राष्ट्रीय डिजिटल संरक्षण नीति की आवश्यकता
राष्ट्रीय डिजिटल संरक्षण नीति की आवश्यकता
राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशन (एनएमएमए) एनएमएमए की डिजिटलीकरण नीति के अनुसार देश के असंरक्षित स्मारकों, स्थलों और पुरावशेषों का डिजिटलीकरण कर रहा है। राष्ट्रीय महत्व के संरक्षित स्मारकों और स्थलों के लिए एकल पहुंच मंच के रूप में ‘भारतीय विरासत‘ नामक उपयोगकर्ता–अनुकूल मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में निर्मित विरासत का एक भंडार सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म राज्यों में संरक्षित राष्ट्रीय स्मारकों के उच्च-रिजॉल्यूशन छवियों, वास्तुशिल्प विवरण और जियो टैग किए गए स्थानों जैसी सुविधाओं के माध्यम से विरासत बनाने तक पहुंच प्रदान करता है।
डिजिटलीकरण संबंधित संगठनों की स्वीकृत और प्रकाशित नीति द्वारा निर्देशित होता है। केंद्रीय पुरातत्व पुस्तकालय, एएसआई ने पहले ही 12,247 पुस्तकों और 10 लाख पृष्ठों का डिजिटलीकरण कर दिया है, जो कॉपीराइट सामग्री के डोमेन से बाहर हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की डिजिटल सामग्री को क्लाउड सेवाओं की मदद से संग्रहीत किया जाता है। एएसआई के स्मारकों और पुरावशेषों के लिए डिजिटल दस्तावेजीकरण पहल वर्तमान में चल रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुस्तकालयाध्यक्ष नियमित रूप से विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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