Text of PM’s speech at the NDTV World Summit 2025 in New Delhi
Text of PM’s speech at the NDTV World Summit 2025 in New Delhi
Her Excellency Prime Minister of Sri Lanka, हरिणी अमरसूर्या जी, His Excellency Former Prime Minister of Australia, My Friend टोनी एबट जी, His Excellency Former Prime Minister of UK ऋषि सुनक जी, Distinguished Guest, देवियों और सज्जनों, नमस्कार!
यह त्योहारों का समय है। मैं आप सभी को दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। उत्साह के इस माहौल में एनडीटीवी वर्ल्ड समिट हो रही है और आपने इस सेशन की थीम भी बहुत इंपोर्टेंट रखी है- Unstoppable Bharat, वाकई भारत आज रुकने के मूड में भी नहीं है। हम न रुकेंगे, न हम थमेंगे। हम 140 करोड़ देशवासी मिलकर तेजी से आगे बढ़ेंगे।
साथियों,
आज जब दुनिया में भली भांति के रोड ब्लॉक्स हैं, स्पीड ब्रेकर हैं, तब Unstoppable Bharat की चर्चा बहुत स्वाभाविक है और मैं इसको ग्यारह साल पहले की स्थितियां और वर्तमान के context में रखने का प्रयास करता हूं। आप याद कीजिए, 2014 से पहले इस प्रकार की समिट में किन मुद्दों को लेकर के चर्चा होती है। हेडलाइन क्या हुआ करती थीं, गली-मोहल्ले में conferences में किन-किन विषयों की चर्चा होती थी, आप सब जरूर याद करोगे, तो आपको ध्यान आएगा, चर्चा होती थी Global Headwinds को भारत कैसे झेलेगा? Fragile Five से भारत कैसे बाहर आएगा? Policy Paralysis में कब तक रहेगा भारत? भारत में बड़े-बड़े घोटाले कब बंद होंगे?
साथियों,
तब महिला सुरक्षा को लेकर बहुत सारे सवाल थे। आतंकी स्लीपर सेल किस तरह बेकाबू है, इसको लेकर खुलासे होते थे। महंगाई डायन खाए जात हैं, यह गीत छाए हुए थे। अब आपको बराबर पिन फिट हो गई कि 2014 के पहले क्या था। तब देश के लोगों को लगता था और दुनिया को भी लगता था कि इतने सारे संकटों के जंजाल में फंसा हुआ भारत इन संकटों से बाहर निकल ही नहीं पाएगा। लेकिन बीते ग्यारह वर्षों में भारत ने हर आशंका को ध्वस्त किया है। हर चुनौती को पस्त किया है। आज भारत अब Fragile Five से बाहर निकलकर टॉप फाइव इकोनोमीज़ में से एक बन गया है। आज इंफ्लेशन 2 परसेंट से नीचे है और ग्रोथ रेट 7 परसेंट से ज्यादा है। आज चिप से लेकर शिप तक चारों तरफ आत्मनिर्भर भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ भारत है। अब भारत आतंकी हमलों के बाद चुप नहीं बैठता है, सर्जिकल स्ट्राइक करके, एयर स्ट्राइक करके, ऑपरेशन सिंदूर करके भारत मुँह तोड़ जवाब देता है।
साथियों,
आप कोविड का समय याद कीजिए, जब दुनिया जिंदगी और मौत के साए में जी रही थी। जब दुनिया यह सोच रही थी कि इतनी बड़ी आबादी वाला देश, इतने बड़े संकट से कैसे बचेगा और लोगों को लगता था कि हिंदुस्तान के कारण दुनिया डूब जाएगी। तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन भारत ने हर कयास को गलत साबित करके दिखाया। हमने मुकाबला किया, हमने तेजी से अपनी वैक्सीन बनाई। हमने रिकॉर्ड समय में वैक्सींस लगाई और इतने बड़े संकट से बाहर निकलकर हम Fastest Growing Major Economy बन गए।
साथियों,
कोरोना का प्रभाव अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में Conflicts उभरने लगे। हेडलाइंस में युद्ध की खबरें छाने लगीं। अब एक बार फिर सवाल उठा कि भारत की ग्रोथ का क्या होगा और भारत ने ऐसे संकट के काल में भी एक बार फिर सारे कयासों को गलत साबित कर दिया। भारत Fastest Growing Major Economy बनकर आगे बढ़ता रहा। बीते तीन सालों में भारत की एवरेज ग्रोथ 7.8 परसेंट रही है। यह अभूतपूर्व है, अप्रत्याशित है। अभी दो दिन पहले ही मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट के आंकड़े आए हैं, पिछले साल के मुकाबले भारत का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट करीब 7 परसेंट और बढ़ गया है। पिछले वर्ष भारत ने करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट करके दिया है। कितने ही देशों की अस्थिर रेटिंग के बीच S&P ने 17 साल के बाद, After Seventeen Years भारत की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया है। आईएमएफ ने भी भारत की ग्रोथ को Upward Revise किया है। कुछ दिन पहले ही गूगल ने भारत के एआई स्पेस में 15 बिलियन डॉलर्स के बड़े इंवेस्टमेंट की घोषणा की है। आज ग्रीन एनर्जी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी बड़े-बड़े इंवेस्टमेंट हो रहे हैं।
साथियों,
आज भारत की ग्रोथ Global Opportunities को Shape कर रही है और यह वाक्य में बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। हाल में हुआ EFTA Trade Agreement इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। यूरोप के देशों ने भारत में 100 बिलियन डॉलर के इंवेस्टमेंट का कमिटमेंट किया है। इससे भारत में बड़ी संख्या में जॉब्स क्रिएट होंगी। कुछ ही दिन पहले यूके के पीएम मेरे मित्र स्टार्मर अपने सबसे बड़े बिजनेस डेलिगेशन के साथ भारत आए थे, यह दिखाता है कि दुनिया आज भारत में अपने लिए कितने बड़े अवसर हैं, वह बड़ी आशा के साथ देख रही है। आज जी7 देशों के साथ हमारा ट्रेड 60 परसेंट से ज्यादा बढ़ चुका है। पूरी दुनिया आज भारत को Reliable, Responsible और Resilient पार्टनर के रूप में देख रही है। इलेक्ट्रॉनिक से लेकर फार्मा तक, ऑटोमोबाइल से लेकर मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग तक निवेश की लहर भारत में आ रही है। यही इंवेस्टमेंट भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन का एक नर्व सेंटर बनाने में मदद कर रहा है।
साथियों,
इस समिट में आप Edge of the Unknown, इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं। दुनिया के लिए Edge of the Unknown एक Uncertain चीज हो सकती है, लेकिन भारत के लिए यह Opportunities का Gateway है। युगों से भारत ने अनजान रास्तों पर चलने का साहस दिखाया है। हमारे संतों ने, हमारे वैज्ञानिकों ने, हमारे नाविकों ने, हमेशा ये दिखाया कि “पहला कदम” ही परिवर्तन का प्रारंभ होता है। चाहे टेक्नॉलजी हो, कोरोना वैक्सीन की जरूरत हो, स्किल्ड मैनपावर, फिनटेक या ग्रीन एनर्जी सेक्टर हो, हमने हर Risk को Reform में, हर Reform को रिजीलिएंस में और हर रिजीलिएंस को Revolution में बदला है। अभी हाल ही में IMF चीफ ने कहा है कि वो भारत में रिफॉर्म्स की बोल्डनेस से बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने एक Example भी दिया और आपको मालूम होगा कि भारत में एक समय रिफॉर्म हुआ था। एक इकोसिस्टम उसके गीत बहुत गाता रहता है। हमारे मित्र हंस रहे हैं वहां लेकिन वो कंपल्शन के कारण था और वो भी कंपल्शन आईएमएफ का था, आज रिफॉर्म हो रहा है कंविक्शन के कारण और वही आईएमएफ कह रहा है कि रिफॉर्म का भारत का जो बोल्डनेस है, उसको नोटिस कर रहे हैं और आईएमएफ चीफ ने एक एग्जांपल भी दिया है कि हर कोई कह रहा था कि मास लेवल पर डिजिटल आइडेंटिटी देना संभव नहीं है। लेकिन भारत ने सबको गलत सिद्ध करके दिखाया। आज दुनिया का फिफ्टी परसेंट रियल टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन फिन टेक की दुनिया में भारत में ही होता है, 50 परसेंट! भारत का UPI, दुनिया के डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम को डॉमिनेट कर रहा है। यानी हर प्रिडिक्शन, हर आकलन से बेहतर करना, यह आज भारत का मिजाज बन चुका है। मैंने स्वभाव शब्द प्रयोग नहीं किया, मैंने मिजाज कहा है और मोदी है, तो मिजाज की ही बात करता है। और इसलिए ही भारत अनस्टॉपेबल है।
साथियों,
देश की उपलब्धियों को असली ताकत देश के लोगों से मिलती है और देश के लोग अपने सामर्थ्य का सही इस्तेमाल तभी कर पाते हैं, जब सरकार का उनके जीवन में ना दबाव हो और ना दखल हो। जहां ज्यादा सरकारीकरण होगा, वहां उतने ही ब्रेक लगेंगे और जहां ज्यादा लोकतंत्रीकरण होगा, वहां उतनी ही ज्यादा स्पीड आएगी। दुर्भाग्य से देश में 60 साल तक सरकार चलाने वाली कांग्रेस ने हमेशा policy के, Process के सरकारी-करण पर जोर दिया। जबकि बीते 11 वर्षों में हमने policy और Process के लोकतंत्रीकरण का काम किया है। अनस्टॉपेबल भारत के पीछे ये भी एक बड़ी वजह है। आप बैंकिंग का ही उदाहरण लीजिए। साठ के दशक में इंदिरा गांधी जी द्वारा बैंकों का क्या कहकर सरकारीकरण किया गया? कहा गया कि गरीबों, किसानों, श्रमिकों, यानी देश के आम लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचानी है इसलिए सरकारीकरण किया है, यह तर्क दिया गया था। जबकि वास्तविकता में कांग्रेस ने किया क्या, सरकारों ने क्या किया? बैंकों को देश की जनता से और दूर कर दिया गया, दूरी बढ़ा दी गई। गरीब तो बैंकों के दरवाजे तक भी जाने से डरता था। 2014 में जब हमारी सरकार बनी, तब देश की आधी से अधिक आबादी के पास अपना एक बैंक खाता तक नहीं था। और यह सिर्फ बैंक खाता न होने की समस्या नहीं थी। इसका मतलब, देश की बहुत बड़ी आबादी बैंकिंग के लाभ से वंचित थी। वह जरूरत पड़ने पर बाजार से महंगा ब्याज लेने-देने, अपना घर-जमीन गिरवी रखने के लिए मजबूर थी।
साथियों,
देश को इस सरकारीकरण से निकालना बहुत जरूरी था और यह हमने करके दिखाया है। हमने बैंकिंग सेक्टर का लोकतंत्रीकरण किया, उसमें रिफॉर्म किया। हमने मिशन मोड पर 50 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खोले, यानी पूरी दुनिया में जितने खाते खुलते होंगे, उसका टोटल एक तरफ और एक अकेले भारत का टोटल एक तरफ, इतना काम किया। आज देश के गांव-गांव में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट है। डिजिटल ट्रांजेक्शन ने भारत को वित्तीय रूप से दुनिया के सबसे बड़े इंक्लूसिव देशों में से एक बना दिया है। कांग्रेस के सरकारीकरण ने बैंकों में NPA’s का पहाड़ खड़ा कर दिया था। भाजपा के लोकतंत्रीकरण ने बैंकों को रिकॉर्ड प्रॉफिट में ला दिया है। बीते 11 वर्षों में, वीमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को, छोटे किसानों-पशुपालकों-मछुआरों को, रेहड़ी-पटरी-ठेला वालों को, विश्वकर्मा साथियों को, बिना बैंक गारंटी के लाखों करोड़ रुपए के लोन दिए गए हैं।
साथियों,
मैं आपको पेट्रोल और गैस सेक्टर का भी उदाहरण दूंगा। 2014 से पहले जब सरकारीकरण की सोच हावी थी, तब क्या स्थिति थी? पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी न बढ़ानी पड़े, आप सुनकर के चौंक जाएंगे, सरकारी खजाने से सब्सिडी न देनी पड़े, इसके लिए कांग्रेस सरकार रात आठ बजे से सुबह आठ बजे के बीच पेट्रोल पंप बंद करने की तैयारी कर रही थी, बताइए! अरे वो सात बजे भर लेगा भाई! अब आज क्या स्थिति है? आज 24 घंटे बे-रोकटोक पेट्रोल पंप खुले रहते हैं और हम अल्टरनेटिव फ्यूल्स पर, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर अभूतपूर्व निवेश कर रहे हैं।
साथियों,
कांग्रेस के समय में गैस का एक कनेक्शन पाने के लिए भी सांसदों से चिट्ठियां लिखवानी होती थी, Parliament के मेंबर को साल में 25 कूपन मिलता था और 25 कूपन वो अपने इलाके में लोगों को गैस कनेक्शन के लिए देता था, तो उनके घर में लोग लाइन लगाकर के खड़े रहते थे, मुझे एक गैस का कूपन दो, यह हाल थे। और आपको हैरानी होगी, 2013 के अखबार निकाल दीजिए, 2014 में मोदी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस रणनीति बना रही थी। वो मुझे ज्यादा जानते नहीं थे उस समय, अब भी शायद नहीं जानते हैं। तो उनकी चर्चा यह थी कि जनता को क्या वादा करें, तो चर्चा यह थी कि क्या साल के 6 सिलेंडर दें कि 9 सिलेंडर दें, इसकी चर्चा हो रही थी। यानी व्यवस्था पर इस हद तक सरकारीकरण हावी था। अब हमने आकर क्या किया? हमने 10 करोड़ से अधिक ऐसे गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दे दिया, जिन्होंने कभी सपने में भी इस सुविधा के बारे में नहीं सोचा था। गांव में जब गैस सिलेंडर आता था, तो सामान्य मानवी मानता था कि रहिसो के लिए है, बड़े लोगों के लिए है, उनके घर में गैस हो सकता है, गरीब के घर में नहीं हो सकता है। हमने यह परिस्थिति पलटी, 10 करोड़ घरों में गैस का चूल्हा चाहूंगा। ये होता है व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण और यही सच्चा संविधान का स्पिरिट होता है।
साथियों,
सरकारीकरण की सोच के उस दौर में, हमारी सरकारी कंपनियों पर, हमारे PSUs पर, कांग्रेस ताले लटकाकर चैन की नींद सो जाती थी। डूब रहा है, ताला लगाओ, डूब रहा है, ताला लगाओ। कांग्रेस सोचती थी कि क्यों इतनी मेहनत करें, डूबेगा तो डूबेगा, अपनी मौत मरेगा, हमारी जेब से क्या जाएगा, यह सोच थी। हमने इस सोच को भी बदल दिया और आज देखिए, LIC हो, SBI हो, हमारे बड़े-बड़े PSUs, सबके सब प्रॉफिट के नए रिकॉर्ड बना रहे हैं।
साथियों,
जब सरकारी नीतियों के मूल में सरकारीकरण के बजाय लोकतंत्रीकरण होता है, तब देशवासियों का मनोबल ऊंचा होता है। सरकारीकरण की इसी सोच में कांग्रेस कहती रह गई गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ, हर चुनाव में आपने देखा होगा, लाल किले से इस परिवार के सारे भाषण सुन लीजिए, लाल किले पर जो-जो गए हैं झंडा फहराने इस परिवार के, कोई भी नेता पहले से लेकर के आखिरी तक नहीं था, जिसने गरीबी का भाषण न दिया हो। आप यूट्यूब पर जाकर के इन पहले से अब तक के सारे भाषण सुन सकते हैं, लेकिन गरीबी कम नहीं हुई। जबकि लोकतंत्रीकरण की हमारी सोच ने पिछले 11 साल में 25 करोड़ गरीबों को गरीबी से बाहर निकाला है और इसलिए आज देश का भरोसा हम पर है और इसलिए आज भारत अनस्टॉपेबल है।
साथियों,
आज भारत में गरीबों के लिए, वंचितों की सेवा के लिए समर्पित सरकार है। हम पिछड़ों को प्राथमिकता देते हैं। उनका जीवन बेहतर बनाने के लिए पूरी संवेदनशीलता से काम कर रहे हैं। अक्सर बड़ी-बड़ी चर्चाओं में इस ओर आपका ध्यान नहीं जा पाता। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। बीते दिनों इस बात की चर्चा रही कि BSNL ने अपना मेड इन इंडिया 4G स्टैक लॉन्च किया है।
और साथियों,
मैं बताना चाहता हूं, वाकई यह देश की बहुत बड़ी सफलता है। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि भारत दुनिया के उन टॉप 5 देशों में शामिल है, जिनके पास अपने देश में तैयार 4G स्टैक है। हिंदुस्तान ने 2जी, 2जी, 2जी सुना है क्योंकि सारे हेडलाइन भरे पड़े रहते हैं, 2जी में ये हुआ, 2जी में ये हुआ। अब मैं 4जी की बात कर रहा हूं, तो ज़रा देर लगती है, वो सफाई करते-करते मेरा दम उखड़ रहा है। जिस सरकारी कंपनी को कांग्रेस ने बीएसएनएल को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, आज बीएसएनएल नए अचीवमेंट हासिल कर रही है।
लेकिन साथियों,
देश की सफलता का ये सिर्फ एक पक्ष है। इसका दूसरा पक्ष ये है कि जिस दिन ये 4G स्टैक लॉन्च हुआ, उसी दिन बीएसएनएल ने करीब एक लाख 4G मोबाइल टावर शुरू किए और इसका नतीजा क्या हुआ? इससे उन लाखों लोगों को हाई स्पीड इंटरनेट की सेवा मिलने लगी है, जो दूर-दराज के जंगलों में रहते हैं, जो पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जिनके यहां अब तक तेज स्पीड वाला इंटरनेट नहीं पहुंच पाया था।
साथियों,
अब मैं आपको हैरान करने वाली एक और बात बताता हूं। हम तो यह 2जी, 4जी, 6जी वो सब सुनते रहते हैं, तो हमको आसपास की दुनिया दिखती है, हम कुछ और सोचते हैं और सोचकर के कुछ नया करने का प्रयास करते हैं। और मैं आज देश की इस सफलता का एक तीसरा पक्ष भी आपके सामने रखना चाहता हूं और अभी तक मीडिया का ध्यान उस बात पर नहीं गया है। खैर बहुत सी बातें हैं, मेरे खाते में वो बहुत पीछे रह जाते हैं। जब दूर-सुदूर के इलाकों में ऐसी सुविधाएं पहुंचती हैं, तो वहां के लोगों का जीवन कैसे बदलता है। आपने शायद ई-संजीवनी के विषय में सुना होगा। मैं इस ई-संजीवनी का उदाहरण देता हूं। मान लीजिए एक परिवार है और दूर-सुदूर जंगलों में कहीं रहता है, जिसका एक सदस्य बीमार है और दूर कहीं पहाड़ी पर, कहीं जंगलों में बीमारी से वो परेशान है, अब खराब मौसम की वजह से वो अपने परिवार के बीमार मरीज को डॉक्टर के पास नहीं ले जा पा रहा है, तब वो क्या करेगा? ऐसी स्थिति में उसकी मदद कर रही है ई-संजीवनी सेवा, हाई-स्पीड कनेक्टिविटी पर आधारित सेवा ई-संजीवनी।
साथियों,
वो मरीज को अपने फोन में ई-संजीवनी ऐप के माध्यम से डॉक्टर से जुड़ता है और उसे स्पेशलिस्ट डॉक्टर से कंसल्टेशन की सुविधा मिल जाती है। NDTV के दर्शकों को ये जानकर अच्छा लगेगा कि अब तक ई-संजीवनी के माध्यम से 42 करोड़ लोग ओपीडी कंसल्टेशन ले चुके हैं। यानी 4जी, 2जी ये सुविधा नहीं, ये जीवन में एक नई ताकत बनकर के उभर रहा है और आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तो सुबह से शाम तक देश के 1 लाख से ज्यादा लोग ई-संजीवनी पर मदद पा चुके हैं। ये मैं 12 घंटे की बात बताता हूं। ई-संजीवनी सिर्फ एक सुविधा नहीं है, यह एक भरोसा है कि संकट आने पर उन्हें तुरंत मदद मिलेगी। यह एक उदाहरण है कि व्यवस्था में लोकतंत्रीकरण का कमाल क्या होता है!
साथियों,
एक संवेदनशील सरकार, लोकतंत्र के लिए समर्पित सरकार, संविधान के प्रति समर्पित सरकार, ऐसे ही निर्णय लेती है और ऐसे ही नीतियां बनाती है। हमारा जोर लोगों का जीवन आसान बनाने पर है, लोगों की बचत बढ़ाने पर है। जैसे पहले 1 GB डेटा, यह भी मैं 2014 के पहले की बात कर रहा हूं। 1 जीबी डेटा 300 रुपए में आता था, अब वही डेटा 10 रुपए में आता है। यानी हर भारतीय की जेब में सालाना हज़ारों रुपए बच रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना से गरीब मरीजों को सवा लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है। पीएम जन औषधि केंद्रों में 80 परसेंट डिस्काउंट पर दवाएं मिलती हैं। इनसे लोगों को करीब 40 हज़ार करोड़ रुपए की बचत हुई है। हार्ट के स्टेंट की कीमतें कम होने से गरीब और मिडिल क्लास के सालाना 12 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं।
साथियों,
हमने ईमानदार टैक्सपेयर को भी सीधा फायदा दिया है। इनकम टैक्स हो या GST, बहुत अधिक कमी की गई है। इसी वर्ष 12 लाख रुपए की इनकम पर टैक्स ज़ीरो किया गया है। और इस समय GST बचत उत्सव भी जोरों पर चल रहा है। यानी चारों तरफ मैं देख रहा हूं इन दिनों बाजारों के चित्र चल रहे हैं, गूगल देखेंगे तो चारों तरफ क्यों? यह जीएसटी का बचत उत्सव है, जिसने यह स्थिति पैदा की है। आजकल हम देख रहे हैं कि बिक्री के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इनकम टैक्स और GST इन दोनों कदमों से ही, एक साल में देशवासियों को करीब ढाई लाख करोड़ रुपए की बचत होनी तय है।
साथियों,
हाल के दिनों में देश ने, दुनिया ने, ऑपरेशन सिंदूर की बहुत चर्चा की है, अभी हमारे मित्र राहुल जी ने भी बड़े विस्तार से ऑपरेशन सिंदूर की बात की, वो आर्मी फैमिली के हैं, तो उनका इसमें जज्बा स्वाभाविक भी है, उनकी रगों में वो चीजें दौड़ती हैं। गर्व के साथ उन्होंने इसकी प्रशंसा भी की है और देश और दुनिया भी कर रही है। लेकिन आज मैं आपको एक और ऐसे विषय पर लेकर जाना चाहता हूं, जो देश की सुरक्षा के हिसाब से तो बड़ा है ही, ये मेरे नौजवानों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। ये विषय नक्सलवाद का है और मैं समझता हूं यह नक्सलवाद शब्द ऐसे ही लोगों ने लटका दिया है, हकीकत में यह माओवादी आतंक का है, यह माओवादी आतंक की कथा आज मैं सुनाना चाहता हूं आपको। कांग्रेस के शासन में जो अर्बन नक्सलों का जो इकोसिस्टम है, यह जो अर्बन नक्सल्स हैं, वो कुछ तरह ऐसे हावी थे, आज भी हैं, माओवादी आतंक की कोई भी घटना देश के लोगों तक न पहुंचे, इसके लिए वो बहुत बड़ी सेंसरशिप चलाते रहते हैं वो, हमारे देश में आतंकवाद की इतनी चर्चा होती थी। आर्टिकल 370 पर डिबेट होती थी। लेकिन हमारे शहरों में जो कांग्रेस के राज में पनपे हुए अर्बन नक्सली बैठे थे, जो ऐसी संस्थाओं पर कब्जा जमा करके बैठे थे, वो माओवादी आतंक पर पर्दा डालने काम करते थे, देश को अंधेरे में रखते थे। अभी कुछ दिन पहले भी माओवादी आतंक के कई पीड़ित दिल्ली आए थे, यह बड़ी दर्दनाक चीज है। बहुत बड़ी मात्रा में आए थे, किसी की टांग नहीं थी, किसी का हाथ नहीं था, किसी की आंख नहीं थी। शरीर के अंग कुछ चले गए थे। यह माओवादी आतंक के शिकार लोग थे। गांव के गरीब, आदिवासी, भाई-बहन किसान के बेटे थे, माताएं-बहनें थीं, दो-दो पैर कट चुके थे, वो दिल्ली में आए थे, सात दिन रहे। हाथ-पैर जोड़कर के कह रहे थे कि हमारी बात हिंदुस्तान के लोगों तक पहुंचाइए। Press Conference किया उन्होंने, आप में से किसी ने देखा नहीं होगा, सुना नहीं होगा, यह माओवादी आतंक के ठेकेदार जो बैठे हैं न, उन्होंने उस जुल्म के शिकार हुए उनके दर्द की कथा भी हिंदुस्तान के लोगों तक नहीं पहुंचने दी। कांग्रेस के इकोसिस्टम ने इसकी चर्चा ही नहीं होने दी।
साथियों,
हालात ऐसे थे कि देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य नक्सली हिंसा, माओवादी आतंक की चपेट में था। बाकी देश में संविधान लागू था, लेकिन रेड कॉरिडोर में संविधान का कोई नाम लेने वाला नहीं था और मैं बहुत जिम्मेदारी से कहता हूं कि जो माथे पर संविधान की किताब लेकर के नाचते हैं न, वह आज भी यह माओवादी आतंकियों, जो संविधान को नहीं मानते हैं, इनकी रक्षा के लिए दिन-रात लगा देते हैं।
साथियों,
सरकार तो चुनी जाती थी, लेकिन रेड कॉरिडोर में उसकी कोई मान्यता नहीं होती थी। शाम ढलती थी, तो घर से बाहर निकल पाना मुश्किल हो जाता था। जो जनता को सिक्योरिटी देने वाले लोग थे, उनको भी सिक्योरिटी लेकर चलना पड़ता था।
साथियों,
बीते 50-55 सालों में इस माओवादी आतंक की वजह से हजारों लोग मारे गए, कितने ही सुरक्षाकर्मी माओवादी आतंक का शिकार बने, कितने ही नौजवानों को हमने खोया, ये नक्सली, ये माओवादी आतंकी स्कूल नहीं बनने देते थे इलाके में, अस्पताल नहीं बनाने देते थे, अस्पताल है तो डॉक्टरों को घुसने नहीं देते थे। जो बने हुए थे, उनको भी बम से उड़ा दिया जाता था। दशकों-दशक तक विकास की रोशनी से देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा, बहुत बड़ी आबादी वंचित रही। इसका बहुत बड़ा नुकसान हमारे आदिवासी भाई-बहनों को, दलित भाई-बहनों को, गरीब लोगों को उठाना पड़ा।
साथियों,
माओवादी आतंक, देश के नौजवानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है, बहुत बड़ा पाप है। मैं देश के नौजवान को इस हाल में नहीं छोड़ सकता था, मैं बेचैनी महसूस करता था, जुबान पर ताला लगाकर के बैठा था। आज पहली बार मेरे दर्द को आज आपके सामने मैं प्रस्तुत कर रहा हूं। मैं उन माताओं को जानता हूं, जिन्होंने अपने लाल खोए हैं, उन माताओं की अपने लाल से कुछ अपेक्षाएं थीं, आशाएं थीं। या तो वो यह माओवादी आतंकियों के झूठी बातों में फंस गए या तो माओवादी आतंक के शिकार हो गए और इसलिए, 2014 के बाद हमारी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया और मैं देशवासियों को आज पहली बार कर रहा हूं, देशवासियों को संतोष होगा, देशवासी हमें आशीर्वाद देंगे, जिन माताओं ने अपने लाल खोए हैं, वो माताएं हमें आशीर्वाद देंगी, देश की शक्ति को आशीर्वाद देंगी और आज देश उसके नतीजे देख रहा है। 11 वर्ष पहले तक देश के सवा सौ जिले, 125 से ज्यादा माओवादी आतंक से प्रभावित थे।
और साथियों,
आज यह संख्या सिर्फ 11 जिलों तक सिमट गई है। आप जानते होंगे, कितना कुछ करना पड़ा होगा और उसमें भी 11 में भी अब सिर्फ तीन जिले ही ऐसे बचे हैं, जो सबसे अधिक माओवादी आतंक की चपेट में हैं।
साथियों,
बीते दशक में हज़ारों नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। मैं आपको पिछले 75 घंटों का आंकड़ा देता हूं, Only Seventy Five Hours, मैं जानता हूं यह मीडिया का मेन्यू नहीं है, लेकिन मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा संतोष का विषय है यह, इन 75 घंटों में 303 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। एक जमाने में जिनका 3 नॉट 3 चलता था न, आज वो 3 नॉट 3 सरेंडर हुए हैं। और यह कोई सामान्य नक्सली नहीं हैं, किसी पर 1 करोड़ का इनाम था, किसी पर 15 लाख का इनाम था, किसी पर 5 लाख का इनाम था और यह सारे के सारे इनके नाम पर इनाम घोषित हुए थे। इन नक्सलियों से बहुत बड़ी मात्रा में हथियार भी पकड़े गए हैं। यह सारे लोग बंदूके छोड़कर के, बम छोड़कर के भारत के संविधान को गले लगाने के लिए तैयार हुए हैं और जब संविधान के लिए पूर्ण समर्पित सरकार होती है न, तब गलत रास्ते पर गया हुआ व्यक्ति भी लौटकर के अपनी आंखों को उस संविधान पर टिका देता है। अब वो विकास की मुख्यधारा में आ रहे हैं। और यह लोग स्वीकार कर रहे हैं कि वो गलत रास्ते पर थे। पांच-पांच दशक बिता दिए, जवानी खपा दी लेकिन उन्होंने जो सोचा था, वो परिवर्तन नहीं आया। अब यह भारत के संविधान पर विश्वास करते हुए आगे बढ़ेंगे।
साथियों,
कभी मीडिया की हेडलाइंस हुआ करती थीं, छत्तीसगढ़ के बस्तर में ये हुआ, वो हुआ, एक पूरी बस को उड़ा दिया, इतने सब सुरक्षाबल के जवान मारे गए, बस्तर यह माओवादी आतंकियों का, नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था और अब आज मैं उसी बस्तर का उदाहरण देता हूं, आदिवासी नौजवान बस्तर ओलंपिक का आयोजन करते हैं और लाखों नौजवान बस्तर ओलंपिक में आकर के खेल के मैदान में अपनी ताकत दिखा रहे हैं, यह बदलाव है।
साथियों,
इस बार माओवादी आतंक से मुक्त क्षेत्रों में दिवाली की रौनक कुछ और होने जा रही है। 50-55 साल हुए, दीवाली नहीं देखी थी उन्होंने, अब दीवाली देखेंगे और मुझे पक्का विश्वास है दोस्तों, यह हमारी मेहनत रंग लाएगी और वहां भी खुशियों के दीए जलेंगे। और मैं आज देशवासियों को, NDTV के दर्शकों को विश्वास दिलाता हूं, वो दिन दूर नहीं, जब देश नक्सलवाद से, माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा और यह भी मोदी की गारंटी है।
साथियों,
विकसित भारत की हमारी यात्रा सिर्फ Growth की यात्रा नहीं है। जहां Development और Dignity साथ-साथ चलें, जहां गति भी हो, नागरिकों की गरिमा भी हो, जहां Innovation का उद्देश्य केवल Efficiency नहीं, बल्कि Empathy भी हो, करुणा भी हो। हम इस सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। और इस सोच को आगे बढ़ाने में, NDTV World Summit जैसे आयोजन बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। आपने मुझे देश की बात रखने के लिए आमंत्रित किया, इसके लिए मैं NDTV का आभार व्यक्त करता हूं। आप सभी को इस आयोजन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और दिवाली के उत्सव के लिए भी मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद!