Text of PM’s speech at launch of various development works in Dahod, Gujarat
Text of PM’s speech at launch of various development works in Dahod, Gujarat
सभी के तिरंगे लहराते रहना चाहिए
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई, रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव जी, गुजरात सरकार के सभी मंत्री मंडल के मेरे साथियों, सांसद, विधायक श्री अन्य सभी महानुभाव और मेरे दाहोद के प्यारे भाइयोंऔर बहनों,
कैसे है सभी? जरा जोर से जवाब दीजिए, अब दाहोद का प्रभाव बढ़ गया है।
आज 26 मई का दिन है। साल 2014 में आज के ही दिन पहली बार मैंने प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। तिरंगा चाहिए, गुजरात के आप सभी लोगों ने मुझे भरपूर आशीर्वाद दिया और बाद में देश के कोटि–कोटि जनों ने भी मुझे आशीर्वाद देने में कोई कमी नहीं रखी। आपके इस आशीर्वाद की शक्ति से मैं दिन रात देशवासियों की सेवा में जुटा रहा। इन वर्षों में देश ने वो फैसले लिए, जो अकल्पनीय थे, अभूतपूर्व हैं। इन वर्षों में देश ने दशकों पुरानी बेड़ियों को तोड़ा है, देश हर सेक्टर में आगे बढ़ा है। आज देश निराशा के अंधकार से निकलकर विश्वास के उजाले में तिरंगा फहरा रहा है।
साथियों,
आज हम 140 करोड़ भारतीय मिलकर अपने देश को विकसित भारत बनाने के लिए जी–जान से जुटे हैं। देश की तरक्की के लिए जो कुछ भी चाहिए, वो हम भारत में ही बनाएं, ये आज के समय की मांग है। भारत आज तेज़ गति से मैन्युफेक्चरिंग की दुनिया में आगे आ रहा है। देश की ज़रूरत के सामान का निर्माण हो, या फिर दुनिया के अलग–अलग देशों में हमारे देश की बनी हुई चीजों का एक्सपोर्ट, ये सारा लगातार बढ़ रहा है। आज हम स्मार्ट फोन से लेकर, गाड़ियां, खिलौने, सेना के अस्त्र–शस्त्र, दवाएं, ऐसा बहुत सारा सामान दुनिया के देशों में निर्यात कर रहे हैं। इतना ही नहीं आज भारत रेल, मेट्रो और इसके लिए ज़रूरी टेक्नॉलॉजी खुद बनाता भी है और दुनिया में एक्सपोर्ट भी करता है। और हमारा ये दाहोद इसका जीता जागता प्रमाण है।
थोड़ी देर पहले यहां हज़ारों करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इसमें सबसे शानदार दाहोद की इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री है। तीन साल पहले, मैं इसका शिलान्यास करने आया था। और कुछ लोगों को तो आदत हो गई है कुछ भी गालियां देने की, वो कहते थे चुनाव आया, तो मोदी जी ने फैक्ट्री का शिलान्यास किया, कुछ बनने वाला नहीं है, ऐसा कहते थे। आज तीन साल के बाद हम सब देख रहे हैं, अब इस फैक्ट्री में पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनकर तैयार हो गया है और थोड़ी देर पहले उसको मैंने हरी झंडी दिखाई है। ये गुजरात के लिए, देश के लिए गर्व की बात है। आज गुजरात को एक और उपलब्धि हासिल हुई है। गुजरात के शत–प्रतिशत रेल नेटवर्क का बिजलीकरण पूरा हो चुका है। मैं इसके लिए भी गुजरात के मेरे सभी भाई–बहनों को बहुत–बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
पहले तो मुझे यहाँ के लोगों का आभार व्यक्त करना है, जिन्होंने मुझे सब के बीच में लाने का कार्यक्रम किया। कई पुराने लोगों के दर्शन करने का मुझे मौका मिला, काफी परिचित चेहरे, कई पुरानी बातें और मेरा दाहोद के साथ नाता राजनीति में आने के बाद का नहीं है। अंदाज से 70 साल हुए होंगे, 2-3 पीढ़ियों के साथ निकटता से कार्य करने का अवसर मिला है। और आज मैं परेल गया, इस बार तो शायद मैं 20 साल बाद परेल की ओर गया, पूरा परेल बदल गया है। पहले मैं यहाँ आता था, तो सूर्यास्त का जो समय होता था, मेरा प्रयास होता था कि, साईकिल पर परेल जाऊं और बारिश हुई हो तो, हरियाली हुई हो तो, छोटे–छोटे पहाड़ से एक छोटा सा रास्ता निकलता हो, ऐसी शाम मुझे आनंद देती थी और उसके बाद परेल में रेलवे में जो भाई कार्य करते थे, उनके वहाँ शाम को खाना खाकर वापस जाता था, इतना मेरा करीब का नाता था। और आज परेल की आन–बान–शान देखकर अच्छा लगता है।
साथियों
यहाँ की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए हम सभी कार्य करते रहे हैं, काफी कदम उठाए हैं और मुझे गर्व के साथ कहना है कि, दाहोद के बारे में मैंने जो सपने देखे है न, वो आज साकार होने का और आंखो के सामने देखने का सौभाग्य मुझे मिला है। और मैं दावे के साथ कहता हूं, कि हिन्दुस्तान में आदिवासी बहुल जिला कैसे विकसित हो सकता है, उसका किसी को मॉडल देखना हो, तो यहाँ मेरे दाहोद में आ जाए। आदिवासी जिले में स्मार्ट सिटी बनने की बात आए तो उन्हीं लोगों को आश्चर्य होता है। पिछले 10-11 साल में हम सभी ने साफ देखा है कि कितनी गति से रेलवे में परिवर्तन आया है। रेलवे विकास की नई दिशा, नई गति, और मेट्रो सेवाओं में विस्तार कितना बढ़ रहा है, सेमी हाइस्पीड रेलवे भारत में तो किसी का नाम नहीं लेता था। आज तेज गति से उसका विकास हो रहा है। देश में लगभग 70 रूट पर आज वंदे भारत ट्रेन चल रही है और आज अपने दाहोद से भी अहमदाबाद से वेरावल, सोमनाथ दादा के चरणो में अपनी यह वंदे भारत ट्रेन शुरु हो गई है। और पहले तो अपने दाहोद के भाईयों का उज्जैन जाने का मन होता था, पास ही पड़ता है उज्जैन, अब आपके लिए सोमनाथ के लिए दरवाजे खुल गए हैं।
साथियों,
भारत में आज इतनी आधुनिक गाड़ियां चल रही हैं और उसका एक बडा कारण है, अब नई टेक्नोलॉजी, इस देश के युवा, हमारी युवा पीढ़ी, भारत में तैयार कर रही है। कोच भारत में बनते हैं, लोकोमोटिव भारत में बने, यह सभी पहले हमें विदेश से लाना पड़ता था। आज पैसे भी अपने, पसीना भी अपना और परिणाम भी अपना। आज भारत, रेलवे के साथ जुड़ी हुई कई चीजें बना कर दुनिया का एक बड़ा एक्सपोर्टर बन रहा है। आपको जान कर आनंद होगा, कि आप ऑस्ट्रेलिया जाओ तो, वहाँ जो मेट्रो चलती है उसके कोच अपने गुजरात में बने हुए हैं। इंग्लैंड जाओ, सऊदी अरब जाओ, फ्रांस जाओ, अनेक देशो में आधुनिक गाड़ियां जो चल रही हैं, उसके जो कोच हैं, वह भारत में बनकर जा रहे हैं। मैक्सिको, स्पेन, जर्मनी, इटली इन देशो में भी रेलवे में जरुरी कई छोटे–बड़े उपकरण, यह भारत में बनकर जा रहे हैं। अपने छोटे–छोटे उद्योगपतियों ने एमएसएमई, लघु उद्योग वह ऐसे कमाल कर रहे हैं, कि छोटे–छोटे पुर्जे एकदम परफेक्ट बनाकर आज दुनिया के बाजार में पहुँचा रहे हैं। अपने पैसेंजर कोच, मोझाम्बिक, श्रीलंका ऐसे कई देशो में उसका उपयोग हो रहा है। मेड इन इंडिया लोकोमोटिव भी, मेड इन इंडिया अपने इंजन, वह भी अब भारत कई देशो में एक्सपोर्ट कर रहा है, निर्यात कर रहा है। यह मेड इन इंडिया, उसका जो विस्तार हो रहा है और उसके कारण भारत गर्व से मस्तक ऊपर कर सकता है। अब जरा दाहोद के मेरे भाई–बहन आप मुझे बताओ, कि भारत में बनी हुई यह चीजें, दुनिया में उसका डंका बजने लगा है, अब हमें अपने घर में विदेशी चीजों का उपयोग बंद करना चाहिए की नहीं, जरा जोर से जवाब दो, करना चाहिए की नहीं करना चाहिए, तिरंगा लहराकर मुझे कहो कि, करना चाहिए की नहीं करना चाहिए? देखो तिरंगे की छाँव में आप बैठ कर कह रहे हो, अपने देश में बनी हुई चीजें क्यों इस्तेमाल न करें? अपना तो क्या गणेश चतुर्थी आए तो वह छोटे आंख वाले गणपति लेके आते हैं, अपने गणपति नहीं विदेशी गणपति, होली, दिवाली आती है तो पटाखे भी वहाँ से लाते हैं और पिचकारी भी बाहर से लाते हैं। भारत में बनी हुई चीजें उपयोग करनी चाहिए की नहीं भाई, भारत के लोग ही कमाएं ऐसा करना चाहिए की नहीं भाई, भारत को आगे बढ़ना हो, तो सभी भारतीय का यह संकल्प होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए?
साथियों ,
जब रेलवे मजबूत होती है न, तो सुविधा भी बढ़ती है और उसका लाभ उद्योगों को होता है, खेती को होता है, छात्रों को होता है, बहनों को कई तकलीफों से मुक्ति मिलती है। पिछले एक दशक में कई क्षेत्रो में पहली बार रेलवे पहुँचा है। गुजरात में भी ऐसी कई जगह थी, जहाँ छोटी–छोटी गाड़ियाँ चलती थी, धीरे चलती थी। अपने डभोई तरफ तो ट्रेन ऐसी ही चलती थी, कि आप बीच में से उतर जाओ और फिर वापस बैठ जाओ, चलती ट्रेन में। ऐसे कितने ही नैरो गेज रुट्स अब तो ब्रॉड हो गए हैं, डभोई का वह नैरो ब्रॉड हो गया। आज भी कई रेलवे के रुट्स का लोकार्पण आज यहाँ हुआ है। आज दाहोद और वलसाड के बीच एक्सप्रेस ट्रेन शुरु हुई है। मेरे दाहोद के भाई तो गुजरात के कोने–कोने में फैले हुए हैं। आप गुजरात का कोई भी छोटा सा नगर देख लो, आपको वहाँ मेरे दाहोद वाला भाई मिल ही जाएगा और आज जब ये नेटवर्क तैयार होगा तो मेरे दाहोद को सबसे बड़ा लाभ होगा, मेरे आदिवासी बच्चों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा।
साथियों,
जहाँ फेक्टरी लगती है, कारखाने खड़े होते हैं, उसके आसपास सभी इकोसिस्टम आ जाती है। छोटी–छोटी चीजें बनाने वाले कारखाने लग जाते हैं और उसके कारण रोजगार के अवसर, मेरे युवाओं को यही रोजगार के अवसर मिले, उनके लिए मैं काम कर रहा हूं। दाहोद के रेल कारखाने, यह कारखाना दुनिया का, हिन्दुस्तान का ऐसा कारखाना बनेगा, खास करके भारत के लिए, यह दाहोद एक यादगार कारखाना है। दोस्तो, सिर्फ ये लोकोमोटिव जैसा नहीं है, पहले तो आपको खबर है, वहाँ लगभग सब खत्म हो गया था, सभी को ताले लग गए थे, लोग भी वहाँ से ताला लगाकर चले गए थे। मेरी नजर के सामने मैंने इस दाहोद के परेल को मरते देखा है, और मैंने मेरी नजर के सामने उसको आज जानदार–शानदार बनता देख रहा हूं। यह आपके प्रेम और आशीर्वाद के कारण, और अब 9000 होर्स पावर, इसका लोकोमोटिव हिन्दुस्तान में कोई भी पूछे कहाँ? तो इसका जवाब आएगा– दाहोद। यहाँ बनने वाले लोकोमोटिव भारत का पॉवर और केपेसिटी दोनों बढ़ाने वाले बनेंगे और यहाँ बनने वाले सभी लोकोमोटिव कहीं भी जाए, सिर्फ उसके टायर जाएंगे ऐसा नहीं, उसके साथ–साथ मेरे दाहोद का नाम भी पहुंचने वाला है, दाहोद सभी जगह पहुंचने वाला है। आने वाले समय में यहाँ सैंकड़ो लोकोमोटिव बनेंगे। थोड़े दिन बाद ऐसा दिन आएगा, कि दो दिन में एक लोकोमोटिव तैयार होगा, आप सोचिए कितना बड़ा काम, दो दिन में एक। इतने बड़े लोकोमोटिव और इन सभी के कारण यहाँ के स्थानीय मेरे भाई–बहनों को मेरे नवयुवकों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा। इस फैक्टरी से आसपास में भी कई स्पेयर पार्ट्स बनाने के काम, छोटे–छोटे लघु उद्योग की एक बड़ी जाल (नेटवर्क) खड़ी होगी। फैक्टरी में तो रोजगार मिलता है, लेकिन साथ–साथ यह छोटे–बड़े कार्य होंगे, लघु उद्योग शुरु होंगे, उसके कारण भी काफी रोजगार मिलने वाला है। मेरे किसान भाई–बहन हो, हमारे पशुपालक हो, हमारे छोटे–छोटे दुकानदार हो, हमारे मजदूर भाई–बहन हो, समाज के सभी वर्ग को इसके कारण बहुत बड़ा लाभ होने वाला है।
साथियों,
आज गुजरात ने शिक्षा क्षेत्र में, आईटी क्षेत्र में, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में, टूरिज्म क्षेत्र में, आज किसी भी क्षेत्र का नाम लो, अपने गुजरात का तिरंगा ऊपर दिखेगा। हजारों करोड़ रुपये का निवेश, उसी से आज गुजरात में सेमीकंडक्टर के प्लांट बन रहे हैं और इन सभी प्रयासों के परिणाम से गुजरात के लाखो नव युवाओं को लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
साथियों,
एक समय ऐसा था कि, वडोदरा में, छोटा–बड़ा काम चल रहा था। मुझे याद है, जिस दिन मैंने पंचमहल जिले के दो भाग किए और दाहोद जिला अलग बनाया, तब मेरे मन में साफ था, कि इसके कारण पंचमहल जिले का भी विकास होगा और दाहोद जिले का भी अलग से विकास होगा। और आज आंखों के सामने वह विकास देखता हूं, तो इस धरती का ऋण चुकाने का जो आनंद मुझे मिलता है वह दोस्तों, इतना आनंद आता है कि, आपका तो मैंने नमक खाया है, इसलिए आपके लिए जितना करूं उतना कम है। अब आज ही देखो हमने वडोदरा, हालोल, कालोल, गोधरा, दाहोद पांचों शहर जैसे लघु उद्योगो की मायाजाल, पूरी जाल, तरह–तरह के सभी और हाईटेक चीजें, मामूली नहीं, और पूरा विस्तार मेरे आदिवासी भाई–बहनों का विस्तार। आप वडोदरा छोड़ो और दाहोद आओ तब तक, मध्यप्रदेश जाओ वहाँ तक, आज वडोदरा में विमान, हवाई जहाज बनाने का कार्य तेज गति से चल रहा है। थोड़े महीने पहले एयर बस एसेम्बली लाईन, उसका उद्घाटन भी हुआ है। वडोदरा में ही देश की पहली गति शक्ति यूनिवर्सिटी बनी है और अपने यहाँ सावली में रेल, कार बनाने की बहुत बड़ी फैक्टरी, विदेश के पैसे लगे हुए हैं, और आज दुनिया में उसका परचम लहरा रहा है। दाहोद में, भारत की शक्तिशाली रेल इंजन, 9000 होर्स पावर का इंजन यहाँ अपने यहाँ बन रहा है। गोधरा, कालोल, हालोल कई उद्योग, कई मेन्युफैक्चरिंग यूनिट यह लघु उद्योग वाकई में औद्योगिक विकास की सबसे बड़ी शक्ति बन के उभर रहे हैं। गुजरात में चारों ओर विकास की लहर चल रही है।
और साथियों,
में वह दिन देख रहा हूं, जब गुजरात साईकल से लेकर, चाहे फिर मोटर साईकिल हो या रेलवे के इंजन हो या फिर हवाई जहाज हो, इसे गुजरात के नवयुवक ही बनाएंगे और गुजरात की धरती पर बनाएंगे। ऐसा हाईटेक इंजीनियरिंग मेन्युफैक्चरिंग कोरिडोर, दुनिया में भी बहुत कम देखने को मिले, ऐसा पूरा वडोदरा से दाहोद तक, हालोल, कालोल, गोधरा, दाहोद एक ऐसा अच्छा नेटवर्क बन रहा है।
साथियों,
विकसित भारत के निर्माण के लिए, जनजातीय क्षेत्रों का विकास भी बहुत जरुरी है। जब गुजरात में मैं मुख्यमंत्री था, तब मुझे सेवा करने का जो अवसर मिला, उसमें भी इस गुजरात के पूर्वी क्षेत्र मेरे आदिवासी भाईयों की बस्ती, उनके लिए मैंने अपने आपको समर्पित कर दिया और भारत सरकार के कार्य में लगा। तब से पिछले 11 साल आदिवासी समाज के अभूतपूर्व विकास के काम में लगा दिया है। काफी लंबा समय मुझे गुजरात के आदिवासी क्षेत्रो में काम करने का अवसर मिला है। लगभग 7 दशक से पहले से गुजरात के पूरे आदिवासी क्षेत्रो में गया हूं, कार्य करता रहा हूँ, मेरे आदिवासी भाई–बहनों की कई बातें सुनी हैं। एक ऐसा समय था, कि गुजरात के आदिवासी विस्तार में उमरगाम से अँबाजी 12वी कक्षा की विज्ञान की शाला नहीं थी, ऐसे दिन मैंने देखे हैं और आज देखो, आज उमरगाम से अंबाजी अपने पूरे आदिवासी क्षेत्र में कई कॉलेज, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज, दो–दो तो ट्राईबल यूनिवर्सिटी, आज आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत है। पिछले 11 साल में एकलव्य मॉडल स्कूल का नेटवर्क बहुत मजबूत किया गया है। यहाँ दाहोद में भी कई एकलव्य मॉडल स्कूल बने हैं।
साथियों,
आज देशभर में आदिवासी समाज के लिए व्यापक कार्य हो रहे हैं। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार आदिवासी गाँव विकास की बात में, कई नई स्कीम बनाकर, उसके विकास को बल दिया जा रहा है। आपने बजट में देखा होगा, कि हमने आदिवासी विस्तार के गाँव के उदय के लिए ‘धरती आबा’ – बिरसा मुंडा को धरती आबा भी कहा जाता है। धरती आबा, जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, यह हमने शुरु किया है और उस पर केन्द्र सरकार लगभग 80 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है और उसके अंतर्गत गुजरात के साथ देशभर में 60 हजार से ज्यादा गाँवों में विकास के कार्य हो रहे हैं। बिजली हो, पानी हो, सड़क हो, स्कूल हो, अस्पताल हो, जो महत्व की सुविधाएँ चाहिए, जो आधुनिक से आधुनिक हो उसके लिए कार्य चल रहा है। मेरे आदिवासी भाई–बहनों के लिए पक्के घर, आज पूरे देश में बन रहे हैं।
साथियों,
जिसको कोई नहीं पूछता है, उसको मोदी पूजता है। आदिवासियों में भी कई समाज उसमें भी पीछे रह गए हैं, उसमें भी पिछड़े हुए और उसकी भी चिंता हमने सर पर ली है। और उनके लिए सरकार ने पीएम जन मन योजना बनाई है, और इस योजना के अंतर्गत आदिवासियों में भी जो काफी पिछड़े हुए परिवार हैं, उनके लिए गाँव में सुविधाएं, उनके लिए घर, उनके लिए शिक्षा, उनके लिए रोजगार के अवसर, उसके लिए हम काम कर रहे हैं।
भाइयों– बहनों,
हम तो गुजरात में जानते हैं सिकलसेल। मैं गुजरात में था, तब से सिकलसेल के पीछे पड़ा हूं, आज इसके लिए देशव्यापी कार्य कर रहे हैं। सिकलसेल से मेरी आदिवासी प्रजा मुक्त हो, उसके लिए मिशन मोड में हम काम कर रहे हैं। उसके अंतर्गत लाखों आदिवासी भाई बहनों के स्क्रीनिंग का कार्य आज चल रहा है। हमारी सरकार की कोशिश है कि, जो क्षेत्र विकास में पीछे रहा गया हो, उस क्षेत्र का तेज गति से विकास किया जाए। दुर्भाग्य से देश में 100 पिछड़े जिले, उसको पहले पिछड़े जिले कहकर छोड़ दिया गया था। उनको उनके नसीब पर छोड़ दिया गया था। कोई अच्छा अधिकारी वहाँ नौकरी के लिए न जाए ऐसी दशा थी, स्कूल में शिक्षक भी नहीं मिलते थे, मकान का कोई पता नहीं, और सड़को का तो कोई पता नहीं। वह परिस्थिति बदली और उसमें तो काफी आदिवासी जिले थे। एक जमाना था आपका यह दाहोद जिला भी उसमें ही था और अब तो, हमारा दाहोद जिला, दाहोद नगर, स्मार्ट सिटी के लिए सपने देखकर आगे बढ़ रहा है। Aspirational District की दुनिया में भी दाहोद ने अपना झंडा लहराया है। दाहोद शहर का कायाकल्प हो रहा है, यहाँ स्मार्ट सुविधाएँ बन रही हैं।
साथियों,
अपना साउथ, दाहोद उसके कई क्षेत्रों में पानी की समस्या, काफी पुरानी समस्या है, आज सैंकड़ो किलो मीटर लंबी पाइप लाइन लगाकर पानी पहुँचाने का कार्य चल रहा है। नर्मदा जी का पानी घर–घर पहुँचे उसके लिए कार्य चल रहा है। पिछले साल में उमरगाम से लेकर अंबाजी तक 11 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई से हमने उपयोग में ले लिया है और उससे हमारे भाई–बहनों को खेती करने में बहुत बड़ी सहायता हुई है, तीन–तीन फसल ले रहे हैं।
भाइयों–बहनों,
यहां आने से पहले मैं वडोदरा में था, वहां हज़ारों की संख्या में माताएं–बहनें आई थीं, वे सभी बहनें, देश का, हमारी सेनाओं का अभिनंदन करने वहां पहुंची थीं। उन्होंने इस पावन कार्य का निमित्त मुझे बनाया, मैं इसके लिए हमारी मातृशक्ति को नमन करता हूं। यहां दाहोद में भी आप सभी ने, माताओं–बहनों ने तिरंगा झंडा हाथ में लेकर के ऑपरेशन सिंदूर के लिए अपना ढेर सारा आशीर्वाद दिया है। दाहोद की ये धरती तप और त्याग की धरती है। कहते हैं कि यहीं दुधिमती नदी के तट पर, महर्षि दधिचि ने सृष्टि की रक्षा के लिए देह का त्याग किया था। ये वो धरती है, जिसने क्रांतिवीर तात्या टोपे की संकट के समय सहायता की थी। मानगढ़ धाम यहां से ज्यादा दूर नहीं है, मानगढ़ धाम गोविंद गुरु के सैकड़ों आदिवासी सेनानियों के बलिदान का प्रतीक है। यानी ये क्षेत्र, मां भारती की, मानवता की रक्षा के लिए, हमारे तप और त्याग को दर्शाता है। जब हम भारतीयों के ये संस्कार हैं, तो सोचिए, जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने जो कुछ भी किया, क्या भारत चुप बैठ सकता है? क्या मोदी चुप बैठ सकता है? जब कोई हमारी बहनों के सिंदूर को मिटाएगा, तो उसका भी मिटना तय हो जाता है। और इसलिए, ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, ये हम भारतीयों के संस्कारों, हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति है। आतंक फैलाने वालों ने सपने में सोचा नहीं होगा, मोदी से मुकाबला करना कितना मुश्किल होता है।
तिरंगा लहराते रहिए, तिरंगे की आन बान शान का, ज़रा सोचिए, बाल–बच्चों के सामने पिता को गोली मार दी। आज भी वो तस्वीरें देखते हैं, तो खून खौल जाता है। आतंकवादियों ने 140 करोड़ भारतीयों को चुनौती दी थी, इसलिए, मोदी ने वही किया, जिसके लिए देशवासियों ने, आपने मुझे प्रधानसेवक की जिम्मेदारी दी है। मोदी ने अपनी तीनों सेनाओं को खुली छूट दी और हमारे शूरवीरों ने वो कर दिखाया, जो दुनिया ने पिछले कई दशकों से नहीं देखा था। हमने सीमा पार चल रहे आतंक के 9 सबसे बड़े आतंकी ठिकाने, उनको ढूंढ निकाला, अता–पता पक्का कर लिया और 22 तारीख को उन्होंने जो खेल खेला था, 6 तारीख रात को 22 मिनट में हमने उनको मिट्टी में मिला दिया। भारत की इस कार्रवाई से बौखला कर जब पाकिस्तानी सेना ने दुस्साहस दिखाया, तो हमारी सेनाओं ने पाकिस्तानी फौज को भी धूल चटा दी। मुझे बताया गया यहां भी हमारे सेना के निवृत्त जवान बहुत बड़ी तादाद में आए हैं, हमारे कार्यक्रम में मौजूद हैं, मैं उनका भी सलाम करता हूं। मैं दाहोद की इस तपोभूमि से एक बार फिर देश की सेना के शौर्य को नमन करता हूं।
साथियों,
बंटवारे के बाद जिस देश का जन्म हुआ, उसका एकमात्र लक्ष्य भारत से दुश्मनी है, भारत से नफरत है, भारत का नुकसान करना है। लेकिन भारत का लक्ष्य, अपने यहां गरीबी को दूर करना है, अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, खुद को विकसित बनाना है। विकसित भारत का निर्माण तभी होगा, जब भारत की सेनाएं भी मज़बूत होंगी और हमारी अर्थव्यवस्था भी दमदार होगी। हम इसी दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
साथियों,
दाहोद में बहुत सामर्थ्य है। आज का कार्यक्रम तो इसकी झलक भर है। मुझे आप सभी परिश्रमी साथियों पर पूरा भरोसा है, देशवासियों पर पूरा भरोसा है। आप इन नई सुविधाओं का भरपूर सदुपयोग करें और दाहोद को देश के सबसे विकसित जिलों में से एक बनाएं। इसी विश्वास के साथ एक बार फिर आप सभी को बहुत–बहुत मैं बधाई देता हूं। ऑपरेशन सिंदूर के सम्मान में खड़े होकर के तिरंगा फहराइये, सब के सब खड़े होकर के तिरंगा फहराइये और मेरे साथ बोलिये –
भारत माता की जय!
भारत माता की जय !
भारत माता की जय !
भारत माता की जय का नारा बंद नहीं होना चाहिए।
डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री के भाषण का अधिकांश भाग गुजराती भाषा में है, जिसका यहाँ भावानुवाद किया गया है।
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