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प्रधानमंत्री ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की विरासत को पूरा करने पर चिंतन किया, युवाओं से प्रेरणा लेने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की विरासत को पूरा करने पर चिंतन किया, युवाओं से प्रेरणा लेने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की दीर्घकालिक इच्छा पूरी होने पर लगभग दो दशक पहले किए गए एक अत्यंत संतोषजनक राष्ट्रीय प्रयास का उल्‍लेख किया।

श्यामजी कृष्ण वर्मा का 1930 में निधन हो गया। उन्‍हें उम्‍मीद थी कि उनकी अस्थियां एक दिन स्वतंत्र भारत लौट आएंगी। उनकी यह पवित्र इच्छा अगस्त 2003 तक अधूरी रही, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा से उनकी अस्थियां वापस लाने की ऐतिहासिक पहल की।

उन्होंने कहा कि यह पहल मां भारती के एक साहसी सपूत की स्मृति का सम्मान है और यह पहल स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को संरक्षित करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराती है।

प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि अधिक से अधिक युवा भारतीय श्यामजी कृष्ण वर्मा के जीवन, न्याय के प्रति उनके निडर प्रयास तथा भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनके अटूट समर्पण के बारे में पढ़ेंगे।

श्री मोदी ने एक्स पर मोदी आर्काइव हैंडल द्वारा की गई पोस्ट का जवाब देते हुए कहा:

यह सूत्र लगभग दो दशक पहले किए गए एक बहुत ही संतोषजनक प्रयास के बारे में बताता है जिससे श्यामजी कृष्ण वर्मा की इच्छा पूरी हुई और माँ भारती के एक साहसी सपूत को सम्मान मिला।

अधिक से अधिक युवा उनकी महानता और बहादुरी के बारे में पढ़ें!

This thread highlights a very satisfying effort undertaken about two decades ago, thus fulfilling a wish of Shyamji Krishna Varma and honouring a courageous son of Maa Bharti.

May more youngsters read about his greatness and bravery! https://t.co/H6NwdQC3zu

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