उप-राष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर सीताब दियारा, बिहार में श्रद्धांजलि अर्पित की
उप-राष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर सीताब दियारा, बिहार में श्रद्धांजलि अर्पित की
भारत के उप-राष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने आज बिहार के सारण जिले के भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव सीताब दियारा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उप-राष्ट्रपति ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देने के लिए बिहार का एक दिन का दौरा किया। पटना के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने पर श्री राधाकृष्णन का स्वागत बिहार के राज्यपाल श्री अरिफ मोहम्मद खान और बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया गया।
On his visit to Bihar on the 123rd birth anniversary of Bharat Ratna Lok Nayak Shri Jayaprakash Narayan Ji, Hon’ble Vice-President Shri C. P. Radhakrishnan was accorded a warm welcome at Lok Nayak Jayaprakash Narayan Patna International Airport by Hon’ble Governor Shri Arif… pic.twitter.com/VIiAbEr1WF
इसके बाद उप-राष्ट्रपति ने सीताब दियारा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक घर का दौरा किया और लोक नायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने गांव के लोक नायक स्मृति भवन और पुस्तकालय का भी भ्रमण किया।
Hon’ble Vice-President, Shri C. P. Radhakrishnan visited the ancestral home of Lok Nayak Jayaprakash Narayan Ji in Sitab Diara village, in the Saran district of Bihar, housing archives and memorabilia of the great leader. pic.twitter.com/L4equBvHJN
Hon’ble Vice-President, Shri C. P. Radhakrishnan, paid floral tributes to Bharat Ratna Lok Nayak Jayaprakash Narayan Ji at his memorial in his ancestral village, Sitab Diara, in the Saran district of Bihar, on his 123rd birth anniversary today. pic.twitter.com/gXzXsAaNmK
समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उनके लिए यह सम्मान और सौभाग्य की बात है कि वे सीताब दियारा की पवित्र भूमि पर खड़े हैं — जो भारत के सबसे महान नेताओं में से एक, सच्चे जननायक और न्याय तथा लोकतंत्र के लिए सतत संघर्ष करने वाले, लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली है।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती सिर्फ एक महान नेता को श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि यह उस आदर्श का उत्सव है जो राष्ट्र को स्व से ऊपर, सिद्धांतों को सत्ता से ऊपर और जन को राजनीति से ऊपर रखता है।
उन्होंने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्हें प्यार से जेपी कहा जाता था, न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की अंतरात्मा के रक्षक भी थे। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1970 के दशक की ‘संपूर्ण क्रांति’ तक, जयप्रकाश नारायण का जीवन नैतिक साहस, सादगी और त्याग का उज्ज्वल उदाहरण रहा।
श्री राधाकृष्णन ने बताया कि लोकनायक को सत्ता की कोई लालसा नहीं थी और उन्होंने सबसे ऊंचे पदों के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे। जयप्रकाश नारायण की शक्ति राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि नैतिक अधिकार से आती थी। लोक नायक के इन्ही शब्दों को याद करते हुए — कि उनकी रुचि सत्ता को पाने में नहीं, बल्कि सत्ता पर जन नियंत्रण में थी — उप-राष्ट्रपति ने कहा कि यह जयप्रकाश नारायण की मूल्य आधारित और नैतिक राजनीति में गहरी आस्था को दिखाता है।
उन्होंने भूदान आंदोलन में लोकनायक की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि उनकी सहभागिता से आंदोलन को राष्ट्रीय पहचान और नैतिक प्रतिष्ठा मिली। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि लोकनायक ने बिहार और पूरे देश के समाज को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सार्वजनिक हित के लिए प्रेरित किया
उप-राष्ट्रपति ने बताया कि जिस समय भ्रष्टाचार फैल गया था, तब भी लोकनायक को विश्वास था कि युवा लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनर्जीवित और पुनर्निर्मित करने की शक्ति रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जयप्रकाश नारायण सामाजिक परिवर्तन के लिए अहिंसक क्रांति के मजबूत समर्थक थे।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकनायक की ‘संपूर्ण क्रांति’ केवल हथियारों का विद्रोह नहीं थी, बल्कि यह विचारों की क्रांति थी; इसमें स्वच्छ शासन और सक्रिय युवाओं की भागीदारी से भारत का भविष्य गढ़ने का सपना था।
संपूर्ण क्रांति आंदोलन से अपने जुड़ाव को याद करते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से गर्व है कि वे उन्नीस वर्ष की आयु में, लोक नायक के आह्वान से प्रेरित होकर, कोयंबटूर में इस आंदोलन के जिला महासचिव बने थे।
उप-राष्ट्रपति ने लोकनायक की पत्नी श्रीमती प्रभावती देवी का नि:स्वार्थ समर्थन भी स्वीकार किया, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के लिए त्याग भावना से ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था।
उप-राष्ट्रपति ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को जनसशक्तिकरण के महान समर्थक के रूप में चिह्नित किया, जिन्होंने हमेशा लोक शक्ति को राज्य शक्ति से ऊपर रखा।
उन्होंने कहा कि आज भी भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की ताकत उन मूल्यों पर टिकी है जिन्हें लोकनायक ने हमेशा प्राथमिकता दी — पारदर्शिता, जवाबदेही, लोकसेवा और नैतिक साहस।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत विक्सित भारत @2047 की ओर बढ़ रहा है, तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आदर्शों और मूल्यों को आत्मसात करना एक जीवंत और समावेशी राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है।
उन्होंने बिहार की भूमि के लिए गहरी श्रद्धा व्यक्त की, जिसने भारत को उसके सबसे महान बेटों में से एक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण को दिया। अपने संबोधन के अंत में, उप-राष्ट्रपति ने उस सामूहिक संकल्प को दोहराने की आवश्यकता बताई, जिसके लिए लोकनायक हमेशा खड़े हुए — सत्य, न्याय, अहिंसा और जनशक्ति — और कहा कि उनका जीवन और उनके आदर्श हमें हमेशा याद दिलाएंगे कि लोकतंत्र में जनता हमेशा सबसे महत्वपूर्ण होती है।