Saturday, December 20, 2025
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स्वनिधि: रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं का सशक्तिकरण

स्वनिधि: रेहड़ी–पटरी विक्रेताओं का सशक्तिकरण

 

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

प्रमुख बिन्दु

 

 

 भूमिका: सक्षमकर्ताओं को सशक्त बनाना

रेहड़ी–पटरी विक्रेता, किसी भी शहर की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। रेहड़ी–पटरी स्व-रोजगार का एक ऐसा स्वरूप है जो शहरी आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह आबादी के सभी वर्गों को उनके घर पर ही वस्तुओं और सेवाओं की सुलभ उपलब्धता सुनिश्चित करता है।

रेहड़ीपटरी विक्रेताओं को जिन प्रमुख चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है उनमें हैंमान्यता का अभाव, औपचारिक ऋण तक उनकी सीमित पहुँच, शिक्षा एवं कुशलता के स्तर में कमी, निर्धारित वेंडिंग क्षेत्रों की कमी तथा उभरते बाजार अवसरों तक इनकी सीमित पहुँच शामिल हैं। रेहड़ीपटरी विक्रेता असंगठित क्षेत्र के स्वरोजगार में संलग्न होते हैं जिससे इन विक्रेताओं और उनके परिवारों का सामाजिक सुरक्षा से लेकर जन कल्याण तथा सरकारी सहायता की योजनाओं से जुड़ाव सीमित रहता है। परिणामस्वरूप, कठिन परिस्थितियों अथवा आकस्मिक आवश्यकताओं के समय उनकी स्थिति और चिंतनीय हो जाती है।

पीएम स्वनिधि योजना का शुभारंभ जून 2020 में किया गया जिसका उद्देश्य महामारी के दौरान उत्पन्न वित्तीय संकटों से उबरने तथा प्रभावित व्यवसायों को फिर से शुरू करने में रेहड़ीपटरी विक्रेताओं की सहायता करना था। हालांकि जब से इस योजना का क्रियान्वयन किया गया, इसने न केवल रेहड़ीपटरी विक्रेताओं को वित्तीय सहायता दी बल्कि इसने अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को औपचारिक पहचान एवं सम्मान प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया।

27 अगस्त, 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री रेहड़ी-पटरी विक्रेता आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना की ऋण अवधि को 31.12.2024 से आगे बढ़ाने तथा योजना के पुनर्गठन को स्वीकृति प्रदान की। इस निर्णय के बाद योजना की ऋण अवधि 31 मार्च, 2030 तक बढ़ा दी गई है। इस योजना के लिए कुल परिव्यय ₹7,332 करोड़ है। पुनर्गठित योजना के अंतर्गत 1.15 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 50 लाख नए लाभार्थी शामिल हैं।

 

 ऋण वितरण एवं कल्याणकारी संबद्धताएँ

 

 

पुनर्गठित योजना की प्रमुख विशेषताओं में पहले एवं दूसरे चरण के ऋण की राशि में वृद्धि, दूसरे चरण के ऋण की समय पर अदायगी करने वाले रेहड़ीपटरी विक्रेताओं को यूपीआई से जुड़ा रुपे क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराना, तथा खुदरा एवं थोक लेनदेन के लिए डिजिटल भुगतान पर कैशबैक प्रोत्साहन शामिल हैं। योजना का विस्तार चरणबद्ध ढंग से सांविधिक कस्बों से आगे जनगणना नगरों, अर्धशहरी क्षेत्रों आदि तक किया जा रहा है।

संशोधित ऋण संरचना के अंतर्गत पहले चरण का ऋण ₹10,000 से बढ़ाकर ₹15,000, दूसरे चरण का ऋण ₹20,000 से बढ़ाकर ₹25,000 जबकि तीसरे चरण में ऋण की राशि को बढ़ाकर ₹50,000 किया गया है।

यूपीआई से जुड़ा रुपे क्रेडिट कार्ड रेहड़ीपटरी विक्रेताओं को अचानक सामने आने वाली व्यावसाय से जुड़ी अथवा व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तत्काल ऋण सुविधा प्रदान करेगा।

इससे आगे डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने हेतु रेहड़ीपटरी विक्रेताओं के लिए निम्नलिखित कैशबैक के प्रावधान किए गए हैं

इस योजना को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, आजीविका के अवसर को सशक्त करने, वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने और डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में इसके उत्कृष्ट योगदान के लिए, सार्वजनिक प्रशासन में नवाचार (केंद्रीय स्तर), के लिए वर्ष 2023 का प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार तथा डिजिटल परिवर्तन हेतु सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2022 का रजत पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।

 राहत से विकास की ओर: पुनर्गठित पीएम स्वनिधि योजना

वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान छोटे ऋण सहायता के रूप में प्रारंभ की गई यह योजना, पुनर्गठन के पश्चात रेहड़ीपटरी विक्रेताओं के समग्र विकास की परिकल्पना प्रस्तुत करती है। यह योजना व्यवसाय विस्तार के लिए विश्वसनीय वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के साथसाथ सतत विकास के अवसर भी प्रदान करती है। योजना न केवल समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, बल्कि रेहड़ीपटरी विक्रेताओं और उनके परिवारों का सामाजिकआर्थिक उत्थान भी सुनिश्चित करती है, जिससे शहरी क्षेत्रों को एक जीवंत एवं आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तित किया जा सके।

योजना के क्रियान्वयन के केंद्र में है उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कुशलता एवं विपणन, जिसके माध्यम से क्षमता निर्माण पर भी विशेष बल दिया गया है। इसके अतिरिक्त, एफएसएसएआई के सहयोग से स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए मानक स्वच्छता एवं खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाएगा।

 

 पीएम स्वनिधि के क्रियान्वयन में संस्थागत भूमिकाएँ

योजना के क्रियान्वयन का दायित्व संयुक्त रूप से आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय तथा वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) की होगी। वित्तीय सेवा विभाग बैंकों और वित्तीय संस्थानों तथा उनके जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मियों के माध्यम से ऋण एवं क्रेडिट कार्ड तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होगा।

यद्यपि पीएम स्वनिधि योजना केंद्र सरकार की पहल है, तथापि इसके प्रभावी क्रियान्वयन में राज्य सरकारों, बैंकों तथा शहरी स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य सरकारें एवं शहरी स्थानीय निकाय रेहड़ीपटरी विक्रेताओं की पहचान करने, ऋण प्रक्रिया को सुगम बनाने तथा उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने में योगदान देते हैं। बैंक ऋण का वितरण, ब्याज अनुदान की प्रक्रिया को समय बद्ध ढंग से पूर्ण करते हुए डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करते हैं। इन सभी के संयुक्त प्रयासों से यह योजना अपने व्यवहारिक स्वरूप में लागू होती है।

लोक कल्याण मेला एवं स्वनिधि संकल्प अभियान के माध्यम से पहुँच एवं ऋण वितरण को बढ़ावा

 

स्वनिधि से समृद्धिघटक के अंतर्गत लोक कल्याण मेलों के माध्यम से रेहड़ीपटरी विक्रेताओं एवं उनके परिवारों के समग्र कल्याण और विकास को और गति दी जा रही है। इसका उद्देश्य रेहड़ीपटरी विक्रेताओं एवं उनके परिवारों को केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का पूरा लाभ मिले और उनके समग्र विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो सके। विशेष अभियान के अंतर्गत 17 सितंबर से 15 अक्टूबर 2025 तक सभी शहरी स्थानीय निकायों में लोक कल्याण मेलों का आयोजन किया गया, जिनकी निगरानी समर्पित लोक कल्याण पोर्टल के माध्यम से की गई। इन मेलों के माध्यम से विक्रेताओं की भागीदारी, ऋण आवेदन, त्वरित ऋण वितरण तथा डिजिटल ऑनबोर्डिंग सुनिश्चित की गई।

 

 पीएम स्वनिधि योजना की उपलब्धियाँ

स्वनिधि से समृद्धि

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स्वनिधि से समृद्धिपहल के अंतर्गत लाभार्थियों को भारत सरकार की 8 कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया है। 9 दिसंबर 2025 तक 47 लाख से अधिक रेहड़ीपटरी विक्रेताओं एवं उनके परिवारों की प्रोफाइलिंग पूर्ण की जा चुकी है तथा 1.46 करोड़ से अधिक योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है।

 

 निष्कर्ष

पीएम स्वनिधि योजना का नवीन स्वरूप रेहड़ीपटरी विक्रेताओं की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए समावेशी शहरी विकास के व्यापक दृष्टिकोण को भी प्रतिबिंबित करता है। इस योजना से बिना गारंटी के बैंक ऋण, क्रेडिट इतिहास के निर्माण तथा यूपीआईसक्षम डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म के माध्यम से रेहड़ीपटरी विक्रेताओं औपचारिक वित्तीय प्रणाली में एकीकरण होता है जिससे उन्हें अनौपचारिक आजीविका से निरंतर आय और सूक्ष्म उद्यम की ओर ले जाने के विचार को मूर्त किया जा सकता है। साथ ही, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच को सुदृढ़ कर, यह योजना दीर्घकालिक आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देती है। पीएम स्वनिधि डिजिटल व्यवस्था में स्ट्रीट वेंडर्स के निरंतर समावेशन, वित्तीय साक्षरता एवं उनकी क्षमता निर्माण के माध्यम से शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के एक अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ग को सशक्त बनाती है तथा आत्मनिर्भर एवं समावेशी भारत के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करती है।

संदर्भ:

 

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय

 

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल

 

 

पत्र सूचना कार्यालय

 

 

पीआईबी शोध

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