सरकार और आरबीआई ने महंगाई नियंत्रित करने और आम नागरिक पर इसके असर को कम करने के लिए प्रमुख मौद्रिक और राजकोषीय उपाय किए
सरकार और आरबीआई ने महंगाई नियंत्रित करने और आम नागरिक पर इसके असर को कम करने के लिए प्रमुख मौद्रिक और राजकोषीय उपाय किए
बीती तीन तिमाहियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित औसत महंगाई नीचे दी गई तालिका में है:
तिमाही
सीपीआई पर आधारित महंगाई दर (%)
डब्ल्यूपीआई पर आधारित महंगाई दर (%)
तिमाही 3 :2024-25
5.6
2.5
तिमाही 4 :2024-25
3.7
2.4
तिमाही 1 :2025-26
2.7
0.4
स्रोत: एमओएसपीआई और आर्थिक सलाहकार कार्यालय (डीपीआईआईटी)
इसे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में आज राज्य सभा में रखा।
मंत्री जी ने बताया कि आरबीआई अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अंतर्गत, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने प्राथमिक मौद्रिक पॉलिसी फ्रेमवर्क के तौर पर एक लचीली महंगाई लक्ष्य की पॉलिसी का पालन करता है, जहां आरबीआई उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई (हेडलाइन महंगाई) को 4% के साथ ±2 प्रतिशत अंकों के टॉलरेंस बैंड पर बनाए रखने का लक्ष्य (अर्थात् लक्ष्य 2% से 6% की लक्ष्य सीमा) रखता है। बीती तीन तिमाहियों में, सीपीआई महंगाई आरबीआई के टॉलरेंस बैंड 4% ±2% की सीमा में है। आरबीआई के लिए डब्ल्यूपीआई प्रमुख लक्षित महंगाई दर नहीं है।
मंत्री जी ने बताया कि भारत सरकार ने महंगाई नियंत्रित करने और आम नागरिक पर उसके असर के कम करने के लिए राजकोषीय और व्यापार नीतियों समेत प्रशासनिक उपाय किए हैं। इसमें शामिल हैं:
अधिक जानकारी देते हुए, मंत्री जी ने प्रयासों की सराहना करते हुए बताया कि, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक कुल मिलाकर रेपो रेट में 250 बेसिस अंकों (4% से 6.5%) की बढ़ोतरी की, और इसके बाद इसके जनवरी 2025 तक 6.5% पर बनाए रखा। इसके चलते, सालाना आधार पर खुदरा महंगाई, जिसे सीपीआई से मापा जाता है, 2023-24 में 5.4 प्रतिशत से गिरकर 2024-25 में 4.6 प्रतिशत पर आ गई, जो 6 साल में सबसे कम है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई जून 2025 में 2.1 प्रतिशत तक गिर गई। महंगाई में लगातार गिरावट और विकास को आगे बढ़ाने के क्रम में, आरबीआई ने फरवरी 2025 से पॉलिसी (रेपो) रेट में 100 बेसिस अंकों की कटौती की है। उठाए गए इन कदमों का उद्देश्य महंगाई नियंत्रित करने और संपोषित आर्थिक प्रगति में संतुलन बनाए रखने का है।