ट्राई ने “निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने” पर अनुशंसाएं जारी कीं
ट्राई ने “निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने” पर अनुशंसाएं जारी कीं
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज चार ‘ए+‘ श्रेणी के शहरों अर्थात दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई और नौ ‘ए‘ श्रेणी के शहरों अर्थात हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, सूरत, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर और नागपुर में डिजिटल रेडियो प्रसारण सेवा शुरू करने के लिए नियम और शर्तों तथा आरक्षित मूल्य के साथ “निजी रेडियो प्रसारकों के लिए एक डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने” पर अपनी अनुशंसाएं जारी की हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने 23 अप्रैल 2024 के अपने संदर्भ के माध्यम से निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने पर ट्राई अधिनियम, 1997 की धारा 11 (1) (ए) (आई) के तहत ट्राई से अनुशंसाएं मांगी थीं।
इस संबंध में, 30 सितंबर 2024 को एक परामर्श पत्र जारी किया गया था जिसमें निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों की टिप्पणियां मांगी गई थीं। परामर्श पत्र पर 43 टिप्पणियां और 13 प्रति-टिप्पणियां प्राप्त हुईं, जो ट्राई की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसके बाद, 8 जनवरी 2025 को एक ओपन हाउस चर्चा आयोजित की गई ।
प्राप्त सभी टिप्पणियों/प्रति-टिप्पणियों पर विचार करने और मुद्दों के विश्लेषण के बाद, प्राधिकरण ने अपनी अनुशंसाओं को अंतिम रूप दिया है। अनुशंसाओं की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ल. प्रसार भारती को अपनी भूमि और टावर अवसंरचना (एलटीआई) के साथ-साथ सामान्य प्रसारण अवसंरचना (सीटीआई) को निजी प्रसारकों के साथ रियायती किराये की दरों पर साझा करना चाहिए और प्रचालनगत व्यय की पूरी वसूली भी करनी चाहिए।
शहर
श्रेणी
सिमुलकास्ट के लिए स्पेक्ट्रम हेतु आरपी
(करोड़ रुपये में)
चेन्नई
ए+
146.68
दिल्ली
ए+
177.63
कोलकाता
ए+
79.96
मुंबई
ए+
194.08
अहमदाबाद
ए
40.44
बेंगलुरू
ए
87.22
हैदराबाद
ए
65.85
जयपुर
ए
26.89
कानपुर
ए
20.52
लखनऊ
ए
24.59
नागपुर
ए
29.48
पुणे
ए
41.26
सूरत
ए
25.89
एनपीवी को विधिवत संरक्षित करना।
क्ष. वार्षिक किस्तों में माइग्रेशन राशि के भुगतान के मामले में, 5 वर्ष की तीन स्लैबों में वृद्धिशील किस्तों की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे मौजूदा अनुमति की शेष अवधि के लिए एनओटीईएफ की आनुपातिक राशि से कम एडीपी के 66.67 प्रतिशत की वसूली, एनपीवी की विधिवत सुरक्षा करते हुए 15 वर्षों में समान किस्तों में की जा सके और एडीपी के शेष 33.33 प्रतिशत को निम्न दरों पर वसूला जा सके:
एनपीवी को विधिवत संरक्षित करना।
त्र. वार्षिक किस्त विकल्प या आंशिक भुगतान विकल्प के मामले में, एडीपी/माइग्रेशन राशि के एनपीवी को भारतीय स्टेट बैंक की एक वर्ष की एमसीएलआर की लागू ब्याज दर पर किस्तों की छूट देकर संरक्षित किया जाना चाहिए।
डिजिटल रेडियो प्रसारण, एनालॉग रेडियो प्रसारण की तुलना में कई लाभ प्रदान करेगा। इन अनुशंसाओं में ट्राई द्वारा प्रस्तावित डिजिटल रेडियो प्रसारण का प्रमुख लाभ, सिमुलकास्ट मोड में एकल स्पॉट आवृत्ति पर एक एनालॉग चैनल के अतिरिक्त, तीन डिजिटल और एक डेटा चैनल प्रसारित करने की क्षमता है। इस मोड में, डिजिटल रेडियो चैनल बेहतर ऑडियो गुणवत्ता प्रदान करते हैं, जबकि एनालॉग मोड में करियर फ्रीक्वेंसी पर केवल एक चैनल का प्रसारण संभव होता है। प्रतिस्पर्धी माहौल में, डिजिटल रेडियो प्रसारण, रेडियो प्रसारकों को नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ श्रोताओं को सुनने के अलग-अलग विकल्प और मूल्यवर्धित सेवाएं भी प्रदान कर सकता है।
अनुशंसाओं का पूर्ण मूल पाठ ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्ध है। किसी भी स्पष्टीकरण/जानकारी के लिए, ट्राई की सलाहकार (प्रसारण एवं केबल सेवाएं) डॉ. दीपाली शर्मा से टेलीफोन नंबर: +91-11-20907774 पर संपर्क किया जा सकता है।
- ‘ए+‘, ‘ए‘, ‘बी‘, ‘सी‘ और ‘डी‘ श्रेणी के शहरों के लिए एजीआर का 4 प्रतिशत।
- ‘अन्य‘ श्रेणी (पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और द्वीप क्षेत्र के सीमावर्ती और पहाड़ी क्षेत्रों में) और ‘ई‘ श्रेणी के शहरों के लिए – 3 वर्षों की प्रारंभिक अवधि के लिए एजीआर का 2 प्रतिशत, उसके बाद उपरोक्त के समान।