाख रुपये में)

क्र. सं.

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25*

निर्मुक्त निधि

निर्मुक्त निधि

निर्मुक्त निधि

1

पश्चिम बंगाल

3495.20

0.00

0.00

*अनंतिम

 

संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत जारी निधियों का ब्यौरा (05.06.2025 तक)

 

 

 

(रुपये लाख में)

 

क्र. सं.

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25*

 

 

 

कुल निर्मुक्ति

कुल निर्मुक्ति

कुल निर्मुक्ति

 

1

पश्चिम बंगाल

4186.5

4744.4

3549.61

 

*अनंतिम

अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 से 2024-25 के दौरान जारी निधि का ब्यौरा

(रुपये लाख में)

राज्य

2022-23

2023-24

2024-25*

पश्चिम बंगाल

476.1

1167.79

1390.18

*अनंतिम

 

पिछले तीन वर्षों के दौरान ईएमआरएस के अंतर्गत जारी निधियों का ब्यौरा

(लाख रुपये में)

 

क्र. सं.

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम

2022-23

2023-24

2024-25*

1

पश्चिम बंगाल

2,303.67

1,869.70

1,789.50

*अनंतिम