संसदीय प्रश्न : भारी बारिश और भूस्खलन का पूर्वानुमान
संसदीय प्रश्न : भारी बारिश और भूस्खलन का पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मौजूदा पूर्वानुमान मॉडल बहुत सटीक हैं। 2024 में, मौसम विज्ञान उप-मंडलों में भारी बारिश का 24 घंटे (एक दिन) पहले पता लगाने का स्किल स्कोर 85% है। फिलहाल, आईएमडी के भारी बारिश के पूर्वानुमान की सटीकता, जिसे सही चेतावनियों के प्रतिशत के तौर पर मापा जाता है, एक से पांच दिनों के लीड टाइम के लिए क्रमशः 85%, 73%, 67%, 63% और 58% है। कुल मिलाकर, 2014 की तुलना में 2023-2024 में देश भर में भारी बारिश की घटनाओं के लिए पूर्वानुमान की सटीकता में करीब 40% का सुधार हुआ है।
खान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को बारिश की सीमा के आधार पर क्षेत्रीय भूस्खलन के पूर्वानुमान/ शुरुआती चेतावनी जारी करने का काम सौंपा गया है। फिलहाल, जीएसआई मानसून के मौसम में 08 (आठ) राज्यों के 21 जिलों के लिए प्रतिदिन परिचालन/ प्रायोगिक क्षेत्रीय भूस्खलन पूर्वानुमान बुलेटिन जारी करता है। जीएसआई का भूस्खलन पूर्वानुमान मॉडल मुख्य रूप से ऐतिहासिक बारिश और भूस्खलन होने के डेटा से मिली बारिश की सीमा पर आधारित है, साथ ही इसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संस्थानों से मिले प्रतिदिन के बारिश के पूर्वानुमान डेटा का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस मौजूदा पूर्वानुमान मॉडल की दक्षता के बारे में, मूल्यांकन से पता चलता है कि कार्यान्वयन जिलों, जैसे दार्जिलिंग, कलिंपोंग, नीलगिरी और रुद्रप्रयाग के पूर्वानुमान क्षेत्रों में सफलता दर 80% से अधिक है।
मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक अवलोकन नेटवर्क, गणितीय मौसम पूर्वानुमान मॉडल के विकास के लिए अनुसंधान और विकास करने के लिए कुशल मानव संसाधन, और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है, जैसे कि उच्च-क्षमता वाली गणितीय प्रणाली, जिससे इन मॉडल को जरूरी हाई रिजॉल्यूशन पर चलाकर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले मौसम के पैटर्न का अनुमान लगाया जा सके। मंत्रालय मौसम पूर्वानुमान में बेहतर सटीकता हासिल करने के लिए अवलोकन और आरएंडडी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
सरकार की ओर से शुरू की गई बड़ी नई पहल मिशन मौसम को लागू करना है। इस मिशन के अंतर्गत पहले ही कुछ डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) लगाए जा चुके हैं। फिलहाल, पूरे भारत में 47 रडार काम कर रहे हैं, जिससे देश का 87% इलाका रडार की कवरेज में है। मिशन मौसम के अंतर्गत, भारत पूर्वानुमान प्रणाली (भारतएफएस), जो एक उन्नत मौसम पूर्वानुमान मॉडल है, तैयार किया गया है और 6 किलोमीटर के हाई स्पेशल रिजॉल्यूशन पर काम कर रहा है। इसमें 10 दिनों तक बारिश की घटनाओं का अनुमान लगाने की भी क्षमता है, जिसमें शॉर्ट और मीडियम-रेंज के पूर्वानुमान शामिल हैं। इसके हाई रिजॉल्यूशन और बेहतर डायनामिक्स के कारण, यह पंचायत या पंचायतों के समूह के लेवल पर मौसम का पूर्वानुमान लगाता है। इसके साथ ही, एक बड़ी उपलब्धि मिथुना पूर्वानुमान प्रणाली (मिथुना-एफएस) की शुरुआत है। यह नई पीढ़ी का वैश्विक युग्म मॉडल वायुमंडल, महासागर, जमीन की सतह और समुद्री बर्फ के अवयवों को अत्याधुनिक फिजिक्स और एक अपग्रेडेड डेटा एसिमिलेशन फ्रेमवर्क के साथ एकीकृत करता है। फिलहाल, यह पूर्वानुमान सिस्टम 12 किलोमीटर रिजॉल्यूशन पर काम करता है, जो भारत की मीडियम-रेंज स्थानीय मौसम पूर्वानुमान क्षमता में एक बड़ी प्रगति है। मिथुना-एफएस सूट में ये भी शामिल हैं –
आईएमडी लगातार जनता और संबंधित हितधारकों को समय पर अलर्ट और पूर्वानुमान जारी करता है। असुरक्षित आबादी तक चेतावनियों को प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। आईएमडी की मौसम की जानकारी, जिसमें जनता के लिए अलर्ट और चेतावनी शामिल हैं, विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रदान की जाती है:
आईएमडी ने जनता के इस्तेमाल के लिए ‘उमंग’ मोबाइल ऐप पर अपनी सात सेवाएं (अभी का मौसम, नाउकास्ट, शहर का पूर्वानुमान, बारिश की जानकारी, पर्यटन पूर्वानुमान, चेतावनी और चक्रवात) लॉन्च की हैं। इसके साथ ही, आईएमडी ने मौसम पूर्वानुमान के लिए ‘मौसम’ मोबाइल ऐप, कृषि मौसम सलाह के लिए ‘मेघदूत’ और बिजली गिरने की चेतावनी के लिए ‘दामिनी’ ऐप तैयार किया है। एनडीएमए की ओर से तैयार किया गया सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल (सीएपी) भी आईएमडी ने चेतावनी देने के लिए लागू किया है।
आईएमडी के पास अभी एक निर्णय सहयोग प्रणाली (डीएसएस) पर आधारित त्वरित कई खतरों पर प्रभाव आधारित पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) है, जो सभी तरह के त्वरित और ऐतिहासिक आंकड़ों, गणितीय आधार पर मौसम का पूर्वानुमान के उत्पाद वगैरह को एकीकृत करता है, जिससे भारी बारिश, सूखा जैसी सभी तरह की खराब मौसम की घटनाओं के खिलाफ जिलों और शहर/ स्टेशन स्तर तक समय पर पूर्वानुमान और प्रभाव-आधारित चेतावनी के साथ सुझाई गई कार्यवाही की जा सके। आईएमडी के हर राज्य में मौसम विज्ञान केंद्र (एमसी) हैं और साथ ही हर प्रभावित राज्य के लिए चक्रवात चेतावनी केंद्र जैसे विशेष केंद्र भी हैं, जो चक्रवात और भारी बारिश के मौसम में चौबीसों घंटे सेवाएं देते हैं। इन नई पहलों के चलते, बीत 10 वर्ष में इन गंभीर मौसम की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की कुल क्षमता में 30-40% का सुधार हुआ है।
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