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संसद में प्रश्न: भारतीय मूल के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए योजना

संसद में प्रश्न: भारतीय मूल के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए योजना

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को भारत लौटने और अनुसंधान एवं नवाचार में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कई योजनाएँ बनाई हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) भारतीय संस्थानों में सहयोगात्मक अनुसंधान करने के लिए विशेष रूप से भारतीय प्रवासी (अनिवासी भारतीय (एनआरआई)/ भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई)) के लिए वैभव (वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक) फैलोशिप कार्यक्रम संचालित करता है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) रामलिंगस्वामी रीएंट्री फैलोशिप (आरआरएफ) और अर्ली करियर एंड इंटरमीडिएट फैलोशिप (ईसीआईएफ) के माध्यम से विदेशों में रह रहे उच्च क्षमता वाले भारतीय शोधकर्ताओं को उनकी रुचि और क्षेत्र से संबंधित भारतीय संस्थानों/विश्वविद्यालयों में कार्य करने के आकर्षक अवसर प्रदान करता है। अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) की रामानुजन फैलोशिप भी उन प्रतिभाशाली भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए एक योजना है जो प्रतिस्पर्धी अनुसंधान एवं विकास करने हेतु विदेशों से भारत लौटना चाहते हैं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के प्रख्यात वैज्ञानिकों/प्रौद्योगिकीविदों (एसटीआईओ) में से 50 वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकीविदों के पदों को भर्ती करने के लिए रिक्त पदों का सृजन किया है। इस पद को उत्कृष्ट वैज्ञानिक (एसटीआईओ) का नाम दिया गया है।

वैभव फैलोशिप का उद्देश्य भारतीय प्रवासी वैज्ञानिकों और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआईएस), विश्वविद्यालयों और/या सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित वैज्ञानिक संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करना है। वैभव फैलोशिप प्राप्त करने वाला व्यक्ति सहयोग के लिए एक भारतीय संस्थान का चयन करेगा और अधिकतम 3 वर्षों तक प्रति वर्ष दो महीने तक वहां कार्य कर सकता है। 2023 से अब तक 3 आवेदन आमंत्रित किए जा चुके हैं और 11 देशों के 35 फैलोशिप प्राप्त कर चुके हैं, जिनमें अमेरिका (18), ब्रिटेन (5), ऑस्ट्रेलिया (3), कनाडा (2) और स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, जर्मनी, जापान और सिंगापुर से एकएक व्यक्ति शामिल हैं। वर्तमान में डीबीटी आरआरएफ योजना 166 चल रहे फेलो का समर्थन कर रही है जो ऑस्ट्रेलिया (2), बेल्जियम (4), कनाडा (3), चिली (1), चीन (1), कोलंबिया (1), चेक गणराज्य (1), फ्रांस (2), जर्मनी (10), आयरलैंड (1), इज़राइल (12), इटली (2), जापान (4), नीदरलैंड (1), फिलीपींस (1), कतर (1), रूस (1), स्कॉटलैंड (1), सिंगापुर (4), स्लोवेनिया (1), दक्षिण कोरिया (2), स्पेन (4), स्वीडन (8), स्विट्जरलैंड (5), ताइवान (2), यूके (11) और यूएसए (80) जैसे 27 देशों में काम कर रहे थे।

वैभव जैसी योजनाओं के अंतर्गत आकर्षक फैलोशिप (4 लाख रुपये प्रति माह, 1-2 महीने/वर्ष, 3 वर्ष के लिए), यात्रा सहायता, आवास सहायता (7500 रुपये प्रति दिन तक), उपभोग्य वस्तुएं और सहायक उपकरण, आकस्मिक व्यय और संस्थागत व्यय (5 लाख रुपये प्रति वर्ष) प्रदान किए जाते हैं। डीबीटी आरआरएफ कार्यक्रम के तहत प्रति वर्ष विदेशों से 75 उत्कृष्ट भारतीय वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। चयनित फैलो को तीन वर्ष की अवधि के लिए 1.35 लाख रुपये प्रति माह की फैलोशिप, 13,00,000 रुपये प्रति वर्ष की अनुसंधान और आकस्मिक सहायता और 50,000 रुपये प्रति वर्ष का संस्थागत व्यय प्राप्त होता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की योजना कार्यक्रमों के अंतर्गत आवश्यक और पर्याप्त बजटीय प्रावधान किए गए हैं।

विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लागू की जा रही सभी योजनाएँ सरकार के राष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमताओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य में योगदान देती हैं। इन योजनाओं के माध्यम से प्रशिक्षित मानव संसाधन की स्वदेश वापसी संभव होती है, अत्याधुनिक क्षेत्रों में अनुसंधान उत्पादन में वृद्धि होती है और देश में वैश्विक स्तर की विशेषज्ञता विकसित होती है। ये योजनाएँ विदेशी वैज्ञानिकों को भारत में अपना करियर पुनः स्थापित करने के लिए एक सुनियोजित मार्ग प्रदान करके प्रतिभा पलायन को कम करने में भी सहायक होती हैं, जिससे आत्मनिर्भर और नवाचारअनुकूल अनुसंधान परिदृश्य को बढ़ावा मिलता है। अनुसंधान के सभी क्षेत्र विभिन्न राष्ट्रीय मिशनों के अनुरूप हैं।

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