कोयला क्षेत्र की स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए कार्यनीतियां
कोयला क्षेत्र की स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए कार्यनीतियां
भारत के पास विश्व का पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है जो देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देता है और देश की ऊर्जा ज़रूरतों का 55 प्रतिशत हिस्सा इसी से पूरा होता है। भारत का ऊर्जा मिश्रण विविध है, लेकिन इसमें कोयले की प्रधानता है, जो देश के बिजली उत्पादन का एक उल्लेखनीय हिस्सा है। हालांकि सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत तीव्र गति से बढ़ रहे हैं, फिर भी कोयले की तुलना में समग्र ऊर्जा मिश्रण में इनका हिस्सा कम है। देश बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं पर ध्यान देने के लिए अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और नवीकरणीय ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर वैश्विक बदलाव और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने देश के कोयला क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कार्यनीतिक पहल की है –
वर्तमान आयात नीति के अनुसार, कोयले को खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत रखा गया है और उपभोक्ता लागू शुल्कों के भुगतान पर उनकी संविदात्मक कीमतों के अनुसार अपनी पसंद के स्रोत से कोयला आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकार के ठोस प्रयासों के कारण, कोयले का आयात 2023-24 में 264.5 मीट्रिक टन से घटकर 2024-25 में 243.6 मीट्रिक टन हो गया है।
आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:-
i. घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर आयातित कोयले पर निर्भरता कम करना – ऐसा कोयला ब्लॉकों के आवंटन को सुगम बनाकर, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करके और कोयला खनन परियोजनाओं के लिए आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके किया गया। इसके अतिरिक्त, फ़र्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) और डिजिटलीकरण जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाकर सरकारी कोयला कंपनियों द्वारा कोयला उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
ii. घरेलू कोयला खपत को प्रोत्साहित करना – इस दिशा में, कोयला आयात प्रतिस्थापन हेतु एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है। आईएमसी ने अपनी विभिन्न बैठकों के माध्यम से आयातित कोयला आधारित (आईसीबी) संयंत्रों की पहचान की है जहां घरेलू कोयले की आपूर्ति की जांच की जा सकती है। इन संयंत्रों ने अपनी विशिष्ट कोयला आवश्यकताओं और पसंदीदा सीआईएल सहायक कंपनियों का संकेत दिया है।
iii. कोयला निकासी अवसंरचना/कोयला आपूर्ति श्रृंखला में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना – भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप, कोयला कंपनियों ने चरणबद्ध तरीके से नई रेलवे लाइनों और फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं के निर्माण के माध्यम से कोयला परिवहन और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार किया है।
iv. राजकोषीय उपायों के संबंध में, संशोधित शक्ति नीति, 2025 के अंतर्गत आयातित कोयला आधारित (आईसीबी) संयंत्रों को नीति की विंडो-II के अंतर्गत कोयला प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।
यह जानकारी केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।