Friday, December 19, 2025
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विश्व मत्स्य दिवस

विश्व मत्स्य दिवस

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग ने देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए 2015-16 से ब्लू रिवोल्यूशन, मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और प्रधानमंत्री मत्स्य समृद्धि सह योजना (पीएमएमकेएसएसवाई) जैसी विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिसमें ₹38,572 करोड़ का निवेश किया गया है।

इन योजनाओं और सोचीसमझी नीतियों के माध्यम से सरकार के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप, वार्षिक मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (वित्त वर्ष 2013-14) से बढ़कर 195 लाख टन (p) (वित्त वर्ष 2024-25) हो गया है, जो 103% की वृद्धि दर्शाता है। समुद्री खाद्य निर्यात भी 2014-15 में ₹30,213 करोड़ से दोगुना होकर 2024-25 में ₹62,408 करोड़ हो गया है, जो 107% की वृद्धि दर्शाता है, जिसमें वैल्यूएडेड उत्पादों की हिस्सेदारी 2% से बढ़कर 11% हो गई है।

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, 2020-21 से 2024-25 के दौरान, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग ने अब तक ₹21,274.16 करोड़ के मत्स्य पालन विकास प्रस्तावों को स्वीकृति दी है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा ₹9,189.79 करोड़ है।  मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाने के लिए, पीएमएमएसवाई मत्स्य पालन वैल्यू चेन के साथ कई तरह के हस्तक्षेपों/गतिविधियों को समर्थन करता है। इसमें अच्छी गुणवत्ता की मछली का उत्पादन, खारे पानी में मछली पालन का विस्तार, विविधीकरण और गहनता, निर्यातउन्मुख प्रजातियों को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, मजबूत रोग प्रबंधन और ट्रेसबिलिटी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, बिना रुकावट कोल्ड चेन के साथ आधुनिक कटाई  बाद की अवसंरचना का निर्माण, मछली पकड़ने के आधुनिक बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों का विकास आदि शामिल हैं। पिछले पांच वर्षों में, पीएमएमएसवाई ने मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर की कुल वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेषरूप से, (i) वार्षिक मछली उत्पादन 2019-20 में 141.64 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 195 लाख टन (p) हो गया है, जो 38% की वृद्धि है, (ii) मत्स्य पालन निर्यात 2019-20 में ₹46,662.85 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹62,408 करोड़ हो गया है, जो 34% की वृद्धि है।

पीएमएमएसवाई की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए, विश्व मत्स्य दिवस यानी 21 नवंबर, 2025 के अवसर पर, पीएमएमकेएसएसवाई के अंतर्गत उपगतिविधि के रूप में मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसबिलिटी पर राष्ट्रीय रूपरेखा 2025 जारी की गई। इसका उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में राष्ट्रीय डिजिटल ट्रेसबिलिटी प्रणाली स्थापित करना, मछली और मत्स्य उत्पादों के लिए घरेलू मानकों और अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं दोनों के लिए नियामक अनुपालन सुनिश्चित करना, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन को बढ़ावा देना, पारदर्शिता, जवाबदेही लाना और उपभोक्ता विश्वास बढ़ाना, छोटे पैमाने के मछुआरों और किसानों के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बाजार पहुंच को सुविधाजनक बनाना और अंततः निर्यात को बढ़ावा देना है।

चूंकि यह रूपरेखा हाल ही में 21.11.2025 को जारी की गई है, इसलिए इस स्तर पर इसकी किसी समीक्षा की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, मत्स्य पालन विभाग ने अब तक ट्रेसबिलिटी पर कोई पायलट प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया है। यह रूपरेखा राष्ट्रीय स्तर की संचालन समिति (एनएलजीसी) का प्रावधान करती है जो शीर्ष निकाय के रूप में रणनीतिक देखरेख, अंतरएजेंसी समन्वय और नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करेगी ताकि इस रूपरेखा के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। यह एनएलजीसी के समग्र मार्गदर्शन में अंगीकरण समिति का भी प्रावधान करता है ताकि मछुआरों, जलीय कृषि किसानों और संबंधित पक्षों सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा मत्स्य पालन और जलीय कृषि में आईटी आधारित राष्ट्रीय ट्रेसबिलिटी प्रणाली को अपनाने के लिए तंत्र की सिफारिश की जा सके। इसके अलावा, यह डिजिटल ट्रेसबिलिटी ढांचे को अपनाने के लिए हितधारकों, विशेष रूप से छोटे पैमाने के ऑपरेटरों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त सहायता का भी प्रावधान करता है।

उपर्युक्त जानकारी भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​लल्लन सिंह ने लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी।

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