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वैज्ञानिकों ने धातु  प्रदूषण से निपटने में स्पंजी सूक्ष्मजीवों के महत्व को उजागर किया

वैज्ञानिकों ने धातु  प्रदूषण से निपटने में स्पंजी सूक्ष्मजीवों के महत्व को उजागर किया

ताजे पानी के स्पंजी जीव पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण विविध सूक्ष्मजीव समुदाय से होते हैं और उनमें यह क्षमता होती है कि वे जैव-सूचक तथा आर्सेनिक, सीसा, और कैडमियम जैसे विषैले धातुओं के शोषक दोनों रूप में कार्य कर सकते हैं और जैव उपचार के लिए एक संभावित समाधान हो सकते हैं।

जैसे-जैसे प्रदूषण पूरे विश्व में जलीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा बनता जा रहा है, प्रकृति के अपने जल शोधक स्वच्छ वातावरण के संघर्ष में शक्तिशाली सहयोगी के रूप में उभर रहे हैं।

मीठे पानी के स्पंज, जो सबसे शुरुआती बहुकोशिकीय यूकैरियोट्स होते हैं, बड़ी मात्रा में पानी को छानते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम (अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में, बोस इंस्टीट्यूट, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का एक स्वायत्त संस्थान, के वैज्ञानिकों ने सुंदरबन डेल्टा से मीठे पानी के स्पंजों का अध्ययन किया और विषाक्त धातु प्रदूषण के जैव संकेतक के रूप में कार्य करने की उनकी क्षमता की पहचान की।

चित्र: स्पंज में धातु के अवशोषण एवं संचय को दर्शाने वाला आरेख, साथ ही जीवाणु समुदायों की विविधता जो भारी धातु प्रतिरोध और संचलन में सक्षम हैं

जीव विज्ञान विभाग के डॉ. अभ्रज्योति घोष और उनकी टीम ने बताया कि स्पंज से जुड़े सूक्ष्मजीव समुदाय प्रदूषित जल को विषमुक्त करने और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह अध्ययन, डॉ. ध्रुबा भट्टाचार्य को प्रदान की गई डीएसटी एसईआरबी राष्ट्रीय पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप द्वारा समर्थित है और सुंदरबन के ताजे पानी के स्पंजों के बीच जीवाणु विविधता पर रिपोर्ट करने वाला पहला अध्ययन भी है, जो एक अल्प अन्वेषित क्षेत्र में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

इस अध्ययन से पता चला कि स्पंजों में पाए जाने वाले जीवाणु समुदाय आसपास के पानी से भिन्न होते हैं, जो प्रजातियों और आवास द्वारा निर्धारित होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि स्पंजों में आर्सेनिक, सीसा और कैडमियम जैसी जहरीली धातुओं का स्तर बहुत ज्यादा पाया गया, जो उनकी मजबूत जैव संचय क्षमता को प्रदर्शित करता है। गंगा के मैदानी क्षेत्र में व्यापक भारी धातु प्रदूषण के मद्देनजर ये स्पंज जैव उपचार के लिए एक आशाजनक समाधान प्रस्तुत करते हैं।

अध्ययन में यह सामने आया कि स्पंज से जुड़े जीवाणुओं में धातु आयन परिवहन, धातु प्रतिरोध एवं रोगाणुरोधी प्रतिरोध से संबंधित जीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो केवल संचय तक ही सीमित नहीं है। ये अनुकूलनीय विशेषताएं दर्शाती हैं कि जीवाणु सहजीवी न केवल जीवित रहते हैं बल्कि विषहरण करने एवं पर्यावरणीय तनाव को कम करने में सक्रिय योगदान देते हैं, विशेष रूप से धातु-दूषित आवासों में। यह शोध स्पंज-सूक्ष्मजीव समुदाय के पारिस्थितिक महत्व को उजागर करता है और मुहाना और मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र में जल की गुणवत्ता और प्रदूषण स्तर की निगरानी के लिए प्रभावी जैव संकेतक के रूप में मीठे पानी के स्पंज की भूमिका को मजबूत करता है।

माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम नामक पत्रिका में प्रकाशित यह अध्यन स्पंज सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकी के संदर्भ में हमारी समझ को व्यापक बनाता है और सतत जल गुणवत्ता प्रबंधन एवं जैव उपचार रणनीतियों के लिए नए मार्ग खोलता है।

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