एआई के साथ बदलता भारत
एआई के साथ बदलता भारत
मुख्य बिंदु
भूमिका
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा संचालित एक नए युग के मुहाने पर खड़ा है, जहाँ प्रौद्योगिकी जीवन को बदल रही है और राष्ट्र की प्रगति को आकार दे रही है। एआई अब केवल अनुसंधान प्रयोगशालाओं या बड़ी कंपनियों तक ही सीमित नहीं है। यह हर स्तर पर नागरिकों तक पहुँच रहा है। दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में सुधार लाने से लेकर किसानों को पूरी जानकारी के साथ फसल संबंधी निर्णय लेने में मदद करने तक, एआई दैनिक जीवन को सरल, स्मार्ट और अधिक कनेक्टेड बना रहा है। यह व्यक्तिगत शिक्षा के माध्यम से कक्षाओं में क्रांति ला रहा है, शहरों को स्वच्छ और सुरक्षित बना रहा है, और तेज़, डेटा-संचालित शासन के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बना रहा है।
इंडियाएआई मिशन और एआई उत्कृष्टता केंद्र जैसी पहलें इस परिवर्तन के केंद्र में हैं। ये पहलें कंप्यूटिंग पॉवर तक पहुँच का विस्तार कर रही हैं, अनुसंधान को समर्थन दे रही हैं, और स्टार्टअप्स तथा संस्थानों को ऐसे समाधान तैयार करने में मदद कर रही हैं जिनसे लोगों को सीधे तौर पर लाभ पहुँचे। भारत का दृष्टिकोण एआई को खुला, किफ़ायती और सुलभ बनाने पर केंद्रित है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नवाचार समग्र रूप से समाज का उत्थान करे।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मशीनों की वह योग्यता है, जिसके द्वारा वे वह सब कार्य कर सकती हैं जिनके लिए सामान्यतः मानवीय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। यह सिस्टम्स को अनुभव से सीखने, नई परिस्थितियों के अनुकूल ढलने और जटिल समस्याओं को स्वतंत्र रूप से हल करने में सक्षम बनाती है। एआई सूचना का विश्लेषण करने, पैटर्न पहचानने और जवाब तैयार करने के लिए डेटासेट, एल्गोरिदम और बड़े भाषा मॉडल का उपयोग करता है। समय के साथ, ये सिस्टम्स अपने प्रदर्शन में सुधार करते हैं, जिससे वे मनुष्यों के समान तर्क करने, निर्णय लेने और संवाद करने में सक्षम हो जाते हैं।
यह समावेशी दृष्टिकोण नीति आयोग की रिपोर्ट, “समावेशी सामाजिक विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता” (अक्टूबर 2025) में भी परिलक्षित होता है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन तक पहुँच बढ़ाकर भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक कामगारों को सशक्त बना सकती है। यह इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित उपकरण भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने वाले लाखों लोगों की उत्पादकता और लचीलापन बढ़ा सकते हैं। रिपोर्ट इस बात पर भी ज़ोर देती है कि प्रौद्योगिकी गहरी सामाजिक और आर्थिक खाई को पाट सकती है, और यह सुनिश्चित कर सकती है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ प्रत्येक नागरिक तक पहुँचे।
वर्तमान में भारत में एआई पारिस्थितिकी तंत्र
जैसे-जैसे भारत एक समावेशी एआई पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है, इसकी बढ़ती वैश्विक मान्यता इस प्रगति को दर्शाती है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स जैसी रैंकिंग भारत को एआई कौशल, क्षमताओं और नीतियों के मामले में शीर्ष चार देशों में स्थान देती है। देश GitHub पर एआई परियोजनाओं में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता भी है, जो इसके डेवलपर समुदाय की मज़बूती को दर्शाता है। एक मजबूत STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित) कार्यबल, विस्तृत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र और बढ़ते डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ, भारत आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और 2047 तक विकसित भारत के दीर्घकालिक विज़न को साकार करने हेतु एआई का उपयोग करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है।
इंडिया एआई मिशन
“भारत में एआई का निर्माण और भारत के लिए एआई को कारगर बनाना” के विज़न से प्रेरित होकर, कैबिनेट ने मार्च 2024 में इंडिया एआई मिशन को मंज़ूरी दी, जिसका बजट पाँच वर्षों में ₹10,371.92 करोड़ होगा।.[1] यह मिशन भारत को कृत्रिम द्धिमत्ता के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
अपनी शुरुआत के बाद से ही इस मिशन ने देश के कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार में उल्लेखनीय प्रगति की है। 10,000 GPU के शुरुआती लक्ष्य से, अब भारत ने 38,000 GPU हासिल कर लिए हैं, जिससे विश्वस्तरीय AI संसाधनों तक किफ़ायती पहुँच उपलब्ध हो रही है।[2]
जीपीयू (GPU) क्या है?
जीपीयू या ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट एक शक्तिशाली कंप्यूटर चिप है जो मशीनों को तेजी से सोचने, इमेजिज़ को प्रोसेस करने, AI प्रोग्राम चलाने और जटिल कार्यों को एक नियमित प्रोसेसर की तुलना में अधिक कुशलता से संभालने में मदद करता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग, IndiaAI द्वारा कार्यान्वित यह मिशन एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है जो नवाचार को बढ़ावा देता है, स्टार्टअप का समर्थन करता है, डेटा पहुंच को मजबूत करता है, और जनता की भलाई के लिए AI के जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करता है।
इंडिया एआई मिशन के सात स्तंभ हैं:[3]
1. इंडियाएआई कंप्यूट स्तंभ
यह स्तंभ किफायती दामों पर उच्च-स्तरीय जीपीयू उपलब्ध कराता है। जैसा कि पहले बताया गया है, 38,000 से ज़्यादा जीपीयू लगाई जा चुकी हैं। ये जीपीयू केवल ₹65 प्रति घंटे की रियायती दर पर उपलब्ध हैं।
2. इंडियाएआई एप्लिकेशन डेवलपमेंट पहल
यह स्तंभ विशिष्ट रूप से भारत की चुनौतियों के लिए एआई एप्लीकेशन विकसित करता है। इसमें स्वास्थ्य सेवा, कृषि, जलवायु परिवर्तन, शासन और सहायक शिक्षण प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं। जुलाई 2025 तक तीस एप्लीकेशंस को मंजूरी दी जा चुकी है। मंत्रालयों और संस्थानों के साथ क्षेत्र-विशिष्ट हैकथॉन आयोजित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, साइबरगार्ड एआई हैकथॉन साइबर सुरक्षा के लिए एआई समाधान विकसित करने में मदद करता है।
3. एआईकोश (डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म)
एआईकोश, AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिए बड़े डेटासेट विकसित करता है। यह सरकारी तथा गैर-सरकारी स्रोतों से डेटा को एकीकृत करता है। इस प्लेटफ़ॉर्म में 20 क्षेत्रों में 3,000 से ज़्यादा डेटासेट और 243 AI मॉडल हैं।[4] ये संसाधन डेवलपर्स को बुनियादी मॉड्यूल बनाने के बजाय AI समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। जुलाई 2025 तक इस प्लेटफ़ॉर्म पर 265,000 से ज़्यादा विज़िट, 6,000 पंजीकृत उपयोगकर्ता और 13,000 से ज़्यादा डाउनलोड हो चुके थे।
4. इंडियाएआई फाउंडेशन मॉडल
यह स्तंभ भारतीय डेटा और भाषाओं का उपयोग करके भारत के अपने बड़े मल्टीमॉडल मॉडल विकसित करता है। यह जनरेटिव एआई में संप्रभु क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करता है। इंडियाएआई को 500 से ज़्यादा प्रस्ताव प्राप्त हुए। पहले चरण में, चार स्टार्टअप चुने गए: सर्वम एआई, सोकेट एआई, ज्ञानी एआई और गण एआई।
5. इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स
यह स्तंभ एआई-कुशल पेशेवर तैयार करता है। 500 पीएचडी फेलो, 5,000 स्नातकोत्तर और 8,000 स्नातक छात्रों को सहायता प्रदान की जाती है। जुलाई 2025 तक 200 से अधिक छात्रों को फेलोशिप प्राप्त हुई। छब्बीस संस्थानों ने पीएचडी छात्रों को शामिल किया। टियर 2 और टियर 3 शहरों में डेटा और एआई लैब स्थापित किए जा रहे हैं। एनआईईएलआईटी (NIELIT) के साथ 27 लैब की पहचान की गई है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने लैब के लिए 174 आईटीआई और पॉलिटेक्निक को नामित किया है।
6. इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग
यह स्तंभ एआई स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इंडियाएआई स्टार्टअप्स ग्लोबल प्रोग्राम मार्च 2025 में लॉन्च किया गया। यह स्टेशन एफ और एचईसी पेरिस के सहयोग से 10 भारतीय स्टार्टअप्स को यूरोपीय बाजार तक विस्तृत करने में मदद करता है।
7. सुरक्षित और विश्वसनीय एआई
यह स्तंभ मज़बूत शासन के साथ ज़िम्मेदार एआई एडॉप्शन को सुनिश्चित करता है। पहले दौर में आठ परियोजनाओं का चयन किया गया। ये परियोजनाएँ मशीन अनलर्निंग, पूर्वाग्रह शमन, निजता-संरक्षित मशीन लर्निंग, व्याख्यात्मकता, ऑडिटिंग और शासन परीक्षण पर केंद्रित हैं। दूसरे दौर में 400 से ज़्यादा आवेदन प्राप्त हुए। इंडियाएआई सेफ्टी इंस्टीट्यूट में शामिल होने के लिए भागीदार संस्थानों के लिए 9 मई 2025 को रुचि पत्र प्रकाशित किया गया।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 में एआई
9वें इंडिया मोबाइल कांग्रेस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मुख्य विषय रहा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 अक्टूबर 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में किया गया। दूरसंचार विभाग और सीओएआई द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम “इनोवेट टु ट्रांसफॉर्म” थीम के तहत 8 से 11 अक्टूबर तक चला।
आईएमसी 2025 में अंतर्राष्ट्रीय एआई शिखर सम्मेलन सहित, छह प्रमुख वैश्विक शिखर सम्मेलन शामिल हैं, जिसने नेटवर्क, सेवाओं और अगली पीढ़ी के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। एआई, 5जी, 6जी, स्मार्ट मोबिलिटी, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग और हरित प्रौद्योगिकी के 1,600 से ज़्यादा नए उपयोग-मामले 100 से ज़्यादा सत्रों और 800 से ज़्यादा वक्ताओं के माध्यम से प्रदर्शित किए गए।
इस कार्यक्रम में 150 देशों से 1.5 लाख से अधिक आगंतुक, 7,000 वैश्विक प्रतिनिधि और 400 कंपनियां शामिल हुईं। एआई और डिजिटल प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने के लिए यह कार्यक्रम नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स, नीति निर्माताओं और उद्योग के नेताओं को एक साथ लेकर आया।
अन्य प्रमुख सरकारी पहलें और नीतिगत प्रयास
भारत सरकार कई परिवर्तनकारी पहलों के माध्यम से अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विज़न को कार्यरूप दे रही है। ये प्रयास एक मज़बूत एआई पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण, नवाचार को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं कि प्रौद्योगिकी समाज के हर वर्ग को लाभ प्रदान करे। विश्व स्तरीय अनुसंधान केंद्र बनाने से लेकर घरेलू एआई मॉडल विकसित करने तक, सरकार का दृष्टिकोण नीति, अवसंरचना और क्षमता निर्माण को समान रूप से जोड़ता है।
एआई के लिए उत्कृष्टता केंद्र
अनुसंधान-संचालित नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने स्वास्थ्य सेवा, कृषि और चिरस्थाई शहरों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में तीन उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए हैं। बजट 2025 में शिक्षा के लिए चौथे उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा की गई थी।[5] ये केंद्र सहयोगात्मक स्थानों के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जहाँ शिक्षा, उद्योग और सरकारी संस्थान मिलकर स्केलेबल एआई समाधान विकसित करते हैं। इसके साथ ही, युवाओं को उद्योग-संबंधित एआई कौशल प्रदान करने और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण करने के लिए पाँच कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
एआई योग्यता ढांचा
यह ढाँचा सरकारी अधिकारियों को संरचित प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे उन्हें आवश्यक एआई कौशल हासिल करने और नीति-निर्माण एवं शासन में उनका उपयोग करने में मदद मिलती है। वैश्विक मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया, यह ढांचा सुनिश्चित करता है कि भारत का सार्वजनिक क्षेत्र एआई-संचालित भविष्य के लिए सूचित, सक्रिय और तैयार रहे।
इंडियाएआई स्टार्टअप्स ग्लोबल एक्सेलेरेशन प्रोग्राम
पेरिस स्थित स्टेशन एफ और एचईसी पेरिस के साथ साझेदारी में शुरू किया गया यह कार्यक्रम दस होनहार भारतीय एआई स्टार्टअप्स को वैश्विक विशेषज्ञता, नेटवर्क और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करके उनका समर्थन करता है। इसका उद्देश्य भारतीय नवप्रवर्तकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करने में मदद करना है।
सर्वम एआई: स्मार्टर आधार सेवाएँ
बेंगलुरु स्थित कंपनी, सर्वम एआई, उन्नत एआई अनुसंधान को व्यावहारिक शासन समाधानों में परिवर्तित कर रही है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के साथ साझेदारी में, यह आधार सेवाओं को अधिक स्मार्ट और सुरक्षित बनाने के लिए जनरेटिव एआई का उपयोग कर रही है। अप्रैल 2025 में, सर्वम एआई को भारत का सॉवरेन एलएलएम इकोसिस्टम बनाने की मंज़ूरी मिली, जो एक ओपन-सोर्स मॉडल है जिसे सार्वजनिक सेवा डिलीवरी को बेहतर बनाने और डिजिटल विश्वास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भाषिणी: डिजिटल समावेशन के लिए आवाज
भाषिणी एक एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म है जो कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद और वाक् उपकरण प्रदान करके भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करता है। यह नागरिकों को डिजिटल सेवाओं तक आसानी से पहुँचने में मदद करता है, भले ही वे पढ़ने या लिखने में सहज न हों। जून 2025 में, डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन और रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने सार्वजनिक रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर बहुभाषी एआई समाधान तैनात करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।[6]
जुलाई 2022 में अपनी शुरुआत के बाद से, भाषिनी ने दस लाख से ज़्यादा डाउनलोड पार कर लिए हैं, यह 20 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और 350 से ज़्यादा एआई मॉडल्स को एकीकृत करता है। 450 से ज़्यादा सक्रिय ग्राहकों के साथ, यह डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देने और भाषाई विभाजन को पाटने का काम जारी रखे हुए है।[7]
भारतजेन एआई: भारत का बहुभाषी एआई मॉडल [8]
2 जून 2025 को भारतजेन शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया, भारतजेन एआई पहला सरकारी वित्त पोषित, स्वदेशी मल्टीमॉडल वृहद भाषा मॉडल है। यह 22 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और टेक्स्ट, स्पीच और इमेज समझ को एकीकृत करता है।
घरेलू डेटासेट का उपयोग करके निर्मित, भारतजेन भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है और स्टार्टअप्स तथा शोधकर्ताओं को भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप एआई समाधान तैयार करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है।
भारत एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026[9]
भारत फरवरी 2026 में एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन (एआई इम्पैक्ट समिट) की मेज़बानी करेगा। यह शिखर सम्मेलन भारत की एआई क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा और विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करेगा। 18 सितंबर, 2025 को भारत ने इस आयोजन के लोगो और प्रमुख पहलों का अनावरण किया।
प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं:
शिखर सम्मेलन के लोगो और प्रमुख पहलों का अनावरण करने वाले इस कार्यक्रम में भारत-विशिष्ट डेटा पर प्रशिक्षित स्वदेशी एआई मॉडल बनाने हेतु आठ नए आधारभूत मॉडल पहलों का भी शुभारंभ हुआ। एक अन्य प्रमुख फोकस एआई डेटा लैब्स पर था, जिसमें पूरे भारत में तीस लैब्स शुरू की गईं, जिससे 570 लैब्स का नेटवर्क बना। पहली 27 लैब्स राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT) के साथ साझेदारी में स्थापित की गईं। ये लैब्स इंडियाएआई मिशन की फ्यूचरस्किल्स पहल के तहत आधारभूत एआई और डेटा प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान, इंडियाएआई फ़ेलोशिप प्रोग्राम और पोर्टल का भी विस्तार किया गया, जिससे 13,500 स्कॉलर्स को सहायता मिल सके। इसमें सभी विषयों के 8,000 स्नातक, 5,000 स्नातकोत्तर और 500 पीएचडी शोधकर्ता शामिल हैं। अब इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, वाणिज्य, व्यवसाय और मुक्त कला जैसे क्षेत्रों के छात्रों के लिए फ़ेलोशिप उपलब्ध हैं।
रोजमर्रा के जीवन और कार्य में एआई
कृत्रिम बुद्धिमत्ता नवाचार की एक नई लहर चला रही है जो स्वास्थ्य सेवा और खेती से लेकर शिक्षा, शासन और जलवायु पूर्वानुमान तक, दैनिक जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। यह डॉक्टरों को बीमारियों का तेज़ी से निदान करने, किसानों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सहायता करने, छात्रों के सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने और शासन को अधिक कुशल तथा पारदर्शी बनाने में मदद करती है।
इस बदलाव के केंद्र में लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) है। यह एक उन्नत AI सिस्टम है जो विशाल मात्रा में डेटा से सीखकर मानव जैसा टेक्स्ट समझता और तैयार करता है। एलएलएम ही चैटबॉट, अनुवाद उपकरण और वर्चुअल असिस्टेंट को संभव बनाते हैं। ये लोगों के लिए अपनी भाषा में जानकारी ढूँढ़ना, सरकारी सेवाओं का उपयोग करना और नए कौशल सीखना आसान बनाते हैं।
एआई के प्रति भारत का दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी से आगे निकलकर समावेशिता और सशक्तिकरण तक जाता है। राष्ट्रीय पहलों और वैश्विक सहयोगों के माध्यम से, एआई का उपयोग वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने, सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने और प्रत्येक नागरिक के लिए अवसरों को अधिक सुलभ बनाने के लिए किया जा रहा है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में सुधार और मौसम के मिजाज की भविष्यवाणी करने से लेकर अदालती फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने तक, एआई एक डिजिटल रूप से सशक्त और समतामूलक भारत के निर्माण में प्रगति के एक शक्तिशाली प्रवर्तक के रूप में उभर रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्र जहां एआई रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार कर रहा है, वे हैं:
स्वास्थ्य-रक्षा [10]
एआई स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में बदलाव ला रहा है। यह डॉक्टरों को बीमारियों का जल्द पता लगाने, मेडिकल स्कैन का विश्लेषण करने और व्यक्तिगत उपचार सुझाने में मदद करता है। एआई द्वारा संचालित टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को शीर्ष अस्पतालों के विशेषज्ञों से जोड़ते हैं, जिससे समय और लागत की बचत होती है और साथ ही देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होता है। स्वास्थ्य सेवा में सुरक्षित और नैतिक एआई को बढ़ावा देने वाली वैश्विक संस्था, हेल्थएआई में भारत की भागीदारी, और आईसीएमआर तथा इंडियाएआई के यूनाइटेड किंगडम तथा सिंगापुर जैसे देशों के साथ सहयोग से ज़िम्मेदार नवाचार और वैश्विक सर्वोत्तम पद्धतियों को सुनिश्चित किया जा रहा है।
कृषि [11]
किसानों के लिए, एआई एक विश्वसनीय डिजिटल साथी है। यह मौसम की भविष्यवाणी करता है, कीटों के हमलों का पता लगाता है और सिंचाई व बुवाई के लिए सर्वोत्तम समय सुझाता है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, किसान ई-मित्र जैसी पहलों के माध्यम से एआई का उपयोग कर रहा है, जो एक आभासी सहायक है और किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि जैसी सरकारी योजनाओं तक पहुँचने में मदद करता है।
राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली और फसल स्वास्थ्य निगरानी उपग्रह डेटा, मौसम इनपुट और मृदा विश्लेषण को संयोजित करके तुरंत ही सलाह प्रदान करती हैं, जिससे पैदावार और आय सुरक्षा में सुधार होता है।
शिक्षा और कौशल विकास[12]
शिक्षा को अधिक समावेशी, आकर्षक और भविष्य के अनुरूप तैयार करने के लिए, भारतीय शिक्षा प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) कक्षा 6 से 15 घंटे का कृत्रिम बुद्धिमत्ता कौशल मॉड्यूल और कक्षा 9 से 12 तक एक वैकल्पिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता विषय प्रदान करता है। एनसीईआरटी का डिजिटल लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म दीक्षा, विशेष रूप से दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए सुगमता बढ़ाने हेतु, वीडियो में कीवर्ड खोज और ज़ोर से पढ़ने की सुविधा जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों का उपयोग करता है।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर “YUVAi: यूथ फॉर उन्नति एंड विकास (उन्नति और विकास के लिए युवा)” नामक एक राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू किया है, जिसका उद्देश्य कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों को समावेशी तरीके से AI और सामाजिक कौशल प्रदान करना है।[13] यह कार्यक्रम छात्रों को आठ विषयगत क्षेत्रों: कृषि, आरोग्य, शिक्षा, पर्यावरण, परिवहन, ग्रामीण विकास, स्मार्ट सिटी और विधि तथा न्याय में AI कौशल सीखने और लागू करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे उन्हें वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए AI-संचालित समाधान विकसित करने में सक्षम बनाया जा सके।
शासन और न्याय[14]
एआई शासन और लोक सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया को नया रूप दे रहा है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के तहत, न्याय प्रणाली को और अधिक कुशल और सुलभ बनाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत किया जा रहा है। अनुवाद, पूर्वानुमान, प्रशासनिक दक्षता, स्वचालित फाइलिंग, इंटेलिजेंट शेड्यूलिंग और चैटबॉट के माध्यम से संचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके उपसमूहों जैसे मशीन लर्निंग, ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्नीशन और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग किया जा रहा है।
उच्च न्यायालयों में एआई अनुवाद समितियाँ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने की निगरानी कर रही हैं। ई-एचसीआर और ई-आईएलआर जैसे डिजिटल कानूनी प्लेटफ़ॉर्म अब नागरिकों को कई क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णयों तक ऑनलाइन पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे न्याय प्रदान करना अधिक पारदर्शी और समावेशी हो गया है।
मौसम पूर्वानुमान और जलवायु सेवाएँ[15]
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्राकृतिक घटनाओं की भविष्यवाणी करने और उनके अनुसार जवाबी तैयारी करने की भारत की क्षमता को मज़बूत कर रही है। भारतीय मौसम विभाग वर्षा, कोहरे, बिजली गिरने और आग लगने की भविष्यवाणी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-आधारित मॉडलों का उपयोग करता है। उन्नत ड्वोरक तकनीक चक्रवातों की तीव्रता का अनुमान लगाने में मदद करती है, जबकि आगामी एआई चैटबॉट, मौसमजीपीटी, किसानों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को रियल टाइम में मौसम और जलवायु संबंधी सलाह देगा।
क्या एआई से बेरोजगारी बढ़ेगी?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अक्सर नौकरियों के लिए एक खतरे के रूप में देखा जाता है, लेकिन वास्तव में यह नए प्रकार के अवसर पैदा कर रही है। नैसकॉम की रिपोर्ट “एडवांसिंग इंडियाज़ एआई स्किल्स” (अगस्त 2024) के अनुसार, भारत का एआई प्रतिभा आधार 2027 तक लगभग 6 से 6.5 लाख पेशेवरों से बढ़कर 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर, 12.5 लाख से अधिक हो जाने की उम्मीद है।
डेटा साइंस, डेटा क्यूरेशन, एआई इंजीनियरिंग और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में एआई की मांग बढ़ रही है। अगस्त 2025 तक, लगभग 8.65 लाख उम्मीदवारों ने विभिन्न उभरते प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है या प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिनमें एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स में 3.20 लाख शामिल हैं।
भविष्य के लिए कार्यबल तैयार करने हेतु, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने फ़्यूचरस्किल्स प्राइम (FutureSkills PRIME) नामक एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है, जो एआई सहित 10 नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में आईटी पेशेवरों के कौशल विकास और उन्नयन पर केंद्रित है। अगस्त 2025 तक, FutureSkills PRIME पोर्टल पर 18.56 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था, और 3.37 लाख से अधिक ने सफलतापूर्वक अपने पाठ्यक्रम पूरे कर लिए थे।
समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई
नीति आयोग की रिपोर्ट, “समावेशी सामाजिक विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता” (अक्टूबर 2025), भारत के अनौपचारिक कार्यबल को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का एक रोडमैप प्रस्तुत करती है। यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछती है: दुनिया की सबसे उन्नत प्रौद्योगिकियां सबसे अधिक उपेक्षित श्रमिकों तक कैसे पहुँच सकती हैं, जिससे वे अपनी बाधाओं को पार कर सकें और भारत की विकास गाथा में अपना स्थान बना सकें?
यह रिपोर्ट अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित है। यह राजकोट के एक घरेलू स्वास्थ्य सेवा सहायक, दिल्ली के एक बढ़ई, एक किसान और कई अन्य लोगों की चुनौतियों और आकांक्षाओं को दर्शाती है। ये कहानियाँ लगातार आने वाली बाधाओं को दर्शाती हैं, लेकिन साथ ही उन अपार संभावनाओं को भी दर्शाती हैं जिन्हें सोच-समझकर इस्तेमाल की गई प्रौद्योगिकी उजागर कर सकती है। इन लाखों लोगों के लिए, प्रौद्योगिकी को उनके कौशल का स्थान लेने के बजाय, उसे और बढ़ाना चाहिए।
रोडमैप में चर्चा की गई है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और इमर्सिव लर्निंग भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक कामगारों के सामने आने वाली व्यवस्थागत बाधाओं को दूर कर सकते हैं। यह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहाँ साल 2035 तक, वॉयस-फर्स्ट एआई इंटरफेस भाषा और साक्षरता की बाधाओं को दूर कर देंगे। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट समय पर और पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित करेंगे। माइक्रो-क्रेडेंशियल और ऑन-डिमांड लर्निंग, कामगारों को उनकी महत्वाकांक्षा के अनुसार कौशल बढ़ाने में मदद करेंगे।
इस विज़न का मूल डिजिटल श्रमसेतु मिशन है, जो भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के लिए अग्रणी तकनीकों को बड़े पैमाने पर लागू करने की एक राष्ट्रीय पहल है। यह मिशन व्यक्ति-आधारित या क्षेत्र-आधारित प्राथमिकता, राज्य-संचालित कार्यान्वयन, नियामक सक्षमता और रणनीतिक साझेदारियों पर केंद्रित है, जिससे सामर्थ्य और व्यापक स्वीकृति सुनिश्चित की जा सके। यह एक मज़बूत बहु-स्तरीय प्रभाव मूल्यांकन ढाँचे द्वारा निर्देशित होकर सरकार, उद्योग और नागरिक समाज को संगठित करेगा।
रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि इस समावेशी डिजिटल उछाल को हासिल करने के लिए सिर्फ़ आशावाद से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत होगी। इसमें अनुसंधान एवं विकास, लक्षित कौशल कार्यक्रमों और एक मज़बूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में ठोस निवेश की ज़रूरत बताई गई है। आधार, यूपीआई और जनधन जैसी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाओं के क्षेत्र में भारत की पिछली सफलताएँ दर्शाती हैं कि समावेशी, व्यापक मंच संभव हैं।
प्रस्तावित कार्यान्वयन रोडमैप:
चरण 1 (2025-2026): मिशन अभिविन्यास
स्पष्ट लक्ष्यों, समय-सीमाओं और मापनीय परिणामों के साथ मिशन चार्टर का प्रारूप तैयार करना। प्राथमिकताएँ निर्धारित करने और उद्देश्यों को परिभाषित करने के लिए सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के हितधारकों को शामिल किया जाएगा।
चरण 2 (2026-2027): संस्थागत ढाँचा और शासन संरचना
अंतर-क्षेत्रीय शासन संरचनाओं, नेतृत्वकारी भूमिकाओं और कार्यान्वयन की रूपरेखा की स्थापना। यह चरण घरेलू नवाचार और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देते हुए कानूनी, नियामक और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
चरण 3 (2027-2029): प्रायोगिक और चुनिंदा कार्यक्रमों का शुभारंभ
उच्च तत्परता वाले क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों में समाधानों का परीक्षण करने के लिए पायलट परियोजनाएँ लागू की जाएँगी। सुगम्यता और अंतिम चरण तक अपनाने (लास्ट-माइल एडॉप्शन) को प्राथमिकता दी जाएगी, जिसके लिए सशक्त निगरानी और मूल्यांकन ढाँचा तैयार किया जाएगा।
चरण 4 (2029 से आगे): राष्ट्रव्यापी रोलआउट और एकीकरण
सिद्ध समाधानों को राज्यों और शहरों में लागू किया जाएगा। स्थानीय अनुकूलन से क्षेत्रीय प्रासंगिकता और विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों की गतिशीलता सुनिश्चित होगी। इस चरण का उद्देश्य मिशन को संस्थागत बनाना और इसके लाभों को व्यापक स्तर पर बनाए रखना है।
इस मिशन का लक्ष्य 2035 तक भारत को समावेशी एआई परिनियोजन में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रौद्योगिकी न केवल विकास को गति दे, बल्कि आजीविका को भी मज़बूत करे, अवसरों तक पहुँच खोले और एक समतामूलक एवं सशक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर देश की यात्रा में सहयोग करे।
निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत की यात्रा एक स्पष्ट दृष्टि और निर्णायक कार्रवाई को दर्शाती है। कंप्यूटिंग अवसंरचना के विस्तार से लेकर घरेलू मॉडलों को बढ़ावा देने और स्टार्टअप्स को समर्थन देने तक, देश एक मज़बूत कृत्रिम बुद्धिमत्ता पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है जो नागरिकों को लाभान्वित करता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शासन के क्षेत्र में की गई पहलों के व्यावहारिक अनुप्रयोग वास्तविक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इंडिया एआई मिशन, डिजिटल श्रमसेतु और आधारभूत मॉडल विकास जैसी रणनीतिक पहलें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि नवाचार प्रत्येक नागरिक तक पहुँचे और साथ ही अनुसंधान, कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा मिले। ये प्रयास भारत को एक वैश्विक एआई नेता के रूप में उभरने और विकसित भारत 2047 के विज़न को आगे बढ़ाने के लिए एक मज़बूत आधार प्रदान करते हैं।
संदर्भ:
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय
संचार मंत्रालय
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
नीति आयोग