Text of the Vice-President’s address at Silver Jubilee Celebration of Sobhasaria Group of Institutions at Sikar, Rajasthan
Text of the Vice-President’s address at Silver Jubilee Celebration of Sobhasaria Group of Institutions at Sikar, Rajasthan
It gives me great joy to be associated with the Silver Jubilee Celebrations of Sobhasaria Group of Institutions.
On this happy and momentous occasion, let me partake in the joy and pride of the management, staff, students, and alumni of this institution as it crosses a significant milestone in the march towards the future.
Guided by consideration of service to society, एक ही धारणा थी, मूल धारणा थी कि समाज की सेवा करनी है। इस उद्देश्य से प्रेरित होकर, जो संस्था की शुरुआत हुई एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में, आज वह संस्था एक समूह बन गया है – Sobhasaria Group of Institutions। और इसीलिए, और बहुत सही तरीके से, भारत सरकार ने 2022 में एक निर्णय लिया। श्री प्रहलाद राय अग्रवाल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया और यह पहचान दी गई कि Shri Agarwala has distinguished himself in the service of trade and industry, espousing the cause of Make in India. To the visionary steering this institution, I have no doubt that in times to come, it will grow to greater heights.
जब किसी भी संस्था के 25 साल होते हैं, उस समय चिंतन का होता है, मंथन का होता है, पीछे देखना होता है कि हमने क्या किया, और आगे का रास्ता चुनना होता है।
I have no doubt that this great challenge will be met by the visionary Shri Agarwala and, as Bharat attains the status of a fully developed nation by 2047, Sobhasaria Group of Institutions will emerge as a centre of excellence in the form of an established university.
और जो रचना आगे कर रही है, उसका मूल केंद्र, मुख्य बिंदु ऐसा होना चाहिए कि छात्र–छात्राएं सही तरीके से अपनी प्रतिभा दिखा पाएँ।
Let me, at the outset, reflect कि आज के हालात क्या हैं। हमारे समय के हालात, आजकल के बच्चों के समझ में भी नहीं आएंगे। आज हालत बहुत बेहतर हैं। तब के हालात का वर्णन नहीं करना चाहता, पर आज के हालात यह हैं कि कानून के सामने सबकी समानता है। Patronage is no longer a password to a contract or a job, there is a rule of meritocracy. Privileged pedigree has yielded to meritocracy.
और आज का जो शासन है, वह पारदर्शिता का है, उत्तरदायित्व का है। इसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है। टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। Boys and girls, you are fortunate to be living in times where you benefit from an ecosystem that allows you to fully exploit your talent, realise your aspirations, and achieve your dreams.
चारों तरफ एक ही माहौल है – the atmosphere of hope and possibility. भारत संभावनाओं से भरा देश है, और दुनिया भारत का लोहा मान चुकी है।
If I look around, the IMF, the World Bank, जो कुछ समय पहले भारत को सिखाते थे कि शासन व्यवस्था कैसे हो, आज के दिन भारत की प्रशंसा करते हुए थकते नहीं हैं।
And Bharat is getting accladades from every quarter as a global favourite destination of investment and opportunities. पर ऐसा क्यों न हो?
एक दशक पहले, हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की पांच हिलती–डुलती अर्थव्यवस्थाओं में थी, कभी भी गिर सकती थी। हम कहां से कहां आ गए हैं। दुनिया की पांचवी आर्थिक महाशक्ति। दो साल में तीसरी बड़ी महाशक्ति, जापान और जर्मनी के आगे। हमारी इकोनॉमी 4 ट्रिलियन को टच कर रही है।
हमारी ग्रोथ रेट दुनिया को अचंभित कर रही है। GDP growth is 8 percent और दुनिया की कोई भी बड़ी इकोनॉमी इसके नजदीक नहीं है। This is a great achievement of भारत.
और ऐसा क्यों नहीं हो? आप यह देखिए, जिस देश में हर साल चार नए एयरपोर्ट बनते हैं, एक नया मेट्रो स्टेशन चालू होता है, जिस देश में हर दिन 14 किलोमीटर हाईवे बनते हैं और वर्ल्ड क्लास हाईवेज 14 किलोमीटर प्रति दिन और 6 किलोमीटर प्रति दिन रेल ट्रैक का विस्तार हो रहा है। आप चारों तरफ देख रहे हैं, पहले क्या हालात थे और अब क्या हालात हैं, हमारी रेलगाड़ी का, हमारे एयरपोर्ट्स का, हमारे हाईवेज का, हमारी इंटर कनेक्टिविटी का, ऐसा सोचा नहीं था। एक तरीके से मेरी पीढ़ी के लिए यह अचंभा है; हम सपना भी नहीं देख सकते थे जो कुछ आज सरकार कर रही है।
Young boys and girls, I must invite your attention that we are living in times of disruptive technology. Young minds have to grapple with them artificial intelligence, internet of things, blockchain, and machine learning. There is a change every day, and this change is a challenge. This change has to be converted into opportunities, and that can be done only through education. I am sure this institute, under the able visionary leadership of ‘Padma Shri’ Shri P.R. Agarwala, will take steps so that in the next 25 years, it will be handling a curriculum that is futuristic, that will impart education in those branches of technology that are the envy of the world.
हम यदि तकनीकी रूप से आगे नहीं रहेंगे, तो हमारी आर्थिक प्रगति रुक जाएगी। आर्थिक प्रगति का ठोस आधार है कि देश के अंदर रिसर्च, इनोवेशन, और शिक्षा का वातावरण कैसा है।
एक बात बड़ी सराहनीय है, प्रशंसनीय है कि इस संस्था को इस स्थान पर स्थापित किया गया है। Time has come where we must focus on our tier-2 and tier-3 cities. Locational advantage is there for the students, for the ecosystem, and for holistic growth. I am sure others will follow this example.
मेरी दृढ़ मान्यता है, मेरा अटूट विश्वास है कि समाज में बड़ा बदलाव, स्थाई बदलाव, और विषमताओं को कुंठित करने का काम एक ही माध्यम से हो सकता है – शिक्षा के माध्यम से। It is the education that is the most impactful, transformative mechanism to bring about equality, cut into inequity, and be a great societal leveller. हमारे इतिहास में जाएंगे, तो देखेंगे गुरुकुल का क्या महत्व था। गुरुकुल में कोई फीस नहीं होती थी। भारतीय संविधान में 22 चित्र हैं, जिसमें नागरिकता के प्रावधान में गुरुकुल का चित्र है। आज के दिन आवश्यकता है कि हम शिक्षा को व्यापारी बुद्धि से बचाएं।
I find all around that what was to begin with charitable work, what was to begin with समाज को वापस देने का काम, समाज की सेवा करने का काम, आज वह एक व्यापार बन गया है। शिक्षा का व्यापार बनना देश के भविष्य के लिए कभी अच्छा नहीं है। मेरी मान्यता है कि शिक्षण संस्थानों को आर्थिक रूप से सबल होना चाहिए। They must be financially sustainable. पर इंडस्ट्री का दायित्व है कि समय–समय पर संस्थाओं को नर्चर करें। They must use their CSR funds liberally to build institutions. यह देश की प्रगति में बहुत बड़ा सहायक होगा।
Institutions have to emerge as crucibles of innovation and research. सबसे बड़ा फायदा रिसर्च का और इनोवेशन का यह है कि यह उद्योग और अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है और देश को एक बहुत बड़ी ताकत देता है दुनिया के सामने।
एक जमाना था जब भारत का क्या नाम था! हमारे भारत में तक्षशिला, नालंदा, मिथिला, वल्लभी, विक्रमशिला जैसी अनेक संस्थाएं थीं जो पूरे भारत में छाई हुई थीं। दलाई लामा जी ने कहा था कि जो भी बुद्ध का ज्ञान है, वह सब नालंदा से निकला है। पर क्या हुआ? बख्तियार खिलजी ने in reckless manner इनको बर्बाद कर दिया, नालंदा को खत्म कर दिया। It was the cause of an invasion. हमारी संस्थाओं को नष्ट किया गया।
अंग्रेज कल आए, हमारी संस्थाओं की ताकत थी, उसे सहब कर लिया गया। जो भारत दुनिया में ज्ञान का केंद्र था, पूरी दुनिया भारत की ओर देखती थी, उन संस्थाओं की जड़ें काट दी गईं।
Let me tell you, friends, and never forget it, Bakhtiyaar Khanji destroyed that great centre of learning, Nalanda, out of his deep-rooted bigotry, and I am not saying so. This emanates from the secular history of India. I am not exaggerating a bit. Subsequently, as I indicated, Indian institutions were systematically dismantled under the British rule. अंग्रेजों के जमाने में उनका ध्वस्त किया गया।
स्वामी विवेकानंद जी वह महापुरुष थे, अजमेर अपने यहां से ज्यादा दूर नहीं है वह देवलोक पधारे वहां से। 19 सेंचुरी में उन्होंने बड़ा प्रयास किया इसको वापस उजागर करने का। अब समय आ गया है कि इस महान यज्ञ में भारत को शिक्षा का मुख्य केंद्र बनाने में हर कोई आहुति दे।
I appeal to trade, industry, commerce, and business. They should liberally contribute to the evolution of these institutions. शिक्षा में जो भी धन लगाया जाएगा, any investment in education is an investment in our future, an investment in our economic rise, and an investment for peace and stability. हमारा संकल्प होना चाहिए कि जब भारत 2047 में विकसित राष्ट्र बने, we should be a super knowledge power of the world और ऐसा क्यों नहीं, क्योंकि हम सदियों तक थे।
Let me at the outset reflect कि आज के हालात क्या हैं। हमारे समय के हालात आजकल के बच्चों के समझ में भी नहीं आएंगे। आज हालत बहुत बेहतर हैं। तब के हालात का वर्णन नहीं करना चाहता, पर आज के हालात हैं। कानून के सामने सबकी समानता है। Patronage is no longer a password to a contract or a job, there is the rule of meritocracy. Privileged pedigree has yielded to meritocracy.
और आज का जो शासन है, पारदर्शिता का है, उत्तरदायित्व का है। इसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है। टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। Boys and girls, you are fortunate, you’re living in times where you benefit from an ecosystem that allows you to fully exploit your talent, your potential, and realise your aspirations and dreams.
एक नई बीमारी और है, बच्चों, मैं आपको address कर रहा हूं, विदेश जाने की। विदेश पढ़ाई करने की काउंसलिंग पेरेंट्स को होती नहीं है। बच्चा लालायित होकर जाना चाहता है। उसको नया सपना दिखता है। उसको लगता है कि वहां जाते ही स्वर्ग मिल जाएगा। कोई आकलन नहीं है कि किस संस्था में जा रहा है, किस देश में जा रहा है, बस एक अंधाधुंध रास्ता है कि मुझे विदेश जाना है। आपको आश्चर्य होगा, 18 से 25 साल के बीच में जो boys एंड girls हैं, वह एडवर्टाइजमेंट से प्रभावित हो जाते हैं। और अंदाजा क्या है? 2024 में, 13 लाख छात्र–छात्राएं विदेश गए। उनके भविष्य का क्या होगा, उसका आकलन हो रहा है। यहां पढ़ते तो कितना उज्जवल होता, लोगों के समझ में आ रहा है।
और देश पर कितना बोझ है। They have created a hole of 6 billion US dollars in our foreign exchange. अंदाजा लगाइए यदि यह 6 billion US dollars are funnelled into improving the infrastructure of educational institutions, हमारे हालात क्या होते। इस ओर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। यह जो फॉरेन एक्सचेंज का लॉस है, I call it, it is forex drain, it is brain drain, ऐसा नहीं होना चाहिए। संस्थाओं का उत्तरदायित्व है कि वह अपने छात्र–छात्राओं को विदेशी हालात के बारे में अवगत कराएं। बताएं, जिस संस्था में आप एडमिशन ले रहे हैं, उसकी रैंकिंग क्या है, उसकी स्थिति क्या है। और इसी के साथ हमें एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम उठाना चाहिए कि जो भी समर्थवान हैं, वह समाज को देने की नीयत से, उस नीति पर आधारित रहकर, साफ मन से संस्थाओं का निर्माण करें Tier 2 cities में, tier 3 cities में और ग्रामीण प्रांत में। यह देश के लिए बहुत बड़ा बदलाव होगा।
आज के दिन टेक्नोलॉजी हमारे बीच आ गई है। हम इसका उतना उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जितना होना चाहिए। हमारे अध्यापक और अध्यापिकाओं में यह प्रतिभा है, but there are physical constraints. They can’t be everywhere or anywhere. We must use technology in the field of education. That will give our students great leverage to get quality education.
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जब नौकरी का मामला आता है, कि हम कहां जाएं, तो फिर समझ में नहीं आता है और 8-10 नौकरियों के पीछे लोग भागते रहते हैं। Our opportunity basket is getting enlarged day by day। सैकड़ों अवसर हैं, ब्लू इकोनॉमी में, समुद्र में, स्पेस में। ऐसा कोई जीवन का अंग नहीं है जहां प्रतिभा की आवश्यकता नहीं है। But our students, boys and girls, are not fully exposed to this basket. There is a need to generate awareness amongst youth about the ever-increasing opportunity basket. एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि 10% को भी यह नहीं पता कि 10 नौकरियों के अलावा और कौन सी प्रतिभाएं उपयोग में ली जा सकती हैं।
I therefore call upon educational institutions and industry leaders to hold seminars and make our young boys and girls aware of the avenues where they can aspire to serve the nation and themselves.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 साल के बाद, after taking into consideration hundreds and thousands of stakeholders, यह गेम चेंजर है। It’s a work in progress, समय लगेगा, पर हमें इसको जल्दी ग्रहण करना चाहिए। इसके हर पहलू को समझना चाहिए। यह हमारे नवयुवकों और नवयुक्तियों के लिए ब्रह्मास्त्र का काम करेगा। बिना जानकारी या जानकारी के अभाव में we are unable to reap the rich dividends brought about by the new national education policy.
आज के दिन हमारा भारत दुनिया के अंदर बहुत महत्व रखता है। कभी भी आज से पहले भारत की आवाज इतनी नहीं सुनी गई, कभी भी भारत की आवाज विश्व के पटल पर इससे ज्यादा बुलंद नहीं रही। ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति की धारणा होनी चाहिए, निष्ठा होनी चाहिए कि हम हमारे राष्ट्र में विश्वास रखेंगे, हर परिस्थिति में हम राष्ट्र को पहले रखेंगे। राजनीतिक, व्यक्तिगत या आर्थिक हित को राष्ट्र से ऊपर नहीं रखेंगे। कुछ लोग इसको चुनौती दे रहे हैं। उस चुनौती को खत्म करना, to neutralise these forces, anti-national forces, that is the obligation of our youth.
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