उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश में पलासमुद्रम स्थित एनएसीआईएन में सिविल सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश में पलासमुद्रम स्थित एनएसीआईएन में सिविल सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने आज राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर एवं नारकोटिक्स अकादमी (एनएसीआईएन), पलासमुद्रम, आंध्र प्रदेश में विभिन्न सिविल सेवाओं के अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित किया।
Hon’ble Vice-President of India, Shri C. P. Radhakrishnan, addressed Civil Services Officer Trainees at the National Academy of Customs, Indirect Taxes & Narcotics (NACIN), Palasamudram, Andhra Pradesh, today.
The Vice-President recalled the inauguration of the new NACIN campus… pic.twitter.com/jB7rUaNOlT
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2024 में पलासमुद्रम में नवनिर्मित एनएसीआईएन परिसर के उद्घाटन को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि एनएसीआईएन भारत के सीमा शुल्क और जीएसटी प्रशासन के लिए क्षमता निर्माण के केंद्र में एक प्रमुख संस्थान के रूप में उभरा है।
प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस वर्ष के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला क्योंकि राष्ट्र अखिल भारतीय सेवाओं के जनक सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के दूरदर्शी नेतृत्व ने औपनिवेशिक भारत को एक मजबूत, विकसित और आत्मनिर्भर भारत में बदलने की नींव रखी।
उपराष्ट्रपति ने संघ लोक सेवा आयोग की सराहना की, जो 2026 में अपनी शताब्दी मनाएगा। उन्होंने आयोग को सिविल सेवा भर्ती में “योग्यता, निष्ठा और निष्पक्षता का संरक्षक” बताया।
उपराष्ट्रपति ने समावेशी विकास की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि धन सृजन और धन वितरण दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, और इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय प्रगति के लिए धन सृजन और धन वितरण दोनों पर ज़ोर दिया है।
उपराष्ट्रपति ने जीएसटी को एक ऐतिहासिक सुधार बताया जिसने देश की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कर चोरी करने वालों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश के कानून का पालन होना चाहिए और यह ज़िम्मेदारी अधिकारियों की है।
उपराष्ट्रपति ने विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने में सिविल सेवकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की विकास यात्रा अंतिम छोर तक सेवा प्रदान करने और समावेशी विकास पर केंद्रित रही है।
उन्होंने परिवीक्षार्थियों को व्यक्तिगत उत्कृष्टता की अपेक्षा टीम उत्कृष्टता को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया तथा कहा कि संस्थाओं और राष्ट्रों का निर्माण सामूहिक प्रयास से ही होता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया तेज़ी से बदल रही है और तकनीक हर दिन विकसित हो रही है, इसलिए अधिकारियों को उभरती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तकनीक तौर पर खुद को उन्नत करना होगा। उन्होंने अधिकारियों को बेहतर पारदर्शिता और प्रशासन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आईजीओटी कर्मयोगी को किसी भी समय, कहीं भी क्षमता निर्माण के लिए एक “उत्कृष्ट मंच” बताया।
अपने संबोधन के समापन पर, उपराष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों की अथक मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा कि लगभग 12 लाख यूपीएससी उम्मीदवारों में से, हर साल केवल लगभग 1,000 उम्मीदवार ही चयनित होते हैं। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों में से, उनके पास अब समाज में सार्थक बदलाव लाने का एक दुर्लभ अवसर है। उन्होंने अधिकारी प्रशिक्षुओं याद दिलाते हुए कहा, “बड़ी शक्ति के साथ बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है।” उन्होंने प्रशिक्षुओं से इस अवसर का उपयोग राष्ट्र की सेवा में करने को कहा।
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश सरकार के मानव संसाधन विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिकी एवं संचार और आरटीजी मंत्री श्री नारा लोकेश, उपराष्ट्रपति के सचिव श्री अमित खरे, एनएसीआईएन के महानिदेशक डॉ. सुब्रमण्यम और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।