केंद्रीय राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च-स्तरीय बैठक में वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसाइटी (डब्ल्यूएसआईएस+20) के परिणामों के कार्यान्वयन की समग्र समीक्षा पर भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य दिया
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च-स्तरीय बैठक में वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसाइटी (डब्ल्यूएसआईएस+20) के परिणामों के कार्यान्वयन की समग्र समीक्षा पर भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य दिया
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, श्री जितिन प्रसाद ने 16 दिसंबर, 2025 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की उच्च-स्तरीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान उन्होंने वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसाइटी (डब्ल्यूएसआईएस+20) के परिणामों के कार्यान्वयन की समग्र समीक्षा पर भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत किया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 2001 में ‘सूचना समाज पर विश्व शिखर सम्मेलन‘ (डब्ल्यूएसआईएस) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह ज्ञान और प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग सभी के विकास के लिए करे और यह सुनिश्चित करे कि इनका लाभ हर व्यक्ति और हर देश तक पहुँचे। डब्ल्यूएसआईएस की यह प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न हुई थी—पहला जिनेवा (2003) में और दूसरा ट्यूनिस (2005) में। बाद में, 2015 में आयोजित डब्ल्यूएसआईएस+10 समीक्षा प्रक्रिया के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसके परिणामों के कार्यान्वयन में हुई प्रगति का जायजा लिया। अब, वर्ष 2025 में आयोजित ‘डब्ल्यूएसआईएस+20 समीक्षा‘ अपनी शुरुआत से लेकर पिछले दो दशकों की उपलब्धियों, प्रमुख रुझानों, प्रगति और चुनौतियों का व्यापक आकलन कर रही है और भविष्य के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार कर रही है।
इस अवसर पर अपना संबोधन देते हुए, श्री प्रसाद ने कहा कि पिछले दो दशकों में डब्ल्यूएसआईएस ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब डिजिटल प्रौद्योगिकियों को साझा मूल्यों द्वारा निर्देशित किया जाता है, तो वे विकास, समावेशिता और मानवीय गरिमा को किस प्रकार बढ़ावा दे सकती हैं। उन्होंने आगे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उस कथन को भी याद दिलाया जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा था कि “वैश्विक चुनौतियों की मांग है कि हमारी वैश्विक कार्रवाई हमारे वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिए।”
अपना वक्तव्य देते हुए, श्री प्रसाद ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारत का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जनसंख्या के स्तर पर एक जीवंत अनुभव रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर‘ (डीपीआई) द्वारा संचालित है, जिसे एक सार्वजनिक हित के रूप में विकसित किया गया है—जो अपने डिज़ाइन से ही ओपन, इंटरऑपरेबल, सुरक्षित और किफायती है। उन्होंने आगे कहा कि डिजिटल पहचान, तत्काल भुगतान, डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा और शिकायत निवारण जैसे मंच आज विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, भाषाओं और आय स्तरों के लोगों की सेवा कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करता है कि तकनीक समाज के अंतिम छोर और अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाए।
श्री प्रसाद ने आगे भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ‘ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी‘ के शुभारंभ को याद दिलाया। उन्होंने कहा कि यह इस सिद्धांत को दर्शाता है कि डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएं बांटने वाले के बजाय समानता लाने वाले माध्यम के रूप में कार्य कर सकती हैं। उन्होंने “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना से प्रेरित होकर, भागीदार देशों के साथ क्षमता, उपकरण और ज्ञान साझा करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया।
उभरती प्रौद्योगिकियों के विषय पर श्री प्रसाद ने रेखांकित किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सतत विकास के अगले चरण का केंद्र है। उन्होंने बताया कि ‘इंडिया एआई मिशन‘ के माध्यम से भारत एक उत्तरदायी एआई इकोसिस्टम में निवेश कर रहा है, जिसके तहत राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता का विस्तार किया जा रहा है, ‘एआई कोष‘ के माध्यम से दोबारा इस्तेमाल होने वाले डेटासेट का भंडार बनाया जा रहा है, और ‘भाषिणी‘ जैसा एआई और एनएलपी आधारित रियल-टाइम अनुवाद उपकरण विकसित किया जा रहा है, ताकि देश की विभिन्न भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध हो सके। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने ‘सामाजिक कल्याण के लिए एआई‘ की गति को तेज करने के उद्देश्य से ‘एआई अनुप्रयोगों के वैश्विक भंडार‘ के निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और व्यापक स्तर पर एआई के लिए मजबूत सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला के महत्व पर जोर देते हुए, श्री प्रसाद ने घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने ग्लोबल टेक्नोलॉजी रेजिलिएंस को बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को और गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों को छोड़कर, इंटरनेट गवर्नेंस के मल्टीस्टेकहोल्डर मॉडल के प्रति भारत के मजबूत समर्थन को दोहराते हुए, श्री प्रसाद ने इंटरनेट गवर्नेंस फोरम को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस और बहुभाषी पहुंच को बढ़ावा देने, ओपन स्टैंडर्ड्स को प्रोत्साहित करने, डीएनएस स्थिरता को प्राथमिकता देने और ग्लोबल साउथ की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विश्वास को डिजिटल भविष्य की आधारशिला बताते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री ने नवाचार के साथ सुरक्षा, गोपनीयता, मानवाधिकारों और स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय – सभी का कल्याण, सभी का सुख, के सिद्धांत से प्रेरित होकर, फरवरी 2026 में आयोजित होने वाले ‘इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट‘ के लिए सभी सदस्य देशों को आमंत्रित किया।

अपने वक्तव्य का समापन करते हुए, श्री प्रसाद ने डब्ल्यूएसआईएस+20 के परिणाम दस्तावेज को तैयार करने में केन्या के स्थायी प्रतिनिधि श्री एकिटेला लोकाले और अल्बानिया की स्थायी प्रतिनिधि सुश्री सुएला जानिना के कुशल नेतृत्व और सहयोग की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि डब्ल्यूएसआईएस+20 यह सुनिश्चित करने का एक निर्णायक अवसर प्रदान करता है कि डिजिटल प्रगति दूरियों को खत्म करने का काम करे, समाजों को सशक्त बनाए और मानवीय गरिमा को और सुदृढ़ करे। उन्होंने एक ऐसे समावेशी डिजिटल भविष्य के निर्माण के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करने की भारत की तत्परता को फिर से दोहराया, जहाँ “कोई भी पीछे न छूटे”।