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केंद्रीय राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अबू धाबी में आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 के अवसर पर आयोजित ‘वन रेंजरों के सम्मान समारोह’ में भाग लिया

केंद्रीय राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अबू धाबी में आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 के अवसर पर आयोजित ‘वन रेंजरों के सम्मान समारोह’ में भाग लिया

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 11 अक्टूबर, 2025 को अबू धाबी में कहा, “मेरे लिए हमारे उन बहादुर पुरुषों और महिलाओं के प्रयासों को मान्यता देने वाले पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल होना सम्मान की बात है, जिन्होंने वनों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है।” वह आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 के अवसर पर आयोजित वन रेंजरों के सम्मान समारोहमें भाग ले रहे थे। उन्होंने गार्डियंस ऑफ द वाइल्डरिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ये वे लोग हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि देश की समृद्ध वन्यजीव विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

Participated in the Recognition Ceremony of Forest Rangers and released the report “Guardians of the Wild”.
A heartfelt tribute to our frontline heroes who safeguard India’s forests and wildlife with courage and commitment. 🌿🐘#GuardiansOfTheWild #MoEFCC #WildlifeConservation pic.twitter.com/9hvROdHrYG

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि दुनिया भर के देशों ने हमारे वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए व्यापक कानून और नीतिगत ढांचे बनाए हैं। लेकिन इन नीतियों, नियमों और विनियमों का सही मायने में पालन सुनिश्चित करने के लिए ये वन रेंजर और सहायक कर्मचारी ही काम करते हैं। उनके काम में गश्त, वन्यजीव गणना, जंगल की आग बुझाने आदि सहित कई तरह की गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शिकारियों और लकड़ी तस्करों से जान का भारी खतरा रहता है। उनमें से कई ने वनों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति भी दी है।

केंद्रीय मंत्री ने वन रक्षकों और सहायक कर्मचारियों के समर्पण की सराहना की और आईयूसीएन तथा डब्ल्यूटीआई को यह सम्मान देने और उनकी बहुमूल्य सेवा को मान्यता देने के लिए बधाई दी। श्री सिंह ने अपने बचपन से लेकर अब तक वन कर्मचारियों के साथ हुई विभिन्न मुलाकातों का जिक्र किया और हमारे वनों और वन्यजीवों के बारे में उनके द्वारा साझा किए गए स्वदेशी ज्ञान और पारंपरिक ज्ञान की सराहना की। सरकारों को अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के पास मौजूद इस ज्ञान संपदा को मान्यता देनी चाहिए और उसका दस्तावेजीकरण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत में, हमारे वनों की रक्षा करने वाले पुरुषों और महिलाओं को वनरक्षक और वनरक्षिका जैसे सम्मानों से सम्मानित किया जाता है।

श्री सिंह ने इस अवसर पर अग्रिम पंक्ति के वनकर्मियों को उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी सरकारी सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत सरकार नियमित रूप से क्षमता निर्माण की पहल करती है, ड्रोन के माध्यम से वन निगरानी, ​​उपग्रह ट्रैकिंग और जानवरों पर रेडियो कॉलर लगाने सहित तकनीकी सहायता का उपयोग करती है। उन्होंने अंत में कहा कि ये कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यरत कर्मचारी नवीनतम तकनीक से सुसज्जित हों और न केवल वनों और वन्यजीवों को अवैध गतिविधियों से बचाने, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्षों को रोकने के लिए भी हमेशा तत्पर रहें।

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