राष्ट्रीय गोकुल मिशन और कामधेनु योजना
राष्ट्रीय गोकुल मिशन और कामधेनु योजना
कर्नाटक में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत बीदर जिले सहित अन्य क्षेत्रों में कृत्रिम गर्भाधान (एआई कवरेज), नस्ल विकास और गोकुल ग्रामों की स्थापना के संदर्भ में हुई भौतिक और वित्तीय प्रगति का विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।
राज्यों द्वारा पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए, भारत सरकार का पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) देश भर में निम्नलिखित योजनाएं लागू कर रहा है, जिनमें बीदर जिले जैसे सूखाग्रस्त और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां पशुधन ग्रामीण आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है:
लिंग-आधारित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वदेशी नस्लों के लिंग-आधारित वीर्य को प्रोत्साहन दिया जाता है। इस घटक के तहत, सुनिश्चित गर्भधारण होने पर किसानों को लिंग-आधारित वीर्य की लागत का 50% तक प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाती है।
2. राष्ट्रीय दुग्ध विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी): एनपीडीडी को निम्नलिखित 2 घटकों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है:
एनपीडीडी योजना के तहत, कर्नाटक में 22 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल परियोजना लागत 45521.03 लाख रुपये है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 30783.03 लाख रुपये है और इसमें से 23660.11 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं। इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
बीदर जिले में कार्यान्वयन के लिए स्वीकृत प्रमुख डेयरी परियोजनाओं का विवरण अनुलग्नक-II में दिया गया है।
राष्ट्रीय श्रम नीति (एनएलएम) के अंतर्गत, उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एनएलएम-ईडीपी) एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसके तहत ग्रामीण मुर्गीपालन फार्मों के साथ-साथ भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट, घोड़े और गधे के प्रजनन फार्मों की स्थापना के लिए 50% पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसकी विभिन्न घटकों के लिए अधिकतम सीमा 3 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक है। इसके अलावा, यह चारा मूल्यवर्धन इकाइयों, जिनमें घास, साइलेज, संपूर्ण मिश्रित राशन (टीएमआर), चारा ब्लॉक और चारा बीजों के प्रसंस्करण, वर्गीकरण और भंडारण की इकाइयाँ शामिल हैं, को भी सहायता प्रदान करता है। यह सब्सिडी व्यक्तियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी), किसान सहकारी संगठनों (एफसीओ) और धारा 8 कंपनियों के लिए उपलब्ध है। बीदर जिले और पूरे कर्नाटक राज्य में एनएलएम-ईडीपी के तहत स्वीकृत परियोजना प्रस्ताव अनुलग्नक-III में दिया गया है।
राज्य सरकार अपने पशुधन की चारे की मांग को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। केंद्र सरकार देश में चारे के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की पहल कर रही है। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए, केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन‘ नामक केंद्रीय प्रायोजित योजना को लागू कर रही है, जिसमें चारा विकास पर एक उप-मिशन भी शामिल है। यह योजना 2014-15 से पूरे देश में कार्यरत है। मिशन को जुलाई 2021 में पुनर्गठित किया गया और मार्च 2024 में संशोधित किया गया। चारा विकास पर उप-मिशन के निम्नलिखित घटक हैं:
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी उत्पादन विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चारा उत्पादन क्षेत्रों को बढ़ाने और राज्य तथा केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं के समन्वय हेतु, राज्य चारा कार्यबल गठित करने का अनुरोध किया है। इन प्रयासों से संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चारे की उपलब्धता बढ़ेगी।
इसके अलावा, आईसीएआर-भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी ने कर्नाटक के लिए चारा संसाधन विकास योजना तैयार की है, जिसे कार्यान्वयन के लिए कर्नाटक को भेज दिया गया है।
अनुलग्नक-I
कर्नाटक में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के विभिन्न घटकों के अंतर्गत हुई प्रगति
क्रमांक
विवरण
2020-25 के दौरान प्रगति
कर्नाटक राज्य
बीदर जिला
भौतिक
वित्तीय
(लाख रुपये में)
भौतिक
वित्तीय
(लाख रुपये में)
1
देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम
1.71 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए
4894.78
2.10 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए
86.59
2
लिंग-आधारित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम (एबीआईपी–एसएस)
53665 कृत्रिम गर्भाधान किए गए
516.37
188 कृत्रिम गर्भाधान किए गए
2.29 (कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को दिए गए प्रोत्साहन सहित)
3
ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री)
1450
1523.45
129
41.94
4
गोकुल ग्राम की स्थापना
लिंगादहल्ली, चिक्कमगलुरु, कर्नाटक में अमृत महल नस्ल के मवेशियों के विकास और संरक्षण के लिए
1
250
–
–
5.
वीर्य परीक्षण केंद्र को बेहतर बनाना
5
3211.82
–
–
अनुलग्नक-II
राष्ट्रीय दुग्ध विकास कार्यक्रम के अंतर्गत बीदर जिले के लिए स्वीकृत प्रमुख दुग्ध परियोजनाओं का विवरण
परियोजना संख्या
गतिविधियाँ
कुल राशि
(लाख रुपये में)
एनपीडीडी_केए_01बी
76 दुग्ध सहकारी समितियों के लिए पूंजी निवेश
177.84
एनपीडीडी_केए_04 एफ(क्यूएमपी)
संयंत्र स्तर पर एफटीआईआर प्रौद्योगिकी आधारित दुग्ध विश्लेषक की स्थापना
85.00
एनपीडीडी_केए_21एल(डीसीएस)
36 नई दुग्ध सहकारी समितियों का संगठन
66.96
एनपीडीडी_केए_22एल
दूध को ठंडा करने और दुग्ध परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना
57.00
अनुलग्नक-III
कर्नाटक में एनएलएम-ईडीपी के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण
स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या
परियोजना लागत (करोड़)
स्वीकृत सब्सिडी (करोड़)
जारी की गई पहली किस्त की संख्या
जारी की गई पहली किस्त की राशि (करोड़)
जारी की गई दूसरी किस्त की संख्या
जारी की गई दूसरी किस्त की राशि (करोड़)
कर्नाटक
1133
801.012
379.12
494
92.6
200
35.26
बीदर जिला
52
49.7
21.32
33
7.08
10
1.56
उपरोक्त उत्तर भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दिया।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम): आरजीएम का उद्देश्य स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण, मवेशियों की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार और दूध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। इस योजना के अंतर्गत किए गए प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं: