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धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा के तहत मुंबई में राष्ट्रीय जनजातीय चित्रकला प्रदर्शनी – “आदि चित्र” का शुभारंभ

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा के तहत मुंबई में राष्ट्रीय जनजातीय चित्रकला प्रदर्शनी – “आदि चित्र” का शुभारंभ

मुंबई, 9 नवंबर, 2025 : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय कला, संस्कृति, उद्यमिता और सतत आजीविका को एकीकृत करने वाली पहलों के माध्यम से जनजातीय समुदायों के समग्र विकास और सशक्तिकरण को आगे बढ़ा रहा है। इसी भावना के साथ मंत्रालय, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) के सहयोग से राष्ट्रीय जनजातीय चित्रकला प्रदर्शनी आदि चित्रका आयोजन कर रहा है।

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में चल रहे जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा (1-15 नवंबर 2025) के तहत, इस प्रदर्शनी का उद्घाटन सोमवार, 10 नवंबर 2025 को दोपहर 2:00 बजे पी. एल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी, प्रभादेवी, मुंबई में होगा।

उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र सरकार के जनजातीय विकास मंत्री, प्रो. डॉ. अशोक उइके, महाराष्ट्र के जनजातीय विकास विभाग के सचिव और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के निदेशक उपस्थित रहेंगे। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के मार्गदर्शन में और ट्राइफेड महाराष्ट्र द्वारा समन्वित, यह सप्ताह भर चलने वाली प्रदर्शनी 10 से 16 नवंबर 2025 तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। यह आयोजन जनजातीय गौरव दिवस (15 नवंबर 2025) से पहले आयोजित होने वाले राष्ट्रव्यापी समारोहों का एक अभिन्न अंग है, जो भगवान बिरसा मुंडा के जीवन, आदर्शों और योगदान के सम्मान के लिए समर्पित है।

100 से अधिक उत्कृष्ट जनजातीय कलाकृतियों को एक साथ प्रस्तुत करते हुए, आदि चित्र आगंतुकों को भारत की जीवंत स्वदेशी कला परंपराओं की एक गहन यात्रा प्रदान करने का प्रयास है। प्रदर्शनी में शामिल हैं :

महाराष्ट्र से वारली चित्रकलाएँ

ओडिशा से सौरा और पट्टचित्र कला

मध्य प्रदेश से गोंड और भील कला

गुजरात से पिथोरा चित्रकलाएँ

 प्रत्येक कलाकृति प्रकृति, आध्यात्मिकता और सामुदायिक जीवन के बीच गहरे संबंधों को दर्शाती हैसद्भाव, लचीलेपन और मानव और उसके पर्यावरण के बीच शाश्वत बंधन की कहानियाँ बयां करती है।

भारत की सांस्कृतिक विविधता की रक्षा के लिए इन पारंपरिक कला रूपों का संरक्षण और संवर्धन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदिवासी कला न केवल सौंदर्य अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि पारंपरिक ज्ञान, पारिस्थितिक ज्ञान और स्वदेशी पहचान का भंडार भी है।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुआल ओराम के मार्गदर्शन में, जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड, आदि चित्र जैसी प्रदर्शनियों के माध्यम से देश भर के जनजातीय कलाकारों और कारीगरों के लिए अधिक दृश्यता और स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान कर रहे हैं। इससे भारत की जनजातीय कला विरासत के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। आदि चित्र भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत का एक प्रमाण है जो देश के स्वदेशी समुदायों की रचनात्मकता, लचीलेपन और जीवंत परंपराओं का जश्न मनाता है।

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