सरकार और आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए कई उपाय किए हैं
सरकार और आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए कई उपाय किए हैं
देश में अनधिकृत डिजिटल लोन ऐप के कार्यान्वयन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अन्य संबंधित नियामकों/ हितधारकों के साथ लगातार संपर्क में है। सार्वजनिक जानकारी के लिए, आरबीआई ने 01.07.2025 से अपनी वेबसाइट पर ‘डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (डीएलए)’ नामक एक निर्देशिका शुरू की है, जिसमें आरबीआई की विनियमित संस्थाओं (आरई) की ओर से तैनात सभी डीएलए शामिल हैं। इस निर्देशिका का उद्देश्य ग्राहकों को किसी डीएलए के किसी विनियमित संस्था से जुड़े होने के दावे की पुष्टि करने में मदद करना है।
अनधिकृत डिजिटल लेंडिंग ऐप्स की पहचान किए जाने के मामले में, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के अंतर्गत सार्वजनिक पहुंच के लिए सूचना को ब्लॉक करने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार है, जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी (जनता की ओर से सूचना तक पहुंच को ब्लॉक करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 में दी गई प्रक्रिया का पालन करने के बाद किया गया है।
इसके अतिरिक्त, सरकार और आरबीआई समय–समय पर नागरिकों को अनधिकृत लेंडिंग ऐप के शोषण से बचाने के लिए कई पहल करते रहे हैं। इनमें दूसरी बातों के साथ–साथ, निम्नलिखित शामिल हैं:
यह जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।
- आरबीआई ने 8 मई, 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (डिजिटल लेंडिंग) निर्देश, 2025 जारी किए हैं। इन निर्देशों में वसूली, डेटा गोपनीयता और ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र के बारे में विस्तृत प्रावधान हैं जो आरई, उनकी ओर से लगाए गए लेंडिंग सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) और डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए) के लिए अनिवार्य हैं।
- अनधिकृत लेंडिंग ऐप के संचालन की समीक्षा के लिए प्रमुख इंटरनेट मध्यस्थों और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के साथ सक्रिय आधार पर संपर्क करना।
- गृह मंत्रालय (एमएचए) का भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) डिजिटल लेंडिंग ऐप का सक्रिय होकर विश्लेषण कर रहा है। नागरिकों को अवैध लेंडिंग ऐप सहित साइबर घटनाओं की रिपोर्ट करने में सुविधा प्रदान करने के लिए, गृह मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) के साथ–साथ एक राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर “1930” भी शुरू किया है।
- बैंक सार्वजनिक मंच ‘सचेत’ पोर्टल और अंतर–नियामक राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) के जरिए नागरिकों को अवैध पैसा जमा करने/ संग्रह करने से संबंधित किसी भी विशिष्ट इकाई के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
- आरबीआई और बैंक ‘साइबर अपराध‘ की रोकथाम के लिए लघु एसएमएस, रेडियो अभियान और प्रचार के माध्यम से जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसके अतिरिक्त, आरबीआई इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग जागरूकता और प्रशिक्षण (ई–बात) कार्यक्रम भी चला रहा है, जो धोखाधड़ी और जोखिम न्यूनीकरण के बारे में जागरूकता पर केंद्रित है।