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सरकार द्वारा एचआईवी/एड्स जागरूकता के लिए उठाए गए कदम

सरकार द्वारा एचआईवी/एड्स जागरूकता के लिए उठाए गए कदम

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ),स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक विभाग, व्यापक मल्टीमीडिया अभियानों, जनसंचार माध्यमों द्वारा एचआईवी/एड्स के विरुद्ध जागरूकता अभियान को मजबूत करने तथा पूरे देश में उपलब्ध सेवाओं एवं सुविधाओं को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी लेता है।

पहुंच को बढ़ाने के लिए, इन प्रयासों को होर्डिंग, बस पैनल, सूचना कियोस्क, लोक प्रदर्शनों और आईईसी (सूचना, शिक्षा, और संचार) वैन जैसे आउटडोर मीडिया के माध्यम से और मजबूत किया जाता है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का सक्रिय रूप से उपयोग किया जाता है जिससे व्यापक भागीदारी एवं जागरूकता उत्पन्न की जा सके विशेषकर युवा एवं तकनीक जानकार लोगों के बीच।

पारस्परिक स्तर पर, जागरूकता का प्रचार स्व-सहायता समूहों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा, पंचायत राज संस्थाओं के सदस्यों और अन्य प्रमुख हितधारकों को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण एवं संवेदनशील कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाता है। ये मध्यवर्तन सामुदायिक स्तर पर जागरूकता एवं व्यावहारिक परिवर्तन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले समूह, जिसमें महिला यौनकर्मी (एफएसडब्लू), पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष (एमएसएम), नशीली दवाओं का इंजेक्शन लगाने वाले लोग (पीडब्लूआईडी), हिजड़ा/ट्रांसजेंडर, ट्रक चालक एवं प्रवासी शामिल हैं, की समस्याओं का समाधान पूरे देश में 1,619 लक्षित मध्यवर्तन परियोजनाओं के माध्यम से किया जाता है। ये मध्यवर्तन सबसे कमज़ोर आबादी के लिए रोकथाम, परीक्षण, उपचार एवं देखभाल सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। इस बहु-स्तरीय संचार रणनीति के माध्यम से, नाको कलंक को दूर करने, सेवाओं तक पहुँच का विस्तार करने और अंततः एड्स महामारी को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।

एचआईवी ग्रस्त लोगों (पीएलएचआईवी) के साथ भेदभाव को समाप्त करने के लिए पूरे देश में विषयगत अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों का उद्देश्य कार्यस्थलों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों, शैक्षणिक संस्थानों और व्यापक समुदायों सहित विविध परिवेशों में जागरूकता फैलाना, कलंक को कम करना एवं समावेशिता को बढ़ावा देना है।

एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुरूप, पीएलएचआईवी के विरुद्ध भेदभाव से संबंधित शिकायतों का निपटारा करने के लिए 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लोकपाल नियुक्त किए गए हैं। ये प्रयास पीएलएचआईवी के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने तथा सभी लोगों के लिए एक समावेशी एवं सहायक वातावरण का निर्माण करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।