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भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ

मुख्य बिंदु

पारंपरिक चिकित्सा: विरासत और वर्तमान में प्रासंगिकता

Alternative medicine

परंपरागत चिकित्सा विश्व की सबसे प्राचीन समग्र चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, परंपरागत,  पूरक और एकीकृत चिकित्सा पद्धति का उपयोग इसके 194 सदस्य देशों में से 170 में किया जाता है। भारत, चीन और जापान जैसे देशों में परंपरागत चिकित्सा की स्थापित प्रणालियाँ हैं, वहीं अफ्रीका और अमेरिका में भी इनका व्यापक प्रचलन है, जहाँ कई देश इन्हें मान्यता दे रहे हैं और अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत कर रहे हैं।

भारत में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का गहरा सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और आर्थिक महत्व है और ये सालों से हमारे दैनिक जीवन में अभिन्न रूप से समाहित हैं। ये समग्र, निवारक और व्यक्ति-केंद्रित स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी प्रणालियों को भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है और राष्ट्रीय संस्थानों, सेवा नेटवर्क और सामुदायिक परंपराओं के ज़रिए इनका व्यापक रूप से अभ्यास किया जाता है।

पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का वैश्विक शिखर सम्मेलन

पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का वैश्विक शिखर सम्मेलन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का एक महत्वपूर्ण स्रोत मानता है, जो अपनी सांस्कृतिक प्रासंगिकता, सुलभता और व्यक्तिगत प्रकृति के कारण मूल्यवान है। वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित पारंपरिक पद्धतियों में बढ़ती रुचि के साथ, डब्ल्यूएचओ और क्षेत्रीय स्वास्थ्य निकाय इन प्रणालियों को स्वास्थ्य समानता में योगदानकर्ता के रूप में देखते हैं, खासकर उन संदर्भों में जहां सामर्थ्य और सांस्कृतिक परिचितता स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) के साक्ष्य-आधारित एकीकरण को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित करता है। ये शिखर सम्मेलन नेताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और समुदायों को एक साथ लाते हैं, ताकि राजनीतिक प्रतिबद्धता का निर्माण किया जा सके और टीसीआईएम अनुसंधान, सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और जैव विविधता संरक्षण पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सके। इसके उद्देश्य हैं:

परंपरागत चिकित्सा में भारत की दीर्घकालिक विशेषज्ञता और संस्थागत क्षमता इसे इन वैश्विक चर्चाओं में अग्रणी स्थान पर रखती है। पहला शिखर सम्मेलन 2023 में गुजरात में आयोजित किया गया था, जिसमें वैश्विक शोध एजेंडा के लिए कार्यप्रणालियों पर विचार-विमर्श किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी डब्ल्यूएचओ परंपरागत चिकित्सा रणनीति 2025-2034 भी जारी की है। दूसरा शिखर सम्मेलन 17-19 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। यह शिखर सम्मेलन भारत को परंपरागत चिकित्सा के प्रति अपने साक्ष्य-आधारित, प्रणाली-व्यापी दृष्टिकोण को पेश करने और विज्ञान, गुणवत्ता और समान पहुंच पर वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

आयुष के अंतर्गत संस्थागत और नीतिगत व्यवस्था

आयुष मंत्रालय एक व्यापक संस्थागत ढांचे के ज़रिए भारत के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को सुदृढ़ करता है। यह आयुष सेवाओं में शिक्षा, अनुसंधान, औषधि गुणवत्ता और सेवा वितरण को विनियमित करता है। इसकी नीतिगत संरचना वैज्ञानिक मानकों, प्रणाली सुदृढ़ीकरण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में आयुष के एकीकरण पर बल देती है।

आयुष का सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में एकीकरण

एक प्रमुख नीति, आयुष सेवाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में एकीकृत करना है, ताकि नागरिक उन्हीं स्थानों पर आयुष सेवाएं ले सकें, जहां वे एलोपैथिक सेवाएं प्राप्त करते हैं।

संकेतक

संख्या (वर्ष 2024 तक)

आयुष अस्पताल

3,844

आयुष औषधालय

36,848

पंजीकृत आयुष चिकित्सक

755,780+

आयुष स्नातक महाविद्यालय

886

आयुष स्नातकोत्तर महाविद्यालय

251

वार्षिक प्रवेश – स्नातक

59,643 सीटें

वार्षिक प्रवेश – स्नातकोत्तर

7,450 सीटें

एनएएम के अंतर्गत सह-स्थित सुविधाएं – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

2,375

एनएएम के अंतर्गत सह-स्थित सुविधाएं – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

713

जिला अस्पताल

306

नियमन, अनुसंधान और गुणवत्ता मानक

आयुष का नियामक तंत्र सभी प्रणालियों में औषध निगरानी, ​​अनुसंधान, औषधि मानकों और शिक्षा को सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।

मुख्यधारा में लाने और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए योजनाएँ/पहल

आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और पहुँच को सुदृढ़ करने के लिए कई लक्षित योजनाएँ शुरू की हैं। ये पहल अनुसंधान, नियमन, अवसंरचना विकास, क्षमता निर्माण और जन स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर आयुष सेवाओं के एकीकरण को सहयोग प्रदान करती हैं।

राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम)

राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम), जिसकी शुरूआत 2014 में हुई थी, मंत्रालय की प्रमुख केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका मकसद देशभर में आयुष सेवाओं की उपलब्धता को मजबूत करना है। यह मिशन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर बुनियादी ढांचे का विस्तार करने, सुविधाओं को उन्नत बनाने और आयुष सेवाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करने का कार्य करता है। एनएएम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में आयुष इकाइयों की स्थापना पर विशेष जोर देता है, जिससे पारंपरिक चिकित्सा तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित हो सके।

आयुर्ज्ञान

आयुर्ज्ञान एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है, जिसे आयुष प्रणालियों में अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह दो प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित है: अनुसंधान व्यवस्था तंत्र का विकास और सतत् चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) के ज़रिए पेशेवर दक्षता का उन्नयन।

इस योजना के तहत, संस्थानों और शोधकर्ताओं को नैदानिक ​​​​मान्यता, औषधीय प्रोफाइलिंग, औषधीय-पादप अनुसंधान, औषधि मानकीकरण और नवीन फॉर्मूलेशन जैसे क्षेत्रों में बाह्य अध्ययन के लिए सहायता प्राप्त होती है।

सीएमई घटक आयुष चिकित्सकों, शिक्षकों और पैरामेडिकल कर्मचारियों को कार्यशालाओं, डिजिटल प्रशिक्षण प्लेटफार्मों और संरचित शिक्षण मॉड्यूल के ज़रिए अपने ज्ञान को अपटेड करने में सक्षम बनाता है, जिससे अधिक कुशल और साक्ष्य-जागरूक कार्यबल का निर्माण होता है।

आयुर्स्वास्थ्य योजना

आयुर्स्वास्थ्य एक जनस्वास्थ्य उन्मुख योजना है। इसका मकसद सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी हस्तक्षेपों को बढ़ावा देना और आयुष में उत्कृष्टता केंद्रों को मजबूत करना है।

इसके दो प्रमुख घटक हैं:

आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना (एओजीयूएसवाई)

एओजीयूएसवाई आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू और एच) दवाओं की गुणवत्ता, मानकीकरण और नियामक निगरानी पर काम करती है। एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में, इसका उद्देश्य बेहतर मानकों, प्रयोगशाला सहायता और नियामक क्षमता के ज़रिए संपूर्ण आयुष दवा निर्माण प्रणाली को मजबूत करना है।

यह योजना निम्नलिखित का समर्थन करती है:

औषधीय पौधों का संरक्षण, विकास एवं सतत् प्रबंधन

यह योजना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में औषधीय पौधों की प्रजातियों के संरक्षण, संवर्धन एवं सतत् प्रबंधन के लिए संरचित सहायता प्रदान करती है।

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इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:

अन्य प्रमुख योजनाएँ और पहलें

भारत की भागीदारी: पारंपरिक चिकित्सा पर द्वितीय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वैश्विक शिखर सम्मेलन

भारत 17-19 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले पारंपरिक चिकित्सा पर द्वितीय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, नियामकों, उद्योग जगत और पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा, ताकि साक्ष्य-आधारित, सुरक्षित और न्यायसंगत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को विश्व स्तर पर आगे बढ़ाया जा सके।

170+

विशेषज्ञ वक्ता

25+

सत्र

21

चयनित नवाचार

6+

डब्ल्यूएचओ और जैव सांस्कृतिक क्षेत्र

100+

प्रतिनिधित्व किए जाने वाले देश

सम्मेलन की थीम – “संतुलन की बहाली: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास”, पारंपरिक चिकित्सा को सशक्त, समानता और स्थिरता के व्यापक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा के अंतर्गत रखता है।

यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें पूर्ण सत्रों, मंत्रिस्तरीय संवादों, तकनीकी सत्रों और विषयगत समानांतर सत्रों के ज़रिए सुनियोजित गतिविधियाँ शामिल होंगी।

दिन 1

दिन 2

दिन 3

कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रिस्तरीय सत्र और मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन से होगी, जिसके बाद “संतुलन की बहाली” पर उद्घाटन पूर्ण सत्र और पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान प्रणालियों और ग्रह एवं मानव स्वास्थ्य में उनकी भूमिका पर आधारित सत्र होंगे।

यह कार्यक्रम अनुसंधान पद्धतियों, साक्ष्य सृजन, नवाचार से निवेश के मार्गों और कल्याण एवं ध्यान के विज्ञान पर सत्रों सहित पारंपरिक चिकित्सा की वैज्ञानिक नींव को मजबूत करने पर केंद्रित है।

यह वैश्विक मानकों, डेटा प्रणालियों, जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल नवाचार और पैतृक ज्ञान से उत्तरदायित्वपूर्ण कार्यान्वयन तक के सफर के लिए समर्पित है और एक उच्च स्तरीय समापन समारोह के साथ समाप्त होगा।

 

पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के साथ तालमेल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (टीसीआईएम) के भविष्य को आकार देने के लिए एक व्यापक ढांचा पेश करती है। इसका मकसद है कि सभी लोगों को सुरक्षित, प्रभावी और जन-केंद्रित टीसीआईएम तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त हो।

इस रणनीति के मूल में चार उद्देश्य हैं:

इस सम्मेलन की रणनीति की दिशा भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, वैज्ञानिक प्रमाणीकरण, सुरक्षा, डिजिटलीकरण, औषधीय संसाधनों का सतत् उपयोग और पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान के संरक्षण को साफ तौर पर दर्शाती है। भारत का आयुष व्यवस्था तंत्र, शैक्षणिक और अनुसंधान अवसंरचना और डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी), जामनगर, जैसे डब्ल्यूएचओ से संबद्ध संस्थान, देश को इस दशक भर चलने वाले वैश्विक ढांचे में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में स्थापित करते हैं।

दूसरे डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन में शुभारंभ

पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय (टीएमजीएल)

दूसरे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पारंपरिक चिकित्सा पर आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन के एक भाग के रूप में, डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय (टीएमजीएल) का शुभारंभ करेगा, जो पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा पर दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भंडार है। 15 लाख से अधिक अभिलेखों को एक साथ लाते हुए, टीएमजीएल डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों से साक्ष्य मानचित्र, अनुसंधान, नीतियों और नियामक जानकारी के साथ एक वैश्विक ज्ञान संसाधन के रूप में कार्य करेगा।

मुख्य विशेषताएं:

भारत में टीएमजीएल का शुभारंभ साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और वैश्विक वैज्ञानिक और नीतिगत ढांचों को मजबूत करने में देश के नेतृत्व को रेखांकित करता है।

अन्य शुभारंभ:

वैश्विक अनुसंधान प्राथमिकता रोडमैप

पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का बुलेटिन

स्वास्थ्य विरासत नवाचारों पर विशेष अंक (एच2आई)

 

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भारत ने 17-18 अगस्त 2023 को गुजरात के गांधीनगर में जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ-साथ प्रथम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा को समर्पित पहले उच्च स्तरीय वैश्विक मंच के रूप में, इस शिखर सम्मेलन ने आधुनिक स्वास्थ्य सेवा में पारंपरिक प्रणालियों की भूमिका पर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया।

मुख्य आकर्षण इस प्रकार थे:

गुजरात घोषणापत्र को अपनाया गया, जिसने साक्ष्य-आधारित टीसीआईएम के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता की पुष्टि की, बेहतर डेटा और नियामक ढांचे की मांग की और एक समग्र, सांस्कृतिक रूप से निहित और वैज्ञानिक रूप से संरेखित वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा को आकार देने में भारत के नेतृत्व को स्वीकार किया।

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प्रथम डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन

भविष्य का मार्ग और वैश्विक दृष्टिकोण

वैश्विक स्वास्थ्य चर्चा में पारंपरिक चिकित्सा को फिर से महत्व मिलने के साथ, भारत इस परिवर्तन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आधुनिक नियमों, डिजिटल प्रणालियों और वैज्ञानिक सटीकता से युक्त समृद्ध पारंपरिक ज्ञान भारत को इस क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनाता है। आगामी शिखर सम्मेलन साक्ष्य-आधारित पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए मानकों को सुदृढ़ करने और रूपरेखा स्थापित करने के मकसद से अंतरराष्ट्रीय चर्चा को आकार देने में भारत की क्षमता को और अधिक रेखांकित करता है। यह विकसित भारत@2047 की परिकल्पना के अनुरूप भी है।

भारत पारंपरिक चिकित्सा को ऐसे भविष्य की ओर ले जाने में मदद कर रहा है, जहां प्राचीन ज्ञान और समकालीन विज्ञान मानव कल्याण को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें। ऐसा करके, देश न केवल अपने स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य को मजबूत कर रहा है, बल्कि एक अधिक समग्र, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से आधारित वैश्विक स्वास्थ्य संरचना को आकार देने में एक अग्रणी आवाज के रूप में भी उभर रहा है।

संदर्भ:

आयुष मंत्रालय

https://ayush.gov.in/index.html#!/services

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https://ayush.gov.in/resources/pdf/annualReport/DecadeAyushReport.pdf

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2079777&utm_&reg=3&lang=2

https://namayush.gov.in/Achievements-at-a-Glance

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https://www.ayush.gov.in/#!/ayurgyan

Annual Report 2024-2025, Ministry of Ayush (pg. 61 of report) http://www.dbtayush.gov.in/resources/pdf/annualReport/AR_2024_2025.pdf

https://ngo.ayush.gov.in/central-sector-scheme-ayurswasthya

https://ayush.gov.in/resources/pdf/schemes/aoushdhi.pdf

https://ngo.ayush.gov.in/Default/assets/front/documents/RevisedCentralSectorSchemeforNMPB_July2023.pdf

https://ngo.ayush.gov.in/Default/assets/front/documents/IEC-scheme-of-2021-26-with-Annexures-converted_0.pdf

https://ngo.ayush.gov.in/Default/assets/front/documents/Revised-IC-Scheme-as-on-22nd-June-2021%20(1).pdf

https://hciottawa.gov.in/pdf/Champion-Service.pdf

प्रेस सूचना ब्यूरो

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2200420&reg=3&lang=1

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2188383&reg=3&lang=2

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2154258&reg=3&lang=2

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144184&reg=3&lang=2

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1949767&reg=3&lang=2

डब्ल्यूएचओ

https://apps.who.int/gb/ebwha/pdf_files/WHA78/A78_4Add1-en.pdf

https://apps.who.int/gb/ebwha/pdf_files/WHA78/A78_4Add1-en.pdf

https://iris.who.int/server/api/core/bitstreams/cf37a4ad-4d27-4244-a7ee-001de39841ee/content

https://tm-summit.org/

https://www.who.int/news/item/25-09-2025-traditional-medicine-global-library-to-launch-in-2025

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