सरकार ने व्यापार सुधार कार्य योजना के माध्यम से व्यापार करने में सुगमता संबंधी सुधारों को आगे बढ़ाया
सरकार ने व्यापार सुधार कार्य योजना के माध्यम से व्यापार करने में सुगमता संबंधी सुधारों को आगे बढ़ाया
केंद्र सरकार 2015 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सेवा वितरण को बेहतर बनाने के लिए व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) लागू कर रही है। चूंकि व्यवसायों का प्रत्यक्ष संपर्क अक्सर जिला स्तर की संस्थाओं से होता है, इसलिए दिसंबर 2024 में आयोजित मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन में व्यापार करने में सुगमता संबंधी सुधारों को ज़मीनी स्तर तक विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इसी क्रम में, डीपीआईआईटी ने जिला व्यापार सुधार कार्य योजना (डीबीआरएपी) शुरू की है—यह एक राज्य-नेतृत्व वाली पहल है, जिसका उद्देश्य बीआरएपी को जिला स्तर पर स्थानीयकृत करना है। डीबीआरएपी का लक्ष्य अंतिम छोर तक सेवा वितरण को सशक्त बनाना, सेवा गुणवत्ता में सुधार करना और जिलों को सुदृढ़ संस्थागत और डिजिटल अवसंरचना से लैस कर क्षेत्रीय विकास को गति देना है। ये सुधार जिला कलेक्टर कार्यालय, विकास प्राधिकरण और शहरी स्थानीय निकायों में लागू किए जाएंगे, जो नियामक अनुमोदन, निरीक्षण और व्यापार सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस संदर्भ में, डीपीआईआईटी ने एक व्यापक डी-बीआरएपी 2025 कार्यान्वयन मार्गदर्शिका जारी की है, जिसमें व्यापार करने में सुगमता बढ़ाने और प्रशासनिक जवाबदेही को बेहतर करने के लिए एक संरचित जिला-स्तरीय ढांचा निर्धारित किया गया है। इस मार्गदर्शिका में छह प्रमुख सुधार क्षेत्रों को शामिल किया गया है:
कुल 154 सुधारों की पहचान की गई है, जिनमें से प्रत्येक के लिए स्पष्ट उद्देश्य और मूल्यांकन चेकलिस्ट निर्धारित की गई है, ताकि सभी जिलों में समान रूप से कार्यान्वयन और निगरानी सुनिश्चित की जा सके। ये सुधार इस प्रकार तैयार किए गए हैं कि व्यवसायों के लिए पूर्वानुमान में सुधार हो और जिला स्तर पर प्रतिस्पर्धी इको-सिस्टम का निर्माण हो, जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, स्टार्टअप्स और नए निवेशों को समर्थन प्रदान करे।
जिला व्यापार सुधार कार्य योजना (डी-बीआरएपी) 2025 के तहत प्रत्येक सुधार के साथ जिले के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत मूल्यांकन चेकलिस्ट दी गई है। मापदंडों को निम्नलिखित विषयगत श्रेणियों में व्यवस्थित किया गया है:
सेवा वितरण और सिंगल विंडो सिस्टम
भूमि एवं संपत्ति प्रबंधन
निरीक्षण और अनुपालन प्रणालियां
निवेशक सुविधा
डीबीआरएपी का उद्देश्य जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) को प्राथमिक सुविधा केंद्र के रूप में मजबूत करके निवेशकों को औद्योगिक क्षमता पर स्पष्ट, जिला-स्तरीय जानकारी उपलब्ध कराना है। राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि डीआईसी सुलभ, सुसज्जित और आईटी-सक्षम हों; प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती हो; नीतियों और एकल खिड़की प्रणाली पर नियमित क्षमता निर्माण किया जाए; सूचना संसाधनों को अद्यतन रखा जाए; प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों का मानचित्रण किया जाए; बड़े निवेश प्रस्तावों का समर्थन किया जाए; और विशेषज्ञों की पहुंच, प्रतिक्रिया और निगरानी के लिए व्यवस्थाएं स्थापित की जाएं।
जिलों की जिम्मेदारी होगी कि वे डीआईसी के ज़मीनी स्तर पर प्रभावी प्रदर्शन को सुनिश्चित करें, जिसमें निवेशक आवागमन, समाधान समयसीमा और सेवा गुणवत्ता की निगरानी शामिल है। साथ ही, निवेश डेटा का नियमित अद्यतन, स्थानीय उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के साथ संवाद, प्रदर्शन और प्रशिक्षण आवश्यकता आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करना, प्रशिक्षण ट्रैकर्स बनाए रखना, सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण, उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया एकत्र करना तथा राज्य के पैनलों के लिए स्थानीय विशेषज्ञों की पहचान करना भी जिलों की जिम्मेदारी होगी।
एमएसएमई और स्टार्टअप को सहायता
जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) और सीएसआईआर नवाचार परिसरों के बीच समझौता ज्ञापन। मूल्यांकन के अंतर्गत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के माध्यम से इन मापदंडों के आधार पर अपने जिलों का आकलन करते हैं, जिसमें दस्तावेज़ों की जांच, सिस्टम स्क्रीनशॉट आदि शामिल होते हैं और आगे की समीक्षा के लिए निर्दिष्ट संख्या में जिलों को नामित करते हैं।
जिला स्तरीय बीआरएपी पर प्रमुख उद्योग संघों के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ परामर्श बैठकें आयोजित की गईं और उनके सुझावों को अंतिम दस्तावेज में सम्मिलित किया गया।
डी-बीआरएपी 2025 में टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप विकास को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित सुधार क्षेत्र शामिल है, जिसका उद्देश्य जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) के भीतर स्टार्टअप प्रकोष्ठ जैसी इकाइयों के माध्यम से जिला स्तर पर उद्यमिता विकास को मजबूत करना है। इन प्रकोष्ठों को जिला स्तर पर नए और मौजूदा स्टार्टअप के लिए एकल संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करने के लिए परिकल्पित किया गया है। इनके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
- जिला स्तरीय अनुमोदन और सेवा वितरण,
- संपत्ति अभिलेखों का डिजिटलीकरण और म्यूटेशन,
- समयबद्ध और जोखिम आधारित निरीक्षण प्रणालियां,
- जिला स्तरीय निवेश सुविधा तंत्र,
- टियर-II और टियर-III शहरों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के उपाय और
- औद्योगिक पार्कों और स्थानीय अवसंरचना को मजबूत करना।