राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की वर्तमान प्रगति
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की वर्तमान प्रगति
नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत, अक्टूबर 2025 तक, 42,019 करोड़ रूपए की लागत से कुल 513 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 344 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं। अधिकांश परियोजनाएँ सीवेज अवसंरचना के निर्माण से संबंधित हैं क्योंकि अनुपचारित घरेलू/औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। कार्यक्रम के अंतर्गत, प्रदूषित नदी क्षेत्रों के उपचार के लिए 34,809 करोड़ रूपए की लागत वाली कुल 216 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनकी उपचार क्षमता 6,561 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है। जिनमें से 3,806 एमएलडी क्षमता वाली 138 एसटीपी परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और उन्हें क्रियान्वित कर दिया गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), गंगा नदी के पांच मुख्य भाग वाले राज्यों अर्थात् उत्तराखंड–19; उत्तर प्रदेश–41; बिहार–33; झारखंड–04; और पश्चिम बंगाल–15 में 112 स्थानों पर गंगा नदी की जल गुणवत्ता की मैन्युअल निगरानी करता है।
प्रदूषित नदी खंड (पीआरएस) 2025 के संबंध में सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा के मुख्य भाग में प्रदूषण से संबंधित निम्नलिखित सूचना उपलब्ध है:
गंगा का मुख्य भाग – राज्य-वार तुलना (वर्ष 2018 बनाम वर्ष 2025)
राज्य
वर्ष 2018 में प्रदूषित खंड
प्राथमिकता
(वर्ष 2018)
वर्ष 2025 में प्रदूषित खंड
प्राथमिकता
(वर्ष 2025)
प्रचलन/अवलोकन
उत्तराखंड
हरिद्वार→सुल्तानपुर
IV
कोई पीआरएस नहीं
—
सुधार किया गया और पीआरएस खंड को हटा दिया गया
उत्तर प्रदेश
कन्नौज→ वाराणसी
IV
बिजनौर → तारीघाट
IV / V
आंशिक रूप से सुधार किया गया
बिहार
बक्सर से भागलपुर
V
भागलपुर डी/एस →खलगांव डी/एस
V
अंश मात्र प्रदूषण है
झारखंड
कोई पीआरएस नहीं
—
कोई पीआरएस नहीं
—
—
पश्चिम बंगाल
त्रिवेणी→ डायमंड बंदरगाह
III
बहरामपुर→ डायमंड बंदरगाह
V
सुधार किया गया
वर्ष 2025 (जनवरी से अगस्त) के लिए गंगा नदी के जल गुणवत्ता डेटा (माध्य मान) के आधार पर, निम्नलिखित अवलोकन किए गए हैं।
(i) पीएच और घुलित ऑक्सीजन (डीओ) नदी की स्थिति का सबसे महत्वपूर्ण मापदंड हैं। गंगा नदी का पीएच और डीओ, गंगा नदी के सभी स्थानों पर स्नान के मापदंडों के लिए अपेक्षित मानक को पूरा करता है।
(ii) निम्नलिखित स्थानों/खंडों को छोड़कर उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के संपूर्ण खंड में, गंगा नदी की जल गुणवत्ता जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के संबंध में स्नान मानदंडों के अनुरूप है।
वर्ष 2024-25 के दौरान गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे 50 स्थानों और यमुना नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे 26 स्थानों पर किए गए जैव–निगरानी के अनुसार, जैविक जल गुणवत्ता (बीडब्ल्यूक्यू) मुख्यतः ‘अच्छी‘ से ‘मध्यम‘ तक रही। विविध बेन्थिक मैक्रो–इनवर्टेब्रेट प्रजातियों की उपस्थिति जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए नदियों की पारिस्थितिक क्षमता को इंगित करती है ।
पिछले एक दशक से गंगा नदी में डॉल्फ़िन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में 2500 से 3000 लोगों की अनुमानित आधार रेखा से बढ़कर, वर्ष 2015 में लगभग 3500 हो गई और वर्ष 2021-2023 के दौरान किए गए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के अनुसार यह लगभग 6327 तक पहुँच गई। यह वर्ष 2009 के बाद से दोगुने से भी अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। गंगा बेसिन की 17 सहायक नदियों में से कई नदियों में वर्ष 2021-2023 के आकलन ने डॉल्फ़िन की उपस्थिति की पुष्टि की, जैसे कि रूपनारायण, गिरवा, कौरियाला, बाबा, राप्ती, बागमती, महानंदा, केन, बेतवा और सिंध, इनमें पहले उनका कोई रिकॉर्ड नहीं था।
नदी की सफाई एक सतत प्रक्रिया है और भारत सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके गंगा और उसकी सहायक नदियों (यमुना नदी सहित) में प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने में राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता कर रही है।
पिछले 5 वर्षों [वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक] के दौरान नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए बजटीय आवंटन (संशोधित अनुमान) 11,100 करोड़ रूपए है।
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कोई राज्य–वार आवंटन नहीं किया गया है।
पिछले पांच वर्षों (अर्थात वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) के दौरान और वर्तमान वित्त वर्ष में 30 नवंबर 2025 तक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत राज्य-विशिष्ट परियोजनाओं/कार्यकलापों के कार्यान्वयन के लिए वितरित राशि, जिसे राज्यवार संकलित किया गया है, अनुलग्नक में संलग्न है।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
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एनडी
अनुलग्नक
नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले पाँच वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (30 नवंबर 2025 तक) में राज्यवार संकलित संवितरण
क. गंगा के मुख्य स्रोत राज्य
(करोड़ रुपए में)
राज्य
राशि
उत्तराखंड
735
उत्तर प्रदेश
4370
बिहार
2691
झारखंड
277
पश्चिम बंगाल
1197
ख.गंगा बेसिन के अन्य राज्य
(करोड़ रुपए में)
राज्य
राशि
मध्य प्रदेश
68
दिल्ली
916
राजस्थान
50
हिमाचल प्रदेश
4