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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को अपने संवैधानिक अधिकार से पिछड़े वर्ग की हर शिकायत पर हर क्षेत्र    में उन्हें न्याय दिलाने का काम करने का अधिकार है: कर्नाटक उच्च न्यायालय                                                                             

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को अपने संवैधानिक अधिकार से पिछड़े वर्ग की हर शिकायत पर हर क्षेत्र    में उन्हें न्याय दिलाने का काम करने का अधिकार है: कर्नाटक उच्च न्यायालय                                                                             

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दिनांक 24.07.2023 को मण्डल आयुक्त, नागपुर के साथ समीक्षा बैठक तथा जनसुनवाई में कर्नाटक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड से संबंधित विस्थापित किसानों ग्रामीणों, मजदूरों के भूमि अधिग्रहण को लेकर महाराष्ट्र सरकार और कर्नाटक सरकार के बीच में वर्ष 2016 में किये गये करार के अनुसार उसके अम्ल के निर्देश दिए गए थे तथा किसानों का मुआवजा विस्थापन अधिग्रहण वेतन अन्य मामलों पर अम्ल कराने हेतु मण्डल आयुक्त, नागपुर एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को कर्नाटक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों के समक्ष जो निर्देश दिए थे, उसके खिलाफ कर्नाटक सरकार तथा कर्नाटक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड ने आयोग के निर्देश के खिलाफ माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर  कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा आयोग के निर्देश पर स्टे आर्डर दिया गया था। इस स्टे आर्डर को आयोग द्वारा अपने संवैधानिक अधिकार से कर्नाटक सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कर्नाटक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा किए जा रहे अन्याय और छल को लेकर और 2018 में संवैधानिक दर्जा जिसमें 338बी में जो अधिकार है, उस पर आयोग द्वारा अपनी भूमिका स्पष्ट की गयी। वर्ष 2018 में श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा दिया गया संवैधानिक दर्जा के चलते ही आयोग ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए दिनांक 24.07.2023 को किसानों के हित में और कर्नाटक पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा हो रहे अत्याचार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के सामने प्रभावी तरीके से रखा। जिसमें माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा दिए हुए स्टे आर्डर और याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आयोग के संवैधानिक अधिकार एक कागजी नहीं क्रियान्वयन करने के लिए संविधान के अनुसार सम्मान से इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। संकुचित भावनाओं से इसे नहीं देंखे। इन भावनाओं के साथ में  कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार की याचिका खारिज की।

एनसीबीसी ने  कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने मजबूती से अपना पक्ष रखा और रिट याचिका पर दिनांक 14.08.2025 को सुनवाई पूरी हुई और दिनांक 19.09.2025 को कर्नाटक हाईकोट ने एनसीबीसी के पक्ष में निर्णय सुनाया

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग  कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का पुरजोर स्वागत करता है। ओबीसी के विस्थापित किसानों के परिजनों को न्याय मिला है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सफलता की मुख्य वजह  मोदी सरकार द्वारा आयोग को दिया गया संवैधानिक दर्जा तथा संविधान के अनुच्छेद 338बी में दिये गये अधिकारों के चलते यह निर्णय हाईकोर्ट द्वारा दिया गया।

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