स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना
स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना
स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना (एसएसएसवाई) के अंतर्गत आज तक 171689 स्वतंत्रता सेनानियों को केंद्रीय पेंशन प्राप्त हुई है। राज्यवार आंकड़े अनुलग्नक-I में संलग्न हैं।
13212 पेंशनभोगी अब भी जीवित हैं और एसएसएसवाई सम्मान पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। राज्यवार आँकड़े अनुलग्नक-II में दिए गए हैं;
9778 विधवाएँ (पति/पत्नी) अब भी जीवित हैं और एसएसएसवाई सम्मान पेंशन प्राप्त कर रही हैं। राज्यवार आँकड़े अनुलग्नक-III में दिए गए हैं।
इस योजना के अंतर्गत पारिवारिक पेंशन और आश्रितों के लिए पात्रता मानदंड अनुलग्नक-IV में दिए गए हैं।
पिछले पांच वर्षों के दौरान इस योजना के लिए आवंटित और वितरित कुल धनराशि निम्नानुसार है:
क्रम संख्या
वर्ष
आवंटित बजट
(करोड़ रुपये में)
वितरित निधि
(करोड़ रुपये में)
1
2020-21
760 रुपये
660.14 रुपये
2
2021-22
717 रुपये
717 रुपये
3
2022-23
650 रुपये
599.29 रुपये
4
2023-24
589 रुपये
539.67 रुपये
5
2024-25
600 रुपये
599.29 रुपये
हालाँकि, स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के लिए राज्यवार धनराशि का वितरण इस मंत्रालय द्वारा नहीं किया जाता है।
भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर), नई दिल्ली जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है, “शहीदों का शब्दकोश: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1857-1947)” नामक एक परियोजना के अंतर्गत भारत के स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों/शहीदों की सूची बनाए रखता है।
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स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के अंतर्गत आज तक केन्द्रीय पेंशन प्राप्त करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की कुल संख्या ।
क्रम संख्या
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का नाम
स्वतंत्रता सेनानियों/उनके पात्र आश्रितों की संख्या जिन्हें पेंशन स्वीकृत की गई है
1
आंध्र प्रदेश
15286
2
तेलंगाना
3
असम
4442
4
बिहार एवं
24905
5
झारखंड
6
गोआ
1508
7
गुजरात
3599
8
हरयाणा
1692
9
हिमाचल प्रदेश
633
10
जम्मू–कश्मीर
1807
11
कर्नाटक
10105
12
केरल
3429
13
मध्य प्रदेश एवं
3488
14
छत्तीसगढ
15
महाराष्ट्र
17974
16
मणिपुर
63
17
मेघालय
86
18
मिजोरम
4
19
नगालैंड
3
20
ओडिशा
4197
21
पंजाब
7042
22
राजस्थान
814
23
तमिलनाडु
4147
24
त्रिपुरा
888
25
उतार प्रदेश एवं
18004
26
उत्तराखंड
27
पश्चिम बंगाल
22523
28
अंडमान–निकोबार द्वीप समूह
3
29
चंडीगढ़
91
30
दादरा–नगर हवेली
83
31
दमन और दीव
33
32
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
2048
33
पुद्दुचेरी
320
34
इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए)
22472
कुल
171689
*****
अभी भी जीवित पेंशनभोगियों की कुल संख्या और उनका राज्यवार वितरण।
क्रम संख्या
राज्य
केंद्रीय स्वतंत्रता सेनानी पेंशनभोगियों की संख्या (स्वतंत्रता सेनानी/जीवनसाथी/पुत्री)
1
अंडमान–निकोबार द्वीप समूह
1
2
आंध्र प्रदेश
232
3
असम
302
4
बिहार
988
5
चंडीगढ़
9
6
छत्तीसगढ
24
7
दमन और दीव
10
8
दिल्ली
109
9
गोवा
406
10
गुजरात
123
11
हरयाणा
232
12
हिमाचल प्रदेश
243
13
जम्मू–कश्मीर
355
14
झारखंड
84
15
कर्नाटक
758
16
केरल
602
17
मध्य प्रदेश
123
18
महाराष्ट्र
1543
19
मणिपुर
9
20
मेघालय
7
21
मिजोरम
1
22
नगालैंड
0
23
ओडिशा
239
24
पुद्दुचेरी
51
25
पंजाब
382
26
राजस्थान
106
27
तमिलनाडु
801
28
तेलंगाना
3017
29
त्रिपुरा
91
30
उत्तर प्रदेश
387
31
उत्तराखंड
178
32
पश्चिम बंगाल
1799
कुल योग
13212
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स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के अंतर्गत जीवित और पेंशन प्राप्त करने वाली विधवाओं/जीवनसाथी की कुल संख्या की राज्यवार सूची
क्र.सं.
राज्य
आश्रित जीवनसाथी/विधवा/पुत्रियों पेंशनभोगियों की संख्या
1
अंडमान–निकोबार द्वीप समूह
1
2
आंध्र प्रदेश
180
3
असम
177
4
बिहार
693
5
चंडीगढ़
8
6
छत्तीसगढ
19
7
दमन और दीव
6
8
दिल्ली
81
9
गोआ
304
10
गुजरात
81
11
हरियाणा
198
12
हिमाचल प्रदेश
199
13
जम्मू–कश्मीर
252
14
झारखंड
68
15
कर्नाटक
588
16
केरल
483
17
मध्य प्रदेश
91
18
महाराष्ट्र
1274
19
मणिपुर
4
20
मेघालय
4
21
मिजोरम
0
22
नगालैंड
0
23
ओडिशा
198
24
पुद्दुचेरी
35
25
पंजाब
274
26
राजस्थान
101
27
तमिलनाडु
660
28
तेलंगाना
2165
29
त्रिपुरा
56
30
उत्तर प्रदेश
314
31
उत्तराखंड
169
32
पश्चिम बंगाल
1095
कुल
9778
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केंद्रीय स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना, 1980 के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन प्रदान करने के लिए पात्रता मानदंड
वह व्यक्ति जिसने स्वतंत्रता से पहले मुख्य भूमि की जेलों में कम से कम छह महीने की कैद काटी हो। पूर्व आईएनए कर्मी भी पेंशन के पात्र हैं यदि उन्होंने छह महीने या उससे अधिक समय तक भारत के बाहर कारावास/नजरबंदी काटी हो। महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मामले में, पेंशन की पात्रता के लिए वास्तविक कारावास की न्यूनतम अवधि तीन महीने है।
कोई व्यक्ति जो छह महीने या उससे अधिक समय तक भूमिगत रहा हो, बशर्ते कि वह:-
i. घोषित अपराधी;
ii. वह व्यक्ति जिस पर गिरफ्तारी/सिर के लिए पुरस्कार घोषित किया गया हो, या
iii.जिसका निरोध आदेश जारी किया गया था लेकिन तामील नहीं हुआ।
ऐसा व्यक्ति जिसे छह महीने या उससे अधिक समय के लिए सक्षम प्राधिकारी के आदेश के अंतर्गत अपने घर में नजरबंद किया गया हो या अपने जिले से बाहर निकाला गया हो।
वह व्यक्ति जिसकी संपत्ति राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण जब्त या कुर्क कर ली गई हो और बेच दी गई हो।
वह व्यक्ति जो गोलीबारी या लाठीचार्ज के दौरान स्थायी रूप से अक्षम हो गया हो।
वह व्यक्ति जिसने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण अपनी सरकारी नौकरी (स्थानीय निकाय में नौकरी सहित) खो दी हो।
पेंशन के लिए पात्र बनने के लिए आवेदक को राज्य सरकार द्वारा विधिवत सत्यापित दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे, साथ ही निम्नलिखित विवरण के अनुसार उनकी अनुशंसा भी प्रस्तुत करनी होगी:-
कारावास की स्थिति में :-
संबंधित जेल प्राधिकारी, जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार से कारावास/नजरबंदी प्रमाण पत्र, जिसमें दी गई सजा की अवधि, प्रवेश की तिथि, रिहाई की तिथि, मामले के तथ्य और रिहाई के कारण दर्शाए गए हों।
यदि संबंधित अवधि के अभिलेख उपलब्ध न हों, तो ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों से प्राप्त दो सह–कैदी प्रमाणपत्रों (सीपीसी) के रूप में द्वितीयक साक्ष्यों पर विचार किया जा सकता है, जिन्होंने कम से कम एक वर्ष की जेल यातनाएँ झेली हों और जो आवेदक के साथ जेल में रहे हों। बशर्ते कि संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, दावे और उसकी प्रामाणिकता के समुचित सत्यापन के बाद, यह प्रमाणित कर दे कि दावा की गई यातनाओं के समर्थन में आधिकारिक अभिलेखों से कोई दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे। यदि प्रमाणक वर्तमान या पूर्व सांसद/विधायक है, तो दो के स्थान पर केवल एक प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी।
भूमिगत पीड़ा के मामले में :-
न्यायालय/सरकार के आदेश के माध्यम से दस्तावेजी साक्ष्य जिसमें आवेदक को भगोड़ा घोषित किया गया हो, उसके सिर पर इनाम घोषित किया गया हो या उसकी गिरफ्तारी के लिए आदेश दिया गया हो या उसे हिरासत में लेने का आदेश दिया गया हो।
यदि प्रासंगिक अवधि के अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं, तो एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, जिसने कम से कम दो वर्ष की जेल यातनाएं झेली हों और जो उसी प्रशासनिक इकाई से हो, से प्राप्त व्यक्तिगत ज्ञान प्रमाण पत्र (पीकेसी) के रूप में द्वितीयक साक्ष्य पर विचार किया जा सकता है, बशर्ते कि संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन दावे और उसकी वास्तविकता के समुचित सत्यापन के बाद यह प्रमाणित कर दे कि दावा की गई यातनाओं के समर्थन में आधिकारिक अभिलेखों से दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे।
नजरबंदी/निर्वासन के मामले में :-
कोई व्यक्ति, जिसे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण कम से कम 6 महीने के लिए अपने घर में नज़रबंद या अपने ज़िले से निर्वासित किया गया हो, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी नज़रबंदी या निर्वासन आदेश, आधिकारिक अभिलेखों से प्रस्तुत करने के अधीन रहा हो, वह इस योजना का पात्र है। आधिकारिक अभिलेखों के अभाव में, संबंधित प्राधिकारी से अभिलेख अनुपलब्धता प्रमाणपत्र (एनएआरसी) के साथ–साथ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वयं दो वर्ष या उससे अधिक समय तक कारावास की यातनाएं झेली थीं।
संपत्ति के नुकसान के मामले में :-
वह व्यक्ति जिसकी संपत्ति स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण जब्त या कुर्क कर बेची गई थी, वह संपत्ति की जब्ती और बिक्री के आदेश प्रस्तुत करने के अधीन पात्र है, बशर्ते कि जिन व्यक्तियों की संपत्ति वापस कर दी गई थी, वे सम्मान पेंशन के लिए पात्र नहीं हैं।
स्थायी अक्षमता की स्थिति में :-
जिला मजिस्ट्रेट से प्रमाण पत्र जिसमें यह कहा गया हो कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के दौरान गोली लगने/लाठीचार्ज के कारण स्थायी रूप से अशक्त हो गया था।
विकलांगता के समर्थन में सिविल सर्जन से चिकित्सा प्रमाण पत्र।
सरकारी नौकरी छूटने की स्थिति में :-
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण अपनी सरकारी नौकरी गँवाने वाला व्यक्ति सेवा से बर्खास्तगी या निष्कासन के आदेश प्रस्तुत करने के अधीन पात्र है। हालाँकि, जो व्यक्ति अपनी सेवा की अवधि समाप्त होने से पहले सेवा में बहाल हो गए थे, वे भी इस योजना के पात्र हैं।
जो कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी या सेवा से हटाए जाने के दो वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त हो गए हैं और लाभ या वेतन और भत्ते प्राप्त कर रहे हैं, वे पेंशन के लिए पात्र नहीं हैं।
बेंत मारने/कोड़े मारने/सज़ा के मामले में :-
वह व्यक्ति जिसे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण 10 बेंत/कोड़े मारने/सजा दी गई हो, वह सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशों की प्रतियां आधिकारिक अभिलेखों से प्रस्तुत करने के अधीन पात्र है।
योजनाओं के तहत पारिवारिक पेंशन और आश्रितों के लिए पात्रता मानदंड
सम्मान पेंशन प्रदान करने के उद्देश्य से, स्वतंत्रता सेनानी पेंशनभोगी की मृत्यु के पश्चात् उसके/उसकी पति/पत्नी को परिवार पेंशन प्रदान की जाती है तथा पति/पत्नी की मृत्यु के पश्चात् उसकी अविवाहित पुत्रियों (अधिकतम तीन पुत्रियों तक), माता या पिता को आश्रित पारिवारिक पेंशन प्रदान की जाती है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आज यह जानकारी दी।
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वह व्यक्ति जिसने स्वतंत्रता से पहले मुख्य भूमि की जेलों में कम से कम छह महीने की कैद काटी हो। पूर्व आईएनए कर्मी भी पेंशन के पात्र हैं यदि उन्होंने छह महीने या उससे अधिक समय तक भारत के बाहर कारावास/नजरबंदी काटी हो। महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मामले में, पेंशन की पात्रता के लिए वास्तविक कारावास की न्यूनतम अवधि तीन महीने है।
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कोई व्यक्ति जो छह महीने या उससे अधिक समय तक भूमिगत रहा हो, बशर्ते कि वह:-