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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के समुदायों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के समुदायों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) ने अनुसूचित जाति (एससी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) समुदायों के उम्मीदवारों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु मानव संसाधन एवं स्टाफिंग संबंधी समाधान प्रदान करने वाली देश की अग्रणी कंपनियों में से एक मेसर्स पर्सोलकेली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

सुधार की इस पहल के तहत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) पेशेवर मानव संसाधन सलाहकारों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को विभिन्न क्षेत्रों में उपयुक्त रोजगार के अवसरों से जोड़ा जा सके। प्लेसमेंट की सुविधा के लिए जहां सत्यापित उम्मीदवारों का डेटा मानव संसाधन भागीदार के साथ साझा किया जाएगा, वहीं लाभार्थियों को निःशुल्क परामर्श, बायोडाटा संबंधी सहायता, साक्षात्कार की तैयारी और प्लेसमेंट संबंधी सहायता प्राप्त होगी। सहयोग के इस कदम में नियमित निगरानी के जरिए सख्त डेटा गोपनीयता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। इससे उम्मीदवारों को बेहतर रोजगार क्षमता का लाभ मिलेगा और कल्याणकारी योजनाओं को वास्तविक रोजगार में बदलकर सरकार तथा समावेशी भर्ती व कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के लक्ष्यों का समर्थन करने वाले एक सत्यापित एवं विविध प्रकार की प्रतिभाओं के भंडार तक पहुंच प्रदान करके निजी क्षेत्र को लाभ होगा।

इस अवसर पर बोलते हुए, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव ने कहा, “यह साझेदारी सामाजिक न्याय को आर्थिक सशक्तिकरण में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हाशिए पर पड़े समुदायों के सत्यापित उम्मीदवारों को कुशल मानव संसाधन भागीदारों से जोड़कर, हम रोजगार के एक ऐसे पारदर्शी एवं समावेशी इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं जो प्रत्येक योग्य व्यक्ति के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा।”

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और पर्सोलकेली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच का यह सहयोग समावेशी रोजगार और सामाजिक समता को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कल्याण और श्रमशक्ति के बीच की खाई को पाटकर, यह पहल सशक्तिकरण को सभी के लिए वास्तविक आजीविका, सम्मान और आत्मनिर्भरता में परिवर्तित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है।

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