ओडिशा में लगातार पेयजल संकट और भूजल पुनर्भरण की विफलता
ओडिशा में लगातार पेयजल संकट और भूजल पुनर्भरण की विफलता
भारत सरकार अगस्त 2019 से, देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार में नल जल आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए ओडिशा सहित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की भागीदारी से जल जीवन मिशन (जेजेएम) लागू कर रही है। ‘पेयजल’ राज्य का विषय है, और इसलिए, जेजेएम के तहत आने वाली योजनाओं सहित पेयजल आपूर्ति योजनाओं की आयोजना, अनुमोदन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की है। भारत सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों की सहायता करती है।
ओडिशा राज्य सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, संपूर्ण राज्य में पेयजल आपूर्ति की स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है। क्षेत्रीय आंकलन और अभिलेखों के आधार पर, ओडिशा के कुछ ब्लॉकों को भूजल की कमी और दूषित जल स्रोतों सहित लौह, फ्लोराइड, खारेपन और जीवाणु संबंधी अशुद्धियों के कारण पेयजल की व्यापक कमी के रूप में चिह्नित् किया गया है। इन चुनौतियों का समाधान करने और सभी प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित करने के लिए, पंचायती राज और पेयजल विभाग (पीआर एंड डीडब्ल्यू), ओडिशा सरकार ने ओडिशा के विभिन्न जिलों में सतही जल आधारित व्यापक पाइप जलापूर्ति योजनाओं, एकल-गांव और बहु-ग्राम पाइप जलापूर्ति परियोजनाओं, सौर-आधारित पाइप जलापूर्ति परियोजनाओं और दोहरे सौर पंप और आयरन रिमूवल प्लांट (आईआरपी) और डी-फ्लोराइडेशन प्लांट की स्थापना जैसी कई पहल की हैं। इसके अलावा, ग्रीष्मकाल के दौरान पर्याप्त और सुरक्षित पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अन्य विभागों के सहयोग से पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण, जल निकायों की बहाली और वर्षा जल संचयन जैसे स्रोत स्थिरता उपाय भी किए जाते हैं।
ओडिशा राज्य सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, ओडिशा में कुल 705 बहु-ग्राम पाइप द्वारा जलापूर्ति स्कीमों में भूमि अधिग्रहण के मुद्दों, ठेकेदारों के गैर-निष्पादन, विभिन्न विभागों जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, आरएंडबी, आरडी, वन, रेलवे से आरओडब्ल्यू स्वीकृतियों में देरी जैसे कई कारकों के कारण विलंब हुआ है। राज्य सरकार ने कई सुधारात्मक उपाय किए हैं। इनमें उपयुक्त संस्थागत तंत्र का निर्माण शामिल है, जैसे कि विकास आयुक्त-सह-अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति जिसमें हितधारक विभागों के सचिव सदस्य होंगे, और आयुक्त-सह-सचिव, पीआर और डीडब्ल्यू विभाग की अध्यक्षता वाली एक अन्य समिति जिसमें सभी बुनियादी ढांचा विभागों के इंजीनियर-इन-चीफ सदस्य होंगे। इसके अलावा, लंबित अनुमोदनों और मुद्दों को शीघ्रता से हल करने के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में मासिक आधार पर जिला स्तरीय समन्वय बैठकें आयोजित की जा रही हैं। राज्य सरकार ने तीव्र प्रगति हेतु चूककर्ता एजेंसियों पर जुर्माना लगाने और निगरानी तंत्र को सुदृढ़ करने की भी पहल की है।
ओडिशा राज्य सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, नौपाड़ा, बारगढ़, मयूरभंज और गजपति के कुछ भागों सहित जिलों की कुछ बसावटों में फ्लोराइड, लौह, लवणता और जीवाणु संदूषण से संबंधित पेयजल गुणवत्ता संबंधी समस्याएं पाई गई हैं। राज्य सरकार ने इन मुद्दों के समाधान के लिए कई सुधारात्मक और निवारक उपाय किए हैं जैसे:
i.) लौह रिमूवल प्लांट (आईआरपी), डी-फ्लोराइडेशन संयंत्रों की स्थापना और जल स्रोतों की नियमित कीटाणुशोधन।
ii.) सतही जल आधारित मेगा पाइप जलापूर्ति योजनाएं, एकल-गांव और बहु-ग्राम पाइप जलापूर्ति परियोजनाएं, सौर-आधारित पाइप जलापूर्ति परियोजनाएं और दोहरे सौर पंप परियोजनाओं को विभिन्न जारी कार्यक्रमों के तहत लागू किया जा रहा है, ताकि दीर्घकालिक सतत् और सुरक्षित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, विशेष रूप से गंभीर रूप से दूषित भूजल स्रोतों वाले क्षेत्रों में।
iii.) सुरक्षित जल प्रबंधन प्रथाओं पर नियमित रूप से सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, और फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के उपयोग के माध्यम से जल गुणवत्ता निगरानी का समर्थन करने के लिए ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) का सुदृढ़ीकरण।
संवेदनशील क्षेत्रों में बार-बार होने वाली जल की कमी के समाधान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष उपायों की योजना बनाई गई है। इनमें जारी सतही जल आधारित मेगा पाइप जलापूर्ति योजनाओं/एकल/बहु-ग्राम पाइप जलापूर्ति योजनाओं को प्राथमिकता के साथ पूरा करना और निष्क्रिय नलकूपों/गैर-कार्यात्मक पाइप जलापूर्ति परियोजनाओं की मरम्मत और निष्क्रिय नलकूपों के बदले नए ट्यूबवेल की स्थापना जैसी अस्थायी व्यवस्थाओं का प्रावधान शामिल है।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री वी. सोमण्णा द्वारा राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
***