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सर्वे ऑफ इंडिया 17 दिसंबर 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में भू-स्थानिक पारिस्थितिकी को मजबूत करने पर “भू-स्थानिक मिशन: विकसित भारत का एक सहायक” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन करेगा

सर्वे ऑफ इंडिया 17 दिसंबर 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में भू-स्थानिक पारिस्थितिकी को मजबूत करने पर “भू-स्थानिक मिशन: विकसित भारत का एक सहायक” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन करेगा

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का सर्वे ऑफ इंडिया भू-स्थानिक पारिस्थितिकी को मजबूत करने के उद्देश्य से 17 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में सेक्टर 25, द्वारका में स्थित यशोभूमि में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इस कार्यशाला का नाम है “भू-स्थानिक मिशन: विकसित भारत का एक सहायक”। यह राष्ट्रीय कार्यशाला नीति निर्माताओं, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, उद्योगपतियों और क्षेत्र विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा ताकि भविष्य में भारत के भू-स्थानिकी को आकार देने वाले नवाचार पर चर्चा की जा सके।

इस कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जितेंद्र सिंह माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय करेंगे। इस कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र सिंह की मुख्य अतिथि के तौर पर गरिमामय उपस्थिति रहेगी। डॉ. जितेंद्र सिंह भारत की भू-स्थानिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने पर सरकार के लक्ष्यों और तेज़ी से विकसित हो रहे इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को सामने लाने के लिए मिलकर किए जाने वाले प्रयासों की आवश्यकता पर बाल देंगे।

राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी, जो शहरी नियोजन, पर्यावरण निगरानी और बुनियादी ढांचा विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अत्याधुनिक भू-स्थानिक प्रद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

यह कार्यशाला 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें भू-स्थानिक ढांचे को मजबूत करने और सभी क्षेत्रों में आधुनिक प्रद्योगिकी को एकीकृत किए जाने पर चर्चा की जाएगी। 

इवेंट की खास बातें:

इस कार्यशाला में भू-स्थानिक संबंधी प्राथमिकताओं के व्यापक दायरे को कवर करने वाले महत्वपूर्ण सत्र होंगे। कार्यशाला में निम्नलिखित मुख्य फोकस क्षेत्र होंगे:

राष्ट्रीय जियोडेटिक रेफरेंस फ्रेम का आधुनिकीकरण और मज़बूती

भू-स्थानिक डेटा और मैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करना

भू-स्थानिक ढांचे को एक जैसा बनाने में मानकों की भूमिका

भू-स्थानिक क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाना

कार्यशाला में विषय केंद्रित सत्र सभी संबंधित पक्षों को नए मौकों पर ध्यान देने, भू-स्थानिक तरीकों को वैश्विक मानकों के साथ जोड़ने और सभी क्षेत्रों में भविष्य के लिए तैयार प्रौद्योगिकी को अपनाने में तेज़ी लाने में मदद करेंगे।

विशेषज्ञ भू-स्थानिक क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे प्रौद्योगिकी बदलावों के साथ तालमेल बिठाने के तरीकों पर भी विचार करेंगे, विशेषकर डेटा संकलन करने, आंकड़ों के प्रशंसकरण, एनालिटिक्स और नई डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल जैसे क्षेत्रों पर जोर रहेगा। 

उद्देश्य और महत्व

यह पहल सर्वे ऑफ इंडिया की एक मज़बूत, मानकीकृत और भविष्य के लिए तैयार भू-स्थानिक पारिस्थिकी निर्मित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो देश की विकास संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। यह कार्यशाला सरकारी एजेंसियों, उद्योग जगत से जुड़े संबंधित पक्षों और तकनीकी विशेषज्ञों को एक साथ लाएगी जिसका लक्ष्य भारत के भू-स्थानिक पारिस्थितिकी को गति देना और विभिन्न क्षेत्रों में सोच-समझकर निर्णय लेने को प्रक्रिया को तेज करना है।

यह कार्यक्रम भू-स्थानिक जगत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, और हम यशोभूमि, नई दिल्ली में सरकारी एजेंसियों, उद्योग जगत से जुड़े लोगों और तकनीकी विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।

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