नीति सूचित करना, परिवर्तन के लिए प्रेरित करना: “एनएसएस सर्वेक्षणों ने सार्वजनिक नीति को कैसे प्रभावित किया है” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
नीति सूचित करना, परिवर्तन के लिए प्रेरित करना: “एनएसएस सर्वेक्षणों ने सार्वजनिक नीति को कैसे प्रभावित किया है” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) राष्ट्र को समर्पित सेवा के 75 वर्षों का जश्न मना रहा है, जो साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और सरकारी नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए 9 अक्टूबर 2025 को भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), बेंगलुरु में “कैसे एनएसएस सर्वेक्षणों ने सार्वजनिक नीति को प्रभावित किया है” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। यह आयोजन आईआईएम बेंगलुरु के सहयोग से किया जा रहा है, जिसमें अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय (एपीयू), सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान (आईएसईसी) और भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), बेंगलुरु सहित प्रतिभागी संस्थान शामिल हैं। संगोष्ठी एनएसएस की विरासत को प्रतिबिंबित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थाओं आदि के साथ सार्वजनिक नीति को आकार देने में एनएसएस के योगदान पर विचार-विमर्श करने और विकसित भारत के लिए शासन को मजबूत करने में इसकी भविष्य की भूमिका का पता लगाने के लिए बैठक आयोजित की गई।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) ने 1950 में अपनी स्थापना के बाद से सामाजिक-आर्थिक विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर बड़े पैमाने पर घरेलू और उद्यम सर्वेक्षण किए हैं। ये सर्वेक्षण भारत की सांख्यिकीय प्रणाली की रीढ़ हैं और नीति निर्माण, योजना और कार्यक्रम मूल्यांकन, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, सरकारी एजेंसियों, उद्योगपतियों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, थिंक टैंकों और विभिन्न मंत्रालयों व विभागों द्वारा रणनीतिक निर्णयों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। ई-सिग्मा प्लेटफ़ॉर्म सहित तकनीकी और पद्धतिगत सुधारों को अपनाते हुए एनएसएस अब त्रैमासिक और मासिक रिपोर्टों और ज़िला-स्तरीय अनुमानों के साथ अधिक सामयिक और सटीक जानकारी प्रदान करता है, जिससे साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने हेतु डेटा सुनिश्चित होता है।
संगोष्ठी का उद्घाटन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव, आईएएस, डॉ. सौरभ गर्ग करेंगे। सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्थान (आईएसईसी) के अध्यक्ष, डॉ. अशोक दलवई (सेवानिवृत्त आईएएस) मुख्य अतिथि होंगे और मुख्य भाषण देंगे । इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की महानिदेशक सुश्री गीता सिंह राठौर, आईआईएम बैंगलोर (आईआईएमबी) के पूर्व निदेशक प्रो. ऋषिकेश टी. कृष्णन और आईआईएमबी में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी (सीपीपी) के अध्यक्ष प्रो. गोपाल नाइक भी उपस्थित रहेंगे ।
इस कार्यक्रम में लगभग 200 प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें शोधकर्ता, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, औद्योगिक संघ और व्यापार निकाय, नीति निर्माता, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि, उद्यमों के प्रतिनिधि, साथ ही शिक्षा जगत और मीडिया के प्रतिष्ठित संस्थान शामिल होंगे। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी), संचालन समिति और एनएसएस की अन्य विशेषज्ञ समितियों के सदस्य और डोमेन विशेषज्ञ भी उपस्थित रहेंगे। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र तीन पैनल चर्चाएं और प्रतिभागियों के साथ एक खुली बातचीत होगी ।
संगोष्ठी का तकनीकी सत्र, जिसका शीर्षक है “एनएसओ में बदलाव लाने वाली प्रमुख नई पहल”, श्री सलिल कुमार मुखोपाध्याय, अपर महानिदेशक, उद्यम सर्वेक्षण प्रभाग, एनएसओ, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें उच्च आवृत्ति डेटा, जिला-स्तरीय अनुमान और डिजिटल परिवर्तन सहित एनएसएस सर्वेक्षणों में प्रमुख पद्धतिगत और तकनीकी सुधारों पर प्रकाश डाला जाएगा।
संगोष्ठी में तीन पैनल चर्चाएँ होंगी। पहली, “सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक उपयोग के लिए एनएसएस डेटा”, में प्रोफेसर, शोधकर्ता, डेटा वैज्ञानिक और नीति विशेषज्ञ शामिल होंगे और सार्वजनिक नीति प्राथमिकताओं को संबोधित करने और सुगम्यता में सुधार लाने में एनएसएस डेटा की भूमिका पर चर्चा करेंगे। दूसरी, “अनुसंधान के लिए एनएसएस डेटा – मुख्य विशेषताएँ और चुनौतियाँ”, वरिष्ठ एनएसएस अधिकारियों, विषय विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को अनुसंधान और पद्धतिगत चुनौतियों में एनएसएस डेटा के उपयोग पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाएगी।
तीसरे पैनल चर्चा, “यूनिट-स्तरीय डेटा की भविष्य प्रासंगिकता” में प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिनमें आईआईएमबी के प्रो. पुलक घोष (ईएसी-पीएम के अंशकालिक सदस्य), प्रो. मधुरा स्वामीनाथन (आईएसआई बैंगलोर), प्रो. भरत रामास्वामी (अशोका यूनिवर्सिटी) और डॉ. सुरजीत भल्ला (पूर्व अंशकालिक सदस्य, ईएसी-पीएम) शामिल हैं। पैनल का संचालन प्रो. अमित बसोले (अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय) करेंगे।
पैनल चर्चाओं के बाद एक संवादात्मक सत्र के लिए मंच खुला रहेगा। जिससे प्रतिभागी वक्ताओं और पैनलिस्टों से सीधे जुड़ सकेंगे। कार्यक्रम का समापन विचार-विमर्श के सारांश के प्रस्तुतिकरण और मुख्य निष्कर्षों के साथ होगा।
संगोष्ठी का समापन प्रमुख विचारों के सारांश के साथ होगा। यह आयोजन भारत की सांख्यिकीय यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, डेटा उत्पादकों और उपयोगकर्ताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और विकसित भारत @2047 के लिए सांख्यिकीय आधार को मज़बूत करने के प्रति सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है ।