संघर्ष को शक्ति में बदलना: रायपुर-विजाग कॉरिडोर का मानवीय प्रभाव
संघर्ष को शक्ति में बदलना: रायपुर-विजाग कॉरिडोर का मानवीय प्रभाव
आगामी रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा उन लोगों के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित समाधान जैसा लगता है जिनकी आजीविका इन दोनों शहरों के बीच के मार्ग पर निर्भर करती है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित किया जा रहा रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा, छत्तीसगढ़ के जंगलों, ओडिशा के खनिज-समृद्ध क्षेत्रों और आंध्र प्रदेश की पहाड़ियों तक फैला हुआ है। यह गलियारा कुल 16,482 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है और इसके दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे मौजूदा एनएच-26 की 597 किमी की दूरी घटकर 465 किमी हो जाएगी – जिससे दूरी में 132 किमी और यात्रा समय में लगभग सात घंटे की बचत होगी। इससे ईंधन की बड़ी बचत होगी, जनता और माल ढुलाई ऑपरेटरों के लिए परिवहन लागत कम होगी।
जो काम पहले 12 घंटे में पूरा होता था, वह अब केवल 5 घंटे में पूरा हो जाएगा और प्रधानमंत्री गति शक्ति विजन के तहत तेज लॉजिस्टिक्स और निर्बाध कनेक्टिविटी के द्वार खुलेंगे। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के उद्योगों को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा क्योंकि वे सीधे विशाखापत्तनम बंदरगाह और चेन्नई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ जाएंगे। इसका मतलब होगा बंदरगाहों और औद्योगिक केंद्रों से बेहतर कनेक्टिविटी, तेज निर्यात, सुचारू आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार को एक मजबूत बढ़ावा, जिससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में भारी वृद्धि होगी। यह गलियारा पर्यटन को भी बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन तथा रियल एस्टेट विकास के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देगा।
तथ्य
घर से दूर रातें बिताने वाले ट्रक ड्राइवरों, अपनी उपज के बाजार पहुंचने का बेसब्री से इंतजार करने वाले किसानों और नए अवसरों की तलाश में जुटे परिवारों के लिए यह गलियारा एक ज्यादा आशाजनक भविष्य की ओर ले जाने वाला रास्ता लगता है। रायपुर से विशाखापत्तनम तक नियमित रूप से माल भेजने वाले एक ट्रक मालिक विशाल कहते हैं कि यह नया गलियारा ट्रांसपोर्टरों के काम करने के तरीके में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा। वे कहते हैं, ‘‘पहले, यात्रा में डेढ़ दिन लगता था। अब, मैं दिन में शुरू कर सकता हूं और रात तक गंतव्य तक पहुंच सकता हूं।’’ वे बताते हैं कि दूरी कम होने से सीधे तौर पर डीजल की खपत कम होगी और ट्रकों की टूट-फूट भी कम होगी जिससे उनके जैसे ऑपरेटरों को ठोस आर्थिक राहत मिलेगी।
किसान भी अपने आर्थिक दृष्टिकोण में स्पष्ट बदलाव महसूस कर रहे हैं। एक किसान बताते हैं कि ग्रीनफील्ड हाईवे परियोजना शुरू होने के बाद से जमीन की कीमतें कैसे बढ़ गई हैं। वे कहते हैं, ‘‘पहले हमारी जमीन की कीमत लगभग 15 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। अब यह लगभग 1.5 करोड़ रुपये हो गई है। यहां के किसान वाकई खुश हैं।’’ वे बताते हैं कि कैसे कनेक्टिविटी-आधारित विकास ग्रामीण संभावनाओं को नया रूप दे रहा है।
विजयनगरम के एक स्थानीय निवासी ने ईमानदारी से बताया कि इस परियोजना ने उनके समुदाय को कैसे प्रभावित किया है। वे कहते हैं, ‘‘हम किसान हैं। पहले तो हमें ग्रीनफील्ड हाईवे के लिए अपनी जमीन देने में दुख हुआ। यह आसान नहीं था। लेकिन अब, जैसे-जैसे गलियारा तैयार हो रहा है, हमें उम्मीद जगी है। हमारी जमीन की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, और हम जानते हैं कि यह विकास हमारे परिवारों के लिए और ज्यादा अवसर लेकर आएगा। हमने जो खोया था, वह अब बेहतर भविष्य में बदल रहा है।’’ आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के जामी गांव में रहने वाले एक और किसान श्रीनिवासुलु अपना अनुभव साझा करते हैं। वे कहते हैं, ‘‘मैंने ग्रीनफील्ड हाईवे के लिए 1.10 एकड़ जमीन दी है, जिसके लिए मुझे उचित मुआवजा मिला है। इसके अलावा, बाकी जमीन की कीमत में भी काफी वृद्धि हुई है। गांव के ग्रामीण और किसान इस बनने वाले ग्रीनफील्ड हाईवे को लेकर खुश हैं।’’
आर्थिक लाभों के अलावा, रायपुर-विशाखापत्तनम गलियारा धमतरी, केशकाल, कांकेर (छत्तीसगढ़), बोरीगुम्मा, नबरंगपुर, कोरापुट (ओडिशा), और रामभद्रपुरम, अराकू (आंध्र प्रदेश) जैसे आदिवासी और दूरदराज के जिलों की गतिशीलता में उल्लेखनीय सुधार लाएगा। इन क्षेत्रों को प्रमुख बाजारों और आवश्यक सेवाओं के करीब लाकर, इस कॉरिडोर का उद्देश्य उन्हें मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में अधिक प्रभावी ढंग से एकीकृत करना है। नया प्रवेश-नियंत्रित, 6-लेन वाला रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा पुराने 2-लेन एनएच-26 पर भीड़भाड़ को भी कम करेगा जिससे यात्रा आरामदायक और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा। 100 किमी/घंटा की गति के लिए डिजाइन किया गया, यह यात्रियों और मालवाहक ऑपरेटरों, दोनों के लिए बेहतर पूर्वानुमान, विश्वसनीयता और लागत-दक्षता का वादा करता है।
तीन राज्यों में 15 नियोजित परियोजनाओं के माध्यम से निर्मित, रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारा, जीवन में बदलाव लाने वाले बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। जैसे-जैसे यह परियोजना पूरी होने के करीब पहुंच रही है, यह मंत्रालय के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है जिसके तहत ऐसे राजमार्ग बनाए जाएंगे जो न केवल स्थानों को जोड़ेंगे, बल्कि लाखों लोगों के लिए संभावनाओं को भी जोड़ेंगे।