प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 को संबोधित किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 को संबोधित किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित यशोभूमि में एशिया के सबसे बड़े दूरसंचार, मीडिया और प्रौद्योगिकी आयोजन, इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 के 9वें संस्करण का उद्घाटन किया। इंडिया मोबाइल कांग्रेस के विशेष संस्करण में सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि कई स्टार्टअप्स ने वित्तीय धोखाधड़ी रोकथाम, क्वांटम संचार, 6जी, ऑप्टिकल संचार और सेमीकंडक्टर सहित महत्वपूर्ण विषयों पर प्रस्तुतियां दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रस्तुतियां देखकर यह विश्वास और मज़बूत होता है कि भारत का तकनीकी भविष्य सक्षम हाथों में है। उन्होंने इस आयोजन और सभी नई पहलों के लिए शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मोबाइल कांग्रेस मोबाइल और दूरसंचार से आगे बढ़ चुका है और कुछ ही वर्षों में एशिया के सबसे बड़े डिजिटल प्रौद्योगिकी मंच के रूप में उभरा है। उन्होंने पूछा कि यह सफलता की गाथा कैसे लिखी गई और इसे किसने आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे भारत की तकनीक-प्रेमी मानसिकता ने आकार दिया है, जिसका नेतृत्व युवाओं ने किया है और देश की प्रतिभा ने इसे बल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवोन्मेषकों और स्टार्टअप्स ने इस विकास को गति दी है, जो देश की क्षमता के साथ दृढ़ता से खड़ी सरकार द्वारा संभव हुआ है। उन्होंने दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष और डिजिटल संचार नवाचार स्क्वायर जैसी पहलों का उल्लेख किया, जिनके माध्यम से स्टार्टअप्स को वित्त पोषित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार उत्पाद विकास को सक्षम बनाने के लिए 5जी, 6जी, उन्नत ऑप्टिकल संचार और टेरा-हर्ट्ज जैसी तकनीकों के परीक्षण केंद्रों का वित्तपोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स और प्रमुख शोध संस्थानों के बीच साझेदारी को सुगम बनाया जा रहा है, और सरकारी सहयोग से, भारतीय उद्योग, स्टार्टअप्स और शिक्षा जगत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत स्वदेशी तकनीकों का विकास और विस्तार, अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से बौद्धिक संपदा का सृजन और वैश्विक मानकों में योगदान जैसे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने भारत को वैश्विक पटल पर एक प्रभावी मंच के रूप में स्थापित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इंडिया मोबाइल कांग्रेस और दूरसंचार क्षेत्र में भारत की सफलता आत्मनिर्भर भारत के विजन की मजबूती को दर्शाती है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे ‘मेक इन इंडिया’ के विचार का कभी संशयवादियों द्वारा उपहास किया जाता था, जो पिछली सरकारों के दौरान नई तकनीकों को अपनाने में दशकों के विलंब का हवाला देते हुए, तकनीकी रूप से उन्नत उत्पादों के उत्पादन की भारत की क्षमता पर संदेह करते थे। श्री मोदी ने पुष्टि की कि राष्ट्र ने निर्णायक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जो देश कभी 2जी से जूझ रहा था, अब लगभग हर जिले में 5जी कवरेज है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना वृद्धि हुई है, मोबाइल फोन निर्माण में अट्ठाईस गुना वृद्धि हुई है, जबकि इसके निर्यात में एक सौ सत्ताईस गुना की वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में, मोबाइल फोन निर्माण क्षेत्र ने लाखों प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं। उन्होंने एक प्रमुख स्मार्टफोन कंपनी के हाल के आंकड़ों का उदाहरण देते हुए बताया कि 45 भारतीय फर्म अब उसकी आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा हैं, जिससे केवल एक कंपनी से लगभग 3.5 लाख रोजगारों का सृजन हो रहा हैं। प्रधानमंत्री ने इस कहा कि देश भर में अनेक कंपनियां बड़े पैमाने पर विनिर्माण कर रही हैं और जब अप्रत्यक्ष अवसरों को इसमें जोड़ दिया जाए तो रोजगार के आंकड़े और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
श्री मोदी ने इसे डिजिटल आत्मनिर्भरता और तकनीकी स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि भारत ने हाल ही में अपना मेड-इन-इंडिया 4जी स्टैक लॉन्च किया है, जो एक बड़ी स्वदेशी उपलब्धि है। इसके साथ ही भारत अब इस क्षमता वाले विश्व के पांच देशों की सूची में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी 4जी और 5जी स्टैक के माध्यम से, भारत न केवल निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा, बल्कि अपने नागरिकों को हाई-स्पीड इंटरनेट और विश्वसनीय सेवाएं भी प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 4जी स्टैक लॉन्च के दिन, देश भर में लगभग एक लाख 4जी टावर एक साथ सक्रिय किए गए, जिससे दो करोड़ से ज़्यादा लोग भारत के डिजिटल आंदोलन का हिस्सा बन सके। उन्होंने कहा कि इनमें से कई क्षेत्र पहले दूर-दराज़ के थे और डिजिटल कनेक्टिविटी में पिछड़े हुए थे, लेकिन अब इंटरनेट की पहुंच ऐसे सभी क्षेत्रों तक हो गई है।
श्री मोदी ने भारत के मेड-इन-इंडिया 4जी स्टैक की एक और प्रमुख विशेषता- इसकी निर्यात तत्परता की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी स्टैक भारत की व्यावसायिक पहुंच के लिए एक माध्यम के रूप में काम करेगा और ‘भारत 6जी विज़न 2030’ को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
पिछले एक दशक में भारत की प्रौद्योगिकी क्रांति के तेज़ी से आगे बढ़ने और इस गति एवं पैमाने से मेल खाने के लिए, एक मज़बूत कानूनी और आधुनिक नीतिगत आधार की लंबे समय से ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने दूरसंचार अधिनियम के अधिनियमन की जानकारी दी। इसने पुराने पड़ चुके भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम की जगह ली। ये ऐसे क़ानून थे जो आज के कई नागरिकों के जन्म से भी पहले के थे। श्री मोदी ने 21वीं सदी के दृष्टिकोणों के अनुरूप एक नया ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे सरकार ने सफलतापूर्वक लागू किया है। उन्होंने कहा कि नया कानून नियामक के रूप में नहीं, बल्कि एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब स्वीकृति आसान हो गई हैं और राइट-ऑफ़-वे की अनुमतियां अब और तेज़ी से दी जा रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, फाइबर और टावर नेटवर्क का विस्तार तेज़ हो रहा है, जिससे व्यापार करने में आसानी हो रही है, निवेश को बढ़ावा मिल रहा है और उद्योगों को दीर्घकालिक योजना बनाने में सहायता मिल रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में साइबर सुरक्षा को समान प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि साइबर धोखाधड़ी के विरुद्ध कानूनों को और सख्त बनाया गया है, जवाबदेही बढ़ाई गई है और शिकायत निवारण तंत्र में सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि इन उपायों से उद्योग और उपभोक्ता दोनों को ही काफ़ी लाभ हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत की क्षमता को तेज़ी से पहचान रही है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार और दूसरा सबसे बड़ा 5जी बाज़ार है। बाज़ार की मज़बूती के साथ-साथ, भारत के पास जनशक्ति, गतिशीलता और एक प्रगतिशील सोच भी है। श्री मोदी ने बल देते हुए कहा कि जनशक्ति के मामले में भारत पैमाने और कौशल दोनों का प्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी का घर है और इस पीढ़ी को व्यापक स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती विकासोन्मुख आबादी है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत में एक जीबी वायरलेस डेटा की लागत अब एक कप चाय की कीमत से भी कम है। उन्होंने कहा कि प्रति उपयोगकर्ता डेटा खपत में भारत अग्रणी देशों में से एक है, जो दर्शाता है कि डिजिटल कनेक्टिविटी अब एक विशेषाधिकार या विलासिता नहीं बल्कि दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत उद्योग और निवेश के विस्तार पर केंद्रित मानसिकता के साथ अग्रणी है। उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था, सरकार के स्वागतपूर्ण दृष्टिकोण और व्यापार सुगमता नीतियों ने भारत को एक निवेशक-अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की सफलता को सरकार की डिजिटल-प्रथम मानसिकता का प्रमाण बताया। पूरे विश्वास के साथ, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि यह निवेश, नवाचार और मेक इन इंडिया का सबसे अच्छा समय है! उन्होंने कहा कि विनिर्माण से लेकर सेमीकंडक्टर, मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और स्टार्टअप तक, भारत संभावनाओं और ऊर्जा से भरपूर है।
लाल किले से अपने हाल के स्वतंत्रता दिवस संबोधन को याद करते हुए, जहां उन्होंने चालू वर्ष को बड़े सुधारों और परिवर्तनकारी बदलावों का वर्ष बताया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों की गति तेज़ हो रही है, जिससे उद्योग और नवप्रवर्तकों की ज़िम्मेदारी बढ़ रही है। उन्होंने स्टार्टअप्स और युवा नवप्रवर्तकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया, जो अपनी गति और जोखिम उठाने की क्षमता से नए मार्ग और अवसरों का सृजन कर रहे हैं। श्री मोदी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि इस वर्ष, इंडिया मोबाइल कांग्रेस ने 500 से ज़्यादा स्टार्टअप्स को आमंत्रित किया है, जिससे उन्हें निवेशकों और वैश्विक मार्गदर्शकों से जुड़ने के बहुमूल्य अवसर मिले हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थापित कंपनियां इस क्षेत्र के विस्तार में लगातार बढ़ती भूमिका निभा रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि ये कंपनियां मज़बूत अनुसंधान और विकास क्षमताओं के बल पर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए स्थिरता, पैमाना और दिशा प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि स्टार्टअप्स की गति और स्थापित कंपनियों के एक साथ मिलकर काम करने के पैमाने से भारत सशक्त होगा।
उद्योग के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में युवा स्टार्टअप इनोवेटर्स, शिक्षाविदों, अनुसंधान समुदाय और नीति निर्माताओं के सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इंडिया मोबाइल कांग्रेस जैसे मंच इस तरह के संवाद के लिए प्रभावी उत्प्रेरक का काम करेंगे। उन्होंने मोबाइल, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और व्यापक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों पर ध्यान देने का आग्रह किया और कहा कि जहां भी वैश्विक बाधाएं हैं, भारत के पास समाधान प्रस्तुत करने का अवसर है। श्री मोदी ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण का उदाहरण दिया, जहां पहले क्षमता कुछ ही देशों तक सीमित थी, और अब दुनिया विविधीकरण चाहती है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और देश भर में दस सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों पर काम चल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के क्षेत्र में, वैश्विक कंपनियाँ ऐसे विश्वसनीय साझेदारों की तलाश में हैं जो पैमाने और विश्वसनीयता दोनों प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि दुनिया को दूरसंचार नेटवर्क उपकरणों के डिज़ाइन और निर्माण के लिए भी विश्वसनीय साझेदारों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि भारतीय कंपनियां विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता और डिज़ाइन साझेदार क्यों नहीं बन सकतीं?
श्री मोदी ने कहा कि मोबाइल निर्माण में, चिपसेट, बैटरी, डिस्प्ले और सेंसर जैसे घटकों का उत्पादन देश में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया पहले से कहीं अधिक डेटा उत्पन्न कर रही है, जिससे भंडारण, सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डेटा केंद्रों और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम को आगे बढ़ाकर, भारत में एक वैश्विक डेटा केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने यह आशा व्यक्त करते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि आगामी सत्र इसी दृष्टिकोण और केंद्रित उद्देश्य के साथ जारी रहेगा। उन्होंने एक बार फिर सभी प्रतिभागियों को संपूर्ण इंडिया मोबाइल कांग्रेस कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
दूरसंचार विभाग (डीओटी) और सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 का आयोजन 8 से 11 अक्टूबर तक “इनोवेट टू ट्रांसफॉर्म” विषय के अंतर्गत किया जाएगा, जिसमें डिजिटल परिवर्तन और सामाजिक प्रगति के लिए नवाचार का लाभ उठाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता प्रतिबद्धता का उल्लेख किया जाएगा।
आईएमसी 2025 दूरसंचार और उभरती प्रौद्योगिकियों में नवीनतम प्रगति को प्रदर्शित करेगा और वैश्विक प्रमुखों, नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और नवप्रवर्तकों को एक साथ लाएगा। यह कार्यक्रम ऑप्टिकल संचार, दूरसंचार में सेमीकंडक्टर, क्वांटम संचार, 6जी और धोखाधड़ी जोखिम संकेतक जैसे प्रमुख विषयों पर केंद्रित होगा, जो अगली पीढ़ी की कनेक्टिविटी, डिजिटल संप्रभुता, साइबर धोखाधड़ी रोकथाम और वैश्विक प्रौद्योगिकी नेतृत्व में भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
इस कार्यक्रम में 150 से ज़्यादा देशों से 1.5 लाख से ज़्यादा आगंतुकों, 7,000 से ज़्यादा वैश्विक प्रतिनिधियों और 400 से ज़्यादा कंपनियों के भाग लेने की आशा है। 5जी/6जी, एआई, स्मार्ट मोबिलिटी, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग और हरित प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में 1,600 से ज़्यादा नए उपयोग-मामलों को 100 से ज़्यादा सत्रों और 800 से ज़्यादा वक्ताओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
आईएमसी 2025 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी बल देता है, जिसमें जापान, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, रूस, आयरलैंड और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं।
Addressing the India Mobile Congress 2025 in New Delhi. https://t.co/rT6luJNfaD
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