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भारत के दूरसंचार निर्यात में 72% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 18,406 करोड़ रुपये हो गया है

भारत के दूरसंचार निर्यात में 72% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 18,406 करोड़ रुपये हो गया है

केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज लोकसभा में भारत की 5G सफलता और दूरसंचार निर्यात में वृद्धि से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में भारत के दूरसंचार निर्यात में 72% की वृद्धि हुई है, जबकि आयात पहले के स्तर पर स्थिर रहा है। ये आंकड़े दूरसंचार क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता की कहानी बयां करते हैं।

एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने कहा कि भारत का दूरसंचार निर्यात 2020-21 में 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 18,406 करोड़ रुपये हो गया है, जो 72% की वृद्धि दर्शाता है, जबकि आयात लगभग 51,000 करोड़ रुपये पर स्थिर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत केवल दूरसंचार क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है।

पूरक प्रश्न के उत्तर में, श्री सिंधिया ने 5जी तैनाती में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश के 778 जिलों में से 767 जिले पहले ही 5जी नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में वर्तमान में 36 करोड़ 5जी ग्राहक हैं, यह संख्या 2026 तक बढ़कर 42 करोड़ और 2030 तक 100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

सैटेलाइट संचार (SATCOM) के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने कहा कि विश्वव्यापी अनुभव से पता चलता है कि जिन क्षेत्रों में पारंपरिक बीटीएस या बैकहॉल या ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी संभव नहीं है, वहां केवल सैटेलाइट संचार के माध्यम से ही सेवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। इस संदर्भ में, भारत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाया है कि SATCOM सेवाएं देश के कोनेकोने में ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएं।

उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रत्येक ग्राहक को दूरसंचार सेवाओं का संपूर्ण पैकेज उपलब्ध कराना है, जिससे व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं और पसंदीदा मूल्य के आधार पर सोचसमझकर निर्णय ले सकें।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सैटेलाइट संचार (SATCOM) नीति का ढांचा पूरी तरह से तैयार है और स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन किया जाना है। स्टारलिंक, वनवेब और रिलायंस को पहले ही तीन लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।

उन्होंने आगे बताया कि ऑपरेटरों की ओर से वाणिज्यिक सेवाएं शुरू करने से पहले दो प्रमुख पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। पहला पहलू स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित है, जिसमें प्रशासनिक स्पेक्ट्रम शुल्क का निर्धारण भी शामिल है, जो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है। टीआरएआई वर्तमान में मूल्य निर्धारण ढांचे को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है।

दूसरा पहलू प्रवर्तन एजेंसियों से सुरक्षा मंजूरी से संबंधित है। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए, ऑपरेटरों को प्रदर्शन करने हेतु नमूना स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया गया है, और तीनों लाइसेंसधारी वर्तमान में आवश्यक अनुपालन गतिविधियों को पूरा कर रहे हैं।

एक बार जब ऑपरेटर निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का पालन करने का प्रदर्शन कर देते हैंजिसमें भारत के भीतर अंतरराष्ट्रीय गेटवे स्थापित करने की आवश्यकता भी शामिल हैतो आवश्यक अनुमोदन प्रदान कर दिए जाएंगे, जिससे ग्राहकों को सैटकॉम सेवाएं शुरू करने में मदद मिलेगी।

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