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दुधारू पशुपालन

दुधारू पशुपालन

देश में  दुधारू पशुओं और पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की सहायता के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग राज्य सरकारों के माध्यम से निम्नलिखित योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है:

1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन को देशी नस्लों के विकास और संरक्षण, गायों की प्रजाति (गोजातीय) आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और गोजातीय दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए लागू किया गया है। इस योजना के अंतर्गत दुधारू पशुओं के विकास के लिए  निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं: (i) 50% से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम लागू किया जा रहा है; (ii) देशी नस्लों के बैलों सहित उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैलों की संख्या बढ़ाने के लिए संतान परीक्षण और वंशावली चयन लागू किया जा रहा है; (iii) गोजातीय आबादी के तेजी से आनुवंशिक उन्नयन के लिए आईवीएफ तकनीक और लिंग आधारित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम लागू किया जा रहा है; (iv) मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए जीनोम संबंधी चयन लागू किया जा रहा है

2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन, मुर्गी पालन, भेड़, बकरी, सूअर पालन, चारा और चारे के विकास में उद्यमिता विकास और नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत उद्यमिता विकास के लिए व्यक्तियों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों, धारा 8 कंपनियों और नस्ल सुधार अवसंरचना के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस योजना में 21.02.2024 को संशोधन किया गया है और पशुधन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए की  गई  गतिविधियों में घोड़े, गधे, खच्चर और ऊँट को शामिल किया गया है।

3. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को निम्नलिखित 2 घटकों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है: (i) एनपीडीडी का घटक ”ए” राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशनों/जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ/स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)/दूध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए गुणवत्ता वाले दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ प्राथमिक शीतलन सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण/सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित है और (ii) एनपीडीडी योजना के घटक ”बी” “सहकारिता के माध्यम से डेयरी” का उद्देश्य संगठित बाजार तक किसानों की पहुंच बढ़ाकर, डेयरी प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन बुनियादी ढांचे को उन्नत करके और उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि करके दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री में वृद्धि करना है।

4. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम का कार्यान्वयन पशु रोगों के लिए रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं का क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, इस योजना के अंतर्गत पशु औषधि का एक नया घटक जोड़ा गया है जिससे प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएम-केएसके) और सहकारी समितियों के माध्यम से देश भर में सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। यह जेनेरिक दवाओं के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा जो सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली होंगी

दुधारू पशुओं सहित पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिए विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रत्यक्ष योजनाओं का विवरण इस प्रकार है:

(i) पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): एएचआईडीएफ पशुधन उत्पाद प्रसंस्करण और विविधीकरण अवसंरचना के निर्माण/सुदृढ़ीकरण के लिए 3% प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान प्रदान करता है इससे असंगठित उत्पादक सदस्यों को संगठित बाजार तक अधिक पहुंच प्रदान होती है।

(ii) डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करना (एसडीसीएफपीओ): राज्य डेयरी सहकारी संघों को  प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न संकट से निपटने के लिए कार्यशील पूंजी ऋण के संबंध में ब्याज अनुदान (नियमित 2% और शीघ्र पुनर्भुगतान पर अतिरिक्त 2%) प्रदान करके सहायता प्रदान करना।

यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 22 जुलाई, 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।