सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव के साथ फायर साइड चैट
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव के साथ फायर साइड चैट
श्री जी. पद्मनाभन, सचिव, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय तथा आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक के साथ फायर साइड चैट (अनौपचारिक एवं संवादात्मक बातचीत) में मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के प्रशासनिक डेटासेटों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए मंत्रालय द्वारा किए गए केंद्रित प्रयासों पर प्रकाश डाला गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि डेटासेट अंतर-संचालनीय, मशीन-पठनीय और एआई-कुशल बन सके। इस प्रक्रिया में अन्य बातों के साथ-साथ मानकीकृत मेटाडेटा संरचनाओं की स्थापना, कठोर गुणवत्ता मूल्यांकन लागू करना एवं मानक वर्गीकरण प्रणालियों का पालन करना शामिल है, जो विभिन्न एजेंसियों के बीच निर्बाध डेटा तुलना एवं अंतर-संचालन को सक्षम बनाते हैं।
बातचीत का मुख्य हिस्सा सार्वजनिक हित में व्यापक रूप से डेटा उपलब्ध कराने एवं व्यक्तिगत गोपनीयता की सुरक्षा के बीच सही संतुलन स्थापित करने पर केंद्रित था। सचिव, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा कि व्यवहार में, त्रिस्तरीय डेटा एक्सेस प्रणाली होनी चाहिए जैसा कि राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और सुगम्यता नीति (एनडीएसएपी) में उल्लिखित है जिससे डेटा साझाकरण को इस प्रकार प्रबंधित किया जा सके कि गोपनीयता सुरक्षित रखते हुए सुगम्यता को बढ़ावा मिले। पहला है डेटासेट, जिसे खुले तौर पर उपलब्ध कराया जा सकता है, दूसरा, पंजीकृत पहुंच, जिसके लिए उपयोगकर्ता की पहचान आवश्यक होती है और तीसरा, संवेदनशील जानकारी के लिए प्रतिबंधित पहुंच, जो उचित सुरक्षा उपायों के साथ केवल अधिकृत एजेंसियों को प्रदान की जाती है।
सार्वजनिक वस्तु के रूप में डेटा एवं उसकी गोपनीयता संबंधी चिंताओं के बारे में एक विशिष्ट प्रश्न के उत्तर में इस बात पर बल दिया गया कि जहां डेटा को नवाचार एवं आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करने के लिए उपलब्ध कराया जाता है, वहीं व्यक्तिगत गोपनीयता, विशेष रूप से सरकारी डेटासेट जैसे कि एनएसएस सर्वेक्षणों में, अनामीकरण तकनीकों का उपयोग कर उन्हें सुरक्षित रखा जाता है।
बातचीत के दौरान, यह साझा किया गया कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने प्रमुख एनएसएस सर्वेक्षणों के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों की समयबद्धता, गुणवत्ता एवं आवृत्ति में उल्लेखनीय सुधार किया है। मंत्रालय अब श्रम बाजार संकेतकों के अनुमान को मासिक आधार पर उपलब्ध करा रहा है, जो नीतिगत एवं आर्थिक निर्णय लेने के लिए समय पर एवं प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। आंकड़ों की समयबद्धता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयासों के अंतर्गत, मंत्रालय ने क्षेत्रीय गणनाकारों को टैबलेट से युक्त करके सर्वेक्षण कार्यों का डिजिटलीकरण किया है, जिससे वास्तविक समय में आंकड़ों का प्रसारण संभव हुआ है और देरी में कमी आयी है। इस डिजिटल दृष्टिकोण में सटीकता में सुधार के लिए अंतर्निहित सत्यापन जांच भी शामिल है। डेटा प्रसार मामले में, नव-प्रवर्तित ई-सांख्यिकी पोर्टल एक बड़ी सफलता है, जो एक केंद्रीकृत केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जो अंततः एपीआई एकीकरण के माध्यम से कई मंत्रालयों के डेटा को संग्रहित करेगा तथा आधिकारिक डेटा की व्यापक पहुंच के लिए उन्नत माइक्रोडेटा पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा पूरक होगा।
बातचीत का समापन सार्वजनिक वस्तु के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर चर्चा के साथ हुआ, जहां सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव ने सभी नागरिकों के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता संसाधनों का लोकतंत्रीकरण करने के सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
इस चर्चा के बाद, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ एक बंद कमरे में “डिजिटल इंडिया के लिए सांख्यिकीय अवसंरचना: फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ एक बेहतर डेटा साझेदारी का निर्माण” विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया। इस बातचीत में नवाचार को बढ़ावा देने एवं सहयोग द्वारा निजी डेटा का लाभ उठाकर राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए फिनटेक के साथ डेटा साझेदारी की संभावनाओं पर चर्चा की गई। चर्चाओं में कई विषयों पर विचार-विमर्श किया गया जिनमें बेहतर डेटा पहुंच के लिए डेटा का एकल दृश्य, फिनटेक नवाचार को सुगम बनाने के लिए आवश्यक डेटा अंतराल एवं सूचना विषमता में कमी लाने के उपाय शामिल थे। प्रतिभागियों ने सरकार की पहल की सराहना की और भविष्य में इस तरह की और बातचीत करने में रुचि व्यक्त की।
इस कार्यक्रम में हुई चर्चाओं में सांख्यिकी प्रणाली में परिवर्तन लाने, भविष्य के लिए इसे तैयार करने तथा एक अधिक मजबूत, सुलभ एवं उत्तरदायी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने की सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है तथा नीति निर्माताओं, व्यवसायों एवं नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।