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शिक्षा के व्यावसायीकरण ने गुणवत्ता को किया है प्रभावित- उपराष्ट्रपति

शिक्षा के व्यावसायीकरण ने गुणवत्ता को किया है प्रभावित- उपराष्ट्रपति

भारत के उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि “शिक्षा के व्यावसायीकरण ने उसकी गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शिक्षा कभी भी आय का स्रोत नहीं था, यह त्याग और दान का एक माध्यम था, जिसका उद्देश्य समाज की मदद करना था लेकिन हम देखते हैं कि इसको फायदे के लिए बेचा जा रहा है। कुछ मामलों में तो यह जबरन वसूली का रूप ले रहा है।”

चारों तरफ एक ही माहौल है, the atmosphere of hope and possibility.

भारत संभावनाओं से भरा देश है और दुनिया भारत का लोहा मान चुकी है। #SobhasariaGroupOfInstitutions pic.twitter.com/sdQ1C2cYHE

राजस्थान के सीकर में आज शोभासारिया शैक्षिक समूह के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा “समय आ गया है कि हमें अपने टियर 2 और टियर 3 शहरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, पारिस्थितिकी तंत्र और समग्र विकास के लिए छात्रों के लिए स्थानीय लाभ मौजूद है।” अपने सम्बोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि “हमारा संकल्प होना चाहिए कि जब भारत 2047 में विकसित राष्ट्र बने तो हम विश्व की महाज्ञान शक्ति बनें।”

यह बात अत्यंत सराहनीय है की इस संस्था को इस स्थान पर बनाया गया है।

The time has come when we must focus on our tier 2 and tier 3 cities.

There will be locational advantage for students and an ecosystem for holistic growth. #SobhasariaGroupOfInstitutions pic.twitter.com/2QagE7zWEA

व्यापार, उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय जगत में लोगों से अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हे संस्थानों के विकास में उदारतापूर्वक योगदान देने की बात कही। उन्होंने कहा “शिक्षा में कोई भी निवेश हमारे भविष्य, हमारे आर्थिक उत्थान में, शांति और स्थिरता में निवेश है।”

कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में श्री धनखड़ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “एक नई बीमारी और है – विदेश जाने की, विदेश में पढ़ाई करने की। बच्चा लालायित होकर जाना चाहता है, उसको नया सपना दिखता है, उसको लगता है कि वहां जाते ही स्वर्ग मिल जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि यह एक अंधाधुन्ध रास्ता है जिसमें देश का युवा विज्ञापनों से प्रभावित होकर फैसले ले लेता है। उन्होंने कहा कि उसका यह फैसला देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर एक गहरी चोट है।

आज के दिन टेक्नोलॉजी हमारे बीच आ गई है। हम इसका उतना उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जितना होना चाहिए।

हमारे अध्यापक और अध्यापिकाओं में यह प्रतिभा है but there are physical constraints. They can’t be everywhere or anywhere.

We must use technology that will give our students greater… pic.twitter.com/meIn5p5eAj

 शिक्षा में तकनीकी विस्तार पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “आज के दिन टेक्नोलॉजी हमारे बीच आ गई है। हम इसका उतना उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जितना होना चाहिए। हमारे अध्यापक और अध्यापिकाओं में यह प्रतिभा है किन्तु हम भौतिक बाधाओं से घिरे हुए हैं। हमें शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए जिससे हमारे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी।”
व्यापार, उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय से शैक्षणिक संस्थानों के विकास में उदारतापूर्वक योगदान देने की अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा में किया कोई भी निवेश हमारे भविष्य, आर्थिक उत्थान, शांति और स्थिरता में निवेश है।

हम यदि तकनीकी रूप से आगे नहीं रहेंगे तो हमारी आर्थिक प्रगति रुक जाएगी।

आर्थिक प्रगति का आधार है कि देश के अंदर रिसर्च का, इनोवेशन का और शिक्षा का वातावरण कैसा है। #SobhasariaGroupOfInstitutions pic.twitter.com/a6GY4qjPSV

शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योग जगत में आसीन लोगों से सेमिनार आयोजित कर युवाओं को जागरूक करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा “आज युवाओं के बीच लगातार बढ़ते अवसरों को लेकर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।”

अपने सम्बोधन में भारत के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “एक जमाना था हमारे भारत में तक्षशिला, नालंदा, मिथिला, वल्लभी, विक्रमशिला ऐसी अनेक संस्थाएं थी जो पूरे भारत में छाई हुई थी। दलाई लामा जी ने कहा कि जो भी बुद्ध का ज्ञान है वह सब नालंदा से निकला किन्तु बख्तियार खिलजी ने अपनी घनघोर कट्टरता के कारण नालंदा में स्थित शिक्षा के उस महान केंद्र को नष्ट कर दिया।”

साम्राज्यवादी शासन काल के दमनचक्र पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय संस्थानों को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया किन्तु महापुरुष स्वामी विवेकानंद ने अपने प्रयासों से उसे पुनर्जीवित किया।

अंततः अपने भाषण के समापन में अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की अहम भूमिका को उल्लेखित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा “आज भारत का विश्व में बहुत महत्व है। आज, भारत की आवाज़ वैश्विक स्तर पर पहले से कहीं अधिक बुलंद है। ऐसी स्थिति में, हर व्यक्ति को यह धारणा और निष्ठा रखनी चाहिए कि हमें अपने राष्ट्र पर विश्वास करना है। हर परिस्थिति में, हमें राष्ट्र को पहले रखना चाहिए।”, उन्होंने कहा कि राजनीतिक, व्यक्तिगत या आर्थिक हितों को राष्ट्र के ऊपर नहीं रखना चाहिए तथा यह हमारा दायित्व है कि हम राष्ट्रविरोधी शक्तियों को निष्क्रिय करें।

इस कार्यक्रम के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, माननीय उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती डॉ सुदेश धनखड़, श्री प्रेम चंद बैरवा, उप-मुख्यमंत्री राजस्थान, श्री झाबर सिंह खर्रा, शहरी विकास एवं आवास मंत्री, राजस्थान सरकार, श्री घनश्याम तिवारी, राज्यसभा सांसद, शोभासरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन श्री पी.आर. अग्रवाल एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

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