Tuesday, June 24, 2025
Latest:
Current Affairs

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सच्चे शासन के सार पर देवी अहिल्याबाई के दृष्टिकोण को दोहराया, यह लोगों की सेवा करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में निहित है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सच्चे शासन के सार पर देवी अहिल्याबाई के दृष्टिकोण को दोहराया, यह लोगों की सेवा करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में निहित है

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से 31 मई, 2025 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रतिष्ठित दूरदर्शी नेता और सांस्कृतिक सुधारक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्‍म जयंती मनाई।

   

इस महत्वपूर्ण समारोह में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत मां भारती और भारत की महिलाओं से आशीर्वाद के आह्वान के साथ की। यह भारत की नारी शक्तिकी ताकत और संभावना का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की भक्ति, सुशासन और सामाजिक सुधार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्‍म जयंती 140 करोड़ भारतीयों के लिए प्रेरणा का अवसर है और राष्ट्र निर्माण के महान प्रयासों में योगदान देने का क्षण है। उन्होंने कहा, “माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक है:”

उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, इसके प्रभाव और इसे सक्षम बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयास पर भी प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रतीक हैं और कहा, “देवी अहिल्याबाई इस विचार की प्रतीक हैं कि इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ, चाहे परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

उन्होंने ढाई सौ – तीन सौ वर्षों के बाद भी देवी अहिल्याबाई के विचारों और कार्यों की स्थायी विरासत, प्रभाव और निरंतर प्रासंगिकता के बारे में बात की। इसके बारे में आज भी पीढ़ियां चर्चा करती हैं। देवी अहिल्याबाई होल्कर को उद्धृत करते हुए, प्रधानमंत्री ने सच्चे शासन के सार पर उनके विचारों को दोहराया और कहा अहिल्याबाई कहा करती थीं कि सच्चा शासन लोगों की सेवा करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में निहित है। उन्होंने यह भी कहा कि माता अहिल्याबाई ने शासन का एक अनुकरणीय मॉडल अपनाया जिसमें गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई – प्रधानमंत्री

लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के जीवन और विरासत पर प्रदर्शनी इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन और विरासत पर एक प्रदर्शनी थी। कलाकारों ने पेंटिंग के माध्‍यम से इतिहास और आख्यानों को प्रदर्शित किया और मध्य प्रदेश सरकार ने इसमें समन्‍वय किया एवं संस्कृति मंत्रालय के स्मरणोत्सव प्रभाग द्वारा इसका संयोजन किया गया था। प्रदर्शनी में 4 मुख्य खंड हैं:

 

प्रधानमंत्री ने महेश्वरी साड़ियों की छठी पीढ़ी की बुनकर हेमलता जी से बातचीत की। संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने उन्हें पूरी प्रदर्शनी के बारे में बताया।

 

 

स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करना

इस कार्यक्रम में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्‍म जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया।

भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में उनके अमूल्य योगदान का समारोह मनाया गया।

 

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर पर फिल्म

इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के स्मरणोत्सव प्रभाग द्वारा बनाई गई एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। अहिल्याबाई होल्कर: संस्कृति की संरक्षिका, शासन की शिल्पकारशीर्षक वाली यह फिल्म उनके असाधारण जीवन को सिनेमाई श्रद्धांजलि देते हुए उनके दृष्टिकोण, सुधारों और आध्यात्मिक समर्पण को दर्शाती है।

माननीय प्रधानमंत्री ने भोपाल में अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया जिनका उद्देश्य क्षेत्र में शहरी बुनियादी ढांचे, विरासत संरक्षण और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना है।

आज इंदौर मेट्रो का उद्घाटन हुआ है और अब दतिया और सतना से भी हवाई सेवाएं शुरू हो गई हैं। इन परियोजनाओं से मध्य प्रदेश में जन सुविधाएं बढ़ेंगी, विकास में तेजी आएगी और रोजगार के अनेक नए अवसर पैदा होंगे।” – प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने जनजातीय, लोक और पारंपरिक कलाओं में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित कलाकार डॉ. जयमती कश्यप को देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किया। यह भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और महिला रचनाकारों को सशक्त बनाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह स्‍मरणीय कार्यक्रम भारत की समृद्ध सभ्यतागत विरासत का समारोह मनाने तथा देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विकास की नींव रखने वाले दूरदर्शी लोगों को सम्मानित करने के संस्कृति मंत्रालय के व्यापक मिशन का हिस्सा था।