कलाकारों के लिए आईपी शिक्षा प्रकोष्ठों की स्थापना
कलाकारों के लिए आईपी शिक्षा प्रकोष्ठों की स्थापना
संस्कृति मंत्रालय भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में बौद्धिक संपदा (आईपी) जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। मंत्रालय इस उद्देश्य से अपनी अकादमियों, केंद्रों और घटक इकाइयों में बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ स्थापित करने की योजना बना रहा है जिससे कलाकारों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जा सके, बौद्धिक संपदा पंजीकरण को सुगम बनाया जा सके और संगीत वाद्ययंत्रों जैसे पारंपरिक उत्पादों के भौगोलिक संकेत (जीएल) पंजीकरण में सहायता की जा सके। मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के अपने प्रयासों के तहत मंत्रालय सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से जुड़ी बौद्धिक संपदा की मान्यता और सुरक्षा पर ज़ोर देता है।
मंत्रालय सांस्कृतिक क्षेत्र की बौद्धिक संपदा पहलों को मज़बूत करने के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकार संवर्धन एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ (CIPAM) जैसे निकायों के साथ भी सहयोग करता है। सांस्कृतिक पहचान से उनके घनिष्ठ संबंध को देखते हुए, पारंपरिक ज्ञान (TK) और भौगोलिक पहचान (GI) के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) मंत्रालय के अंतर्गत नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है, तथा यह सुनिश्चित करती है कि कलाकारों की सहमति कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेने से पहले प्राप्त की जाए। देश भर में अपने विभिन्न केंद्रों के माध्यम से, एसएनए जमीनी स्तर के कलाकारों को प्रशिक्षण और प्रदर्शन के अवसर भी प्रदान करती है, जिससे भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान मिलता है।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।